जमाखोरी रोकने के लिए तुअर दाल के स्टॉक की निगरानी को समिति का गठन

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सोमवार को एक सरकारी बयान में कहा गया है कि सरकार घरेलू बाजार में बाकी दालों के स्टॉक की स्थिति पर भी करीब से नजर रख रही है ताकि आने वाले महीनों में कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि की स्थिति में जरूरी कदम उठाए जा सकें।

सरकार ने जमाखोरी एवं सट्टेबाजी पर लगाम लगाने के लिए आयातकों, मिलों, स्टॉकिस्टों और व्यापारियों के पास मौजूद तुअर दाल के स्टॉक की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया है। सोमवार को एक सरकारी बयान में कहा गया है कि सरकार घरेलू बाजार में बाकी दालों के स्टॉक की स्थिति पर भी करीब से नजर रख रही है ताकि आने वाले महीनों में कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि की स्थिति में जरूरी कदम उठाए जा सकें। बयान में कहा गया है कि यह निर्णय अच्छी मात्रा में आयात होने के बावजूद बाजार के कारोबारियों द्वारा स्टॉक जारी नहीं करने की खबरों के मद्देनजर लिया गया है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग में अतिरिक्त सचिव निधि खरे की अध्यक्षता वाली समिति राज्य सरकारों के साथ समन्वय में अरहर के स्टॉक की निगरानी करेगी। इससे पहले पिछले साल 12 अगस्त को सरकार ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत तुअर दाल के संबंध में स्टॉक खुलासा लागू करने के लिए एक परामर्श जारी किया था। इसके अलावा सुचारू और निर्बाध आयात की सुविधा के लिए सरकार ने गैर-एलडीसी (गैर-कम विकसित देशों) देशों से अरहर के आयात के लिए लागू 10 प्रतिशत शुल्क को हटा दिया है क्योंकि यह शुल्क एलडीसी से शून्य शुल्क वाले आयात के लिए भी प्रक्रियात्मक बाधाएं पैदा करता है।

स्टॉक के खुलासे की निगरानी के लिए हाल में समिति का गठन बाजार में जमाखोरों और सटोरियों से निपटने के लिए सरकार की मंशा को बताता है। बयान में कहा गया है कि यह आने वाले महीनों में अरहर की कीमतों को नियंत्रण में रखने के सरकार के दृढ़ संकल्प को भी दर्शाता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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