क्या बड़ी तकनीकी कंपनियों पर लगाई जाएगी लगाम ? आरोपों की जांच के लिए खंगाले गए 10 लाख से ज्यादा दस्तावेज

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका की चार बड़ी तकनीकी कंपनियों पर छोटी कंपनियों को बढ़ने से रोकने के आरोप लगे थे। जिसके बाद अमेरिकी संसदीय समिति के समक्ष बड़ी तकनीकी कंपनियों के सीईओ डिजिटल माध्यम के जरिए पेश हुए थे।

वॉशिंगटन। एप्पल, फेसबुक, गूगल, अमेजन जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों पर छोटी तकनीकी कम्पनियों, कारोबारों को आगे बढ़ने से रोकने के आरोपों की जांच पूरी हो चुकी है। यह जांच अमेरिकी संसदीय समिति ने की है। अब जल्द ही अमेरिकी संसद के निचले सदन की बैठक बुलाकर रिपोर्ट पेश की जा सकती है और बड़ी टेक कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका की चार बड़ी तकनीकी कंपनियों पर छोटी कंपनियों को बढ़ने से रोकने के आरोप लगे थे। जिसके बाद अमेरिकी संसदीय समिति के समक्ष बड़ी तकनीकी कंपनियों के सीईओ डिजिटल माध्यम के जरिए पेश हुए थे। इनमें टिक कुक, मार्क जकरबर्ग, सुंदर पिचई, जैफ बेजोस शामिल हैं।

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, बड़ी तकनीकी कंपनियों को अपने ही प्लेटफॉर्म पर कारोबार करने से रोकने की सिफारिश की जा सकती है। अगर ऐसा हो गया तो अमेजन अपने ही प्लेटफॉर्म अमेजन डॉट कॉम पर दूसरी विक्रेता कंपनियों का प्रतियोगी नहीं बन पाएगा। जिसकी बदौलत बाकी के विक्रेताओं के व्यापार में इजाफा हो सकता है। 

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अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल भी अपने सर्च इंजन पर ऐसी सामग्री नहीं उपलब्ध करा पाएगा जो यूजर्स गूगल डॉट कॉम पर ढूंढते हैं। अमेरिकी संसदीय समिति ने इन चारों कंपनियों पर लगे आरोपों की 15 महीने तक जांच की। इस दौरान उन्होंने 10 लाख से अधिक दस्तावेजों की छानबीन कर एक रिपोर्ट तैयार की है। इतना ही नहीं समिति ने कुछ माह पहले इन कंपनियों से पूछताछ भी की थी। हालांकि, पूछताछ के विषय पर ज्यादा जानकारियां उपलब्ध नहीं है।

वहीं, इस विषय पर हाल ही में समिति के अध्यक्ष डेविड सिसिलीनी ने एक थिंक टैंक के साथ बातचीत में कहा कि आप स्वयं ही सभी तरह के नियम तय नहीं कर सकते हैं। एक तरफ आप बाजार को कंट्रोल करने का प्रयास करें और दूसरी तरफ उस पर सामान भी बेचें। उन्होंने कहा कि हम कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर इस तरह के व्यापार से अलग करने की सिफारिश कर सकते हैं। 

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डेमोक्रेट सांसदों की तरह ही रिपब्लिकन सांसद भी इन तकनीकी कंपनियों के बाजार में बढ़ते प्रभाव को लेकर काफी चिंतित दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, वह इस तरह की सिफारिश नहीं करते हैं और उनका सोचना भी अलग है। रिपब्लिकन सांसदों का मानना है कि अगर तकनीकी कंपनियों को खुद के प्लेटफॉर्म पर व्यापार करने से रोका जाएगा तो इसका असर उनके प्लेटफॉर्म से जुड़ी दूसरी कंपनियों पर भी पड़ सकता है।

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