GJEPC में पंजीकृत नहीं होने वाले व्यापारियों पर कच्चे हीरों के आयात-निर्यात पर रोक

Traders not registered with GJEPC barred from importing, exporting  diamonds

सिर्फ जीजेईपीसी के पास पंजीकृत व्यापारी ही कच्चे हीरे का आयात, निर्यात कर सकेंगे।यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों में भी वर्णित है। केपीसीएस एक जनवरी, 2003 से लागू हुआ और कनफ्लिक्ट डायमंड के व्यापार को रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र के रूप में विकसित हुआ।

नयी दिल्ली। कच्चे हीरे के आयात या निर्यात की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी जब तक कि संबंधित आयातक या निर्यातक रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के साथ पंजीकृत न हो। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने सोमवार को यह जानकारी दी। जीजेईपीसी किम्बर्ली प्रोसेस सर्टिफिकेशन स्कीम (केपीसीएस) के लिए नामित आयात और निर्यात प्राधिकरण है। किम्बर्ली प्रक्रिया ‘कनफ्लिक्ट या विवादों वाले हीरे’ के प्रवाह को रोकने के लिए सरकारों, उद्योग और समाज की एक संयुक्त पहल है। इस कच्चे हीरे का दुरुपयोग विद्रोही समूहों द्वारा वैध सरकारों के खिलाफ युद्ध के वित्तपोषण के लिए किया जाता है।

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यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों में भी वर्णित है। केपीसीएस एक जनवरी, 2003 से लागू हुआ और कनफ्लिक्ट डायमंड के व्यापार को रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र के रूप में विकसित हुआ। भारत केपीसीएस का संस्थापक सदस्य है। मौजूदा समय में केपीसीएस में 81 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 54 सदस्य हैं। डीजीएफटी ने एक अधिसूचना में कहा, ‘‘जब तक संबंधित आयातक या निर्यातक जीजेईपीसी के साथ पंजीकृत नहीं है, तब तक कच्चे हीरे के आयात या निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी।’’ एक अलग सार्वजनिक नोटिस में डीजीएफटी ने कहा कि वर्ष 2021-22 के लिए भारत-मॉरीशस मुक्त व्यापार समझौते के तहत शुल्क दर कोटा (टीआरक्यू) के आवंटन के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2021 से बढ़ाकर 31 जनवरी, 2022 कर दी गई है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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