तेल, जस्ता उत्पादन बढ़ाने की योजना पर ध्यान दे रहे हैं Vedanta CEO अनिल अग्रवाल

Anil Agarwal
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वह कंपनी पर कर्ज स्तर को लेकर बिल्कुल चिंतित नहीं हैं। पटना में पले-बढ़े अग्रवाल ने 15 वर्ष की आयु में स्कूल छोड़ दिया था। उन्होंने 1976 में मुंबई में कबाड़ कारोबारी के तौर पर अपना व्यापार शुरू किया। अब वह खनन और धातु कारोबार का परिचालन करते हैं, जो ब्रिटेन, भारत, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया तक फैला है।

खनन क्षेत्र के दिग्गज उद्यमी अनिल अग्रवाल तेल और गैस व जस्ता और एल्युमिनियम जैसी धातुओं का उत्पादन बढ़ाने और सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षेत्र में उतरने की आक्रामक योजना पर ध्यान दे रहे हैं। वह कंपनी पर कर्ज स्तर को लेकर बिल्कुल चिंतित नहीं हैं। पटना में पले-बढ़े अग्रवाल ने 15 वर्ष की आयु में स्कूल छोड़ दिया था। उन्होंने 1976 में मुंबई में कबाड़ कारोबारी के तौर पर अपना व्यापार शुरू किया। अब वह खनन और धातु कारोबार का परिचालन करते हैं, जो ब्रिटेन, भारत, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया तक फैला है।

अग्रवाल ने पीटीआई-से बातचीत में कहा कि खनन की मदद से भारत समृद्ध हो सकता है क्योंकि जमीन के अंदर दबे प्राकृतिक संसाधनों से न सिर्फ आयात पर निर्भरता कम होगी बल्कि रोजगार भी पैदा होगा। उन्होंने वेदांता की स्थापना की थी और अब वह इसके चेयरमैन हैं। कंपनी की तेल और गैस से लेकर जस्ता और एल्युमिनियम उत्पादन बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं। उन्होंने कहा, “हम दो वर्ष में तीन लाख बैरल तेल (और तेल बराबर गैस) और चार-पांच वर्ष में पांच लाख बैरल का उत्पादन करेंगे।” बीते वित्त वर्ष में वेदांता ने 1,42,615 बैरल कच्चे तेल और तेल बराबर गैस का उत्पादन किया।

इस मुख्य योगदान राजस्थानों की खदानों का रहा। भारतीय अर्थव्यवस्था का विस्तार होने से इस्पात के साथ-साथ जस्ता की मांग तेजी से बढ़ रही है। जस्ता का उत्पादन भारत और दक्षिण अफ्रीका में स्थित खदानों से तीन गुना कर लगभग 30 लाख टन करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा, “जस्ता की मांग बढ़ रही है। हम मांग-आपूर्ति अंतर को खत्म करने व 1,000 डॉलर प्रति टन की कीमत पर लगभग 30 लाख टन उत्पादन करने के लिए दक्षिण अफ्रीकी और यहां देख रहे हैं।” उन्होंने कहा कि एल्युमिनियम में भी 20 प्रतिशत की सालाना वृद्धि हो रही है। वेदांता ने बीते वित्त वर्ष में 23 लाख टन एल्युमिनियम का उत्पादन किया था।

अग्रवाल कहते हैं कि लीथियम और कोबाल्ट जैसी नई धातुओं के बारे में बहुत बात हो रही है। यह इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए बैटरी और पैनल बनाने के लिए महत्वपूर्ण सामग्री हैं। धातुओं के बिना कोई देश समृद्ध नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि ईवी और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को पांच गुना अधिक तांबे, एल्युमीनियम और जस्ता की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि कंपनी भारत के सेमीकंडक्टर विस्तार का अंग बनना चाहता है और इसके लिए धन की कोई कमी नहीं है। भारत के सेमीकंडक्टर बाजार के 2026 तक 63 अरब डॉलर होने की संभावना है, जबकि 2020 में अमेरिका का सेमीकंडक्टर बाजार 15 अरब डॉलर का था। वेदांता का 2030 तक 100 अरब डॉलर की कंपनी बनने का लक्ष्य है। अभी यह 20 अरब डॉलर की कंपनी है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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