क्या मोदी सिर्फ विपक्षी नेताओं पर हमले करते हैं? क्या PM के मन में विपक्ष के लिए कोई सम्मान नहीं है?

narendra modi
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सवाल यह भी उठता है कि क्या मोदी सिर्फ विपक्षी नेताओं पर हमले ही करवाते हैं और क्या मोदी के मन में विपक्षी नेताओं के लिए कोई सम्मान नहीं है? इस सवाल का उत्तर यह है कि मोदी जितना विपक्ष के नेताओं का सम्मान आज तक किसी ने नहीं किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना में विपक्ष कहता है कि वह लोकतांत्रिक नहीं हैं, वह विपक्ष को कुचल देना चाहते हैं। विपक्ष कहता है कि यह हम दो हमारे दो की सरकार है, विपक्ष कहता है कि यह अघोषित आपातकाल है, विपक्ष कहता है कि सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग विपक्ष के खिलाफ किया जा रहा है। सवाल उठता है कि क्या विपक्ष का इनमें से एक भी आरोप सही है? जवाब है नहीं। इससे पहले कि आप हमें भक्त या गोदी मीडिया का तमगा दें, हम आपको तथ्यों के हवाले से कुछ बातें बताएंगे उसके बाद आप खुद फैसला कीजियेगा कि विपक्ष के आरोप सही हैं या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कुछ कर रहे हैं वह सब सही है।

सीबीआई ने पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तार किया, लालू यादव को चारा घोटाला मामले में जेल भेजा गया, ईडी ने संजय राउत को पात्रा चॉल घोटाला मामले में गिरफ्तार किया, अनिल देशमुख को उगाही, नवाब मलिक और सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल भिजवाया, पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपए का ढेर घर में रखने वाले तृणमूल कांग्रेस नेता पार्थ चटर्जी और उनकी गर्ल फ्रैंड को जेल भिजवाया तो एक सुर में विपक्ष चिल्लाया- सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शरद पवार, कार्ति चिदंबरम, अभिषक बनर्जी, रॉबर्ट वाड्रा, तेजस्वी यादव और मनीष सिसोदिया आदि नेताओं को जब भी सरकारी एजेंसियां विभिन्न घोटाला मामलों में पूछताछ के लिए बुलाती हैं तो विपक्ष यही शोर मचाता है कि सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है। यहां सवाल उठता है कि क्या एजेंसियां घोटालों को देखती रहने के लिए बनाई गयी हैं?

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सवाल यह भी उठता है कि क्या मोदी सिर्फ विपक्षी नेताओं पर हमले ही करवाते हैं और क्या मोदी के मन में विपक्षी नेताओं के लिए कोई सम्मान नहीं है? इस सवाल का उत्तर यह है कि मोदी जितना विपक्ष के नेताओं का सम्मान आज तक किसी ने नहीं किया। भारतीय राजनीति के इतिहास में दूसरे दलों के नेताओं के सम्मान के दो ही बड़े उदाहरण मिलते हैं। पहला उदाहरण पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने तब कायम किया था जब उन्होंने इंदिरा गांधी को दुर्गा की उपमा दी थी। वाजपेयीजी ने इंदिरा गांधी को उस समय यह उपमा दी जब भारत को पाकिस्तान पर 1971 की लड़ाई में बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी। दूसरा उदाहरण तब कायम होना शुरू हुआ जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने। मोदी ने कभी यह नहीं देखा कि सामने वाला कौन-सी पार्टी या किस विचारधारा से संबंध रखता है, मोदी ने सिर्फ यह देखा कि किसी व्यक्ति ने देश या समाज के लिए क्या किया है। मोदी ने पार्टी हितों से ऊपर उठकर पद्म पुरस्कार विपक्ष के सर्वश्रेष्ठ नेताओं को भी देना शुरू किया। मोदी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न सम्मान से अलंकृत कर ऐसी मिसाल कायम कर दी जो आजादी के बाद से आज तक देखने को नहीं मिली थी। मोदी सरकार ने आज तक जिन बड़े विपक्षी नेताओं को पद्म पुरस्कार से नवाजा है उनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे गुलाम नबी आजाद, पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और बड़े वामपंथी नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य, असम के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे तरुण गोगोई, निर्दलीय सांसद रहे तरलोचन सिंह, पीडीपी नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नगालैंड के चार बार के मुख्यमंत्री रहे एससी जमीर, ओडिशा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तीन बार सांसद रहे भबानी चरण पटनायक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार, एनसीपी के ही पूर्व नेता और पूर्व लोक सभा अध्यक्ष पीए संगमा, नगालैंड के वरिष्ठ कांग्रेस नेता तोखियो सेमा, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता रहे एसएम कृष्णा तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के नाम शामिल हैं।

आप भारतीय राजनीति का इतिहास उठा कर देख लीजिये, कांग्रेस की सरकारों के दौरान कभी भी विपक्ष से संबंध रखने वाले नेताओं को पद्म पुरस्कार या कोई अन्य बड़ा सम्मान नहीं दिया गया। 2005 में कांग्रेस सरकार ने जनता पार्टी के नेता रहे मोहन धारिया को जरूर पद्म पुरस्कार दिया था लेकिन मोहन धारिया को यह पुरस्कार सामाजिक क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया था। जब मोहन धारिया को पद्म पुरस्कार मिला था तब राजनीति से दूर हुए उन्हें लगभग दो दशक भी हो गये थे।

देखा जाये तो विपक्षी नेताओं पर आज तक किसी ने सर्वाधिक अत्याचार किये हैं तो वह पार्टी कांग्रेस ही है जिसने देश में आपातकाल लगाकर विपक्ष के नेताओं को बिना किसी कारण के महीनों तक जेल में ठूंस दिया था और उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को ही नहीं बल्कि मानवाधिकारों को भी कुचल दिया था। देश में लोकतंत्र को किसी ने सर्वाधिक चोट पहुँचायी है तो वह कांग्रेस ही है जिसने सर्वाधिक बार देश के विभिन्न राज्यों की विपक्षी सरकारों को गिराया या बर्खास्त किया।

बहरहाल, विपक्षी नेता कितना भी दुष्प्रचार करें, मोदी जबसे प्रधानमंत्री बने हैं तबसे उन्होंने एक ही नारा दिया है वह है- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। इस नारे को आगे बढ़ाते हुए वह देश को आगे बढ़ा रहे हैं। जिसे देश के साथ नहीं चलना है वह दुष्प्रचार फैला रहे हैं और जिसे देश के साथ बढ़ना है वह अमृत काल का आनंद लेते हुए आजादी के शताब्दी वर्ष के लिए तय किये गये लक्ष्यों को पूरा करने के संकल्प को सिद्ध करने में जुटे हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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