दिल्ली डिक्लरेशन सही मायने में है वन अर्थ, वन फैमेली, वन फ्यूचर का संदेश

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ANI

रुस और चीन के प्रमुखों के नहीं आने और उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति के बावजूद भारत दिल्ली डिक्लरेशन के सभी बिन्दुओं को एक मत से पारित कराने में सफल रहा। यह सब तो तब है जब जी 20 के सभी देशों के पास बिन्दु विशेष पर वीटों करने के अधिकार हैं यह पहले के सम्मेलनों में देखा जा चुका है।

देखा जाए तो भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी 20 सम्मेलन हर मायने में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा है। भारत की मेजबानी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समावेशी विजन का ही परिणाम रहा कि एक और जहां जी 20 का कुनबा बढ़ाने में भारत कामयाब रहा तो दूसरी और दिल्ली डिक्लरेशन को एक मत से स्वीकार कराने की बड़ी सफलता कूटनीतिक स्तर पर भारत की बढ़ती सक्रिय हिस्सेदारी और सोच समझ को दर्शाती है। कोई माने या ना माने पर अब यह साफ होता जा रहा है कि भारत आज अपनी बात मनवाने व दुनिया के देशों के सामने लोहा मनवाने में सफल रहने लगा है। ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब इंडोनेशिया के बाली में आयोजित जी 20 सम्मेलन में बने मसौदे पर दुनिया के देश एकमत नहीं हो पाये थे। रुस और चीन के प्रमुखों के नहीं आने और उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति के बावजूद भारत दिल्ली डिक्लरेशन के सभी 83 बिन्दुओं को एक मत से पारित कराने में सफल रहा। यह सब तो तब है जब जी 20 के सभी देशों के पास बिन्दु विशेष पर वीटों करने के अधिकार हैं यह पहले के सम्मेलनों में देखा जा चुका है। सबसे बड़ी बात यह कि जी 20 के सेशन वन फैमेली के दौरान दिल्ली डिक्लरेशन पर सर्वसम्मति की घोषणा से वन फैमेली का वास्तविक संदेश दुनिया के देश देने में सफल रहे हैं। सही मायने में यह दुनिया के देशों के वन फैमेली की दिशा में बढ़ता कदम है। 

देखा जाये तो भारत के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास और इसके साथ ही वन अर्थ, वन फैमेली, वन फ्यूचर का संदेश ही वसुधैव कुटुम्बकम को चरितार्थ करता है। इसे काल चक्र का ही फेर कहा जाएगा कि जिस काल चक्र के सामने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी 20 के दिग्गजों की अगवानी कर रहे थे उस काल चक्र ने ही संदेश दे दिया कि भारत 2500 साल पहले भी दुनिया का नेतृत्व कर रहा था तो आज भी वह दुनिया के देशों से किसी भी मायने में कम कर नहीं रह गया है। यों तो जी 20 का यह सम्मेलन कई मायनों में याद किया जाएगा तो लाख कमियां गिनाई भी जा सकती है पर इस सम्मेलन ने जो उंचाइयां छुई है उन्हें सालों याद रखा जाएगा। इस सम्मेलन की ही देन है कि अब जी 20 में 55 देशों के संघ अफ्रीकी यूनियन को स्थाई सदस्यता दिलाने में सफलता मिल गई है। यानी की जी 20 का कुनबा बढ़कर अब जी 21 हो गया है तो दूसरी और इसकी ताकत में भी बढ़ोतरी हुई है। 

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वैसे भी देखा जाए तो 1999 में जी 20 की स्थापना हुई तो आर्थिक सहभागिता एक प्रमुख ध्येय रहा। दुनिया के देशों की 85 फीसदी जीडीपी, 75 फसीदी वैश्विक व्यापार और दो तिहाई आबादी इस कुनबे की ताकत थी। अब अफ्रीकी यूनियन के शामिल होने से इसकी ताकत और पहुंच और अधिक बढ़ गई है। बारी बारी से अध्यक्षीय जिम्मेदारी के बीच भारत की एक वर्ष की अध्यक्षीय अवधि जी 20 के इतिहास में इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है कि भारत द्वारा इस तरह की कार्ययोजना बनाई गई कि सभी अंतरराष्ट्रीय विषयों पर चर्चाएं तय की गई तो दूसरी और गंभीर चिंतन मनन हुआ। इसके साथ ही भारत के कोने कोने से सदस्य देशों को रुबरु होने का अवसर मिला वह अलग। यानी कि भारत के बारें में दुनिया के देशों के सामने समग्र तस्वीर रखी जा सकी। देश के 60 शहरों में जी 20 की बैठकें आयोजित हुई यहां तक कि कश्मीर में भी जी 20 की बैठक आयोजित कर एक संदेश देने का प्रयास किया गया। 200 घंटों की अथक मेहनत और करीब 300 बैठकों का परिणाम है दिल्ली डिक्लरेशन। सबसे बड़ी बात कि भारत ने सबके भरोसे की बात की और सबका भरोसा जीतना ही इसकी सबसे बड़ी सफलता माना जा सकता है। 

कोरोना ने दुनिया के देशों के सामने एक अलग तरह के हालात रखें तो सोच और समझ में भी बदलाव आया है। हांलाकि कोरोना त्रासदी के बाद भी रुस यूक्रेन युद्ध, वैश्विक आर्थिक संकट, आतंकवाद के नित नए रुप, भ्रष्टाचार, जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी बढ़ने, अनियमित मानसून, तूफान और अनचाही बाढ़ जैसे हालात, समुद्री सतह का बढ़ना, केरेंसी को लेकर संकट जैसे अनेक संकट तेजी से उभरे हैं। दिल्ली डिक्लरेशन में इन सभी मुद्दों व चुनौतियों के प्रति गंभीरता दिखाई गई है। यहां तक कि सबसे अधिक मतभेद की संभावना रुस यूक्रेन युद्ध को लेकर होने के बावजूद डिक्लरेशन में युद्ध का विरोध, दुनिया के देशों की संप्रभुता की रक्षा और यूक्रेन का चार बार जिक्र करने के साथ ही रुस का जिक्र ना करके इशारों इशारों में ही बहुत कुछ कहने में सफल रहे हैं। इसी तरह से चीन को भी संदेश देने का प्रयास किया गया है। नया कोरिडोर बनाने और फ्यूल संकट को लेकर ग्लोबल वायोफ्यूल की वैश्विक समझ बनाना किसी सफलता से कमतर नहीं है। जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास, डिजिटल इकोनोमी, विकासशील देशों को आर्थिक सहायता जैसे मुद्दों के साथ ही युद्ध और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं, महंगाई और आतंकवाद, कार्बन उत्सर्जन सहित चुनौतियों का मिलकर हल खोजने का सार्थक प्रयास माना जा सकता है। सउदी अरब के क्राउन प्रिंस का सम्मेलन में आना और एक दिन अधिक रुकना पाकिस्तान के लिए किसी तेज झटके से कम नहीं है।  

इन सबसे इतर यह कि जी 20 सम्मेलन भारतीय कला, शिल्प, सभ्यता और संस्कृति, गौरवशाली इतिहास से रुबरु कराने में भी सफल रहा है। भारत नाम को लेकर पक्ष विपक्ष मत हो सकते हैं पर भारतीय संस्कृति की झलक दिखाने में यह सम्मेलन सफल रहा है। सबसे खास कि इस सम्मेलन में शाकाहारी भोजन परोसा गया तो दूसरी और मोटे अनाज को भी व्यंजनों में शामिल किया गया। सबसे खास और बड़ी बात यह कि भारत वन अर्थ, वन फैमेली, वन फ्यूचर की बात केवल कागजी नहीं कर उसे दुनिया के देशों के सामने प्रभावी तरीके से पूरी प्रतिवद्धता के साथ रखा है। सबका साथ, सबका विकास, सबका भरोसा संदेश दिल्ली डिक्लरेशन सहित बिन्दुओं पर आमसहमति बनाने में सफलता प्राप्त कर भरोसे को कायम किया है। दुनिया के देश अब भारत की और आशाभरी नजरों से देखने लगे हैं। आने वाला समय भारत का होगा इसमें अब किसी तरह का संदेह नहीं होना चाहिए। 

- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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