मोदी और ट्रंप दोनों को राहत पहुँचायेगा अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत दौरा

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अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत दौरा मोदी और खुद ट्रंप के लिए राहत भरा हो सकता है क्योंकि दोनों ही नेता अपने-अपने देश में घरेलू चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ट्रंप जहां महाभियोग की कार्रवाई झेल रहे हैं वहीं मोदी भारत में सीएए का विरोध कर रहे लोगों की नाराजगी झेल रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम तो आपको याद होगा ही। तब दुनिया ने पहली बार देखा था कि विश्व के दो सबसे बड़े और पुराने लोकतंत्र के नेता एक साथ एक मंच पर रैली करने के लिए उपस्थित हुए थे। अब यही नजारा एक बार फिर दिखने वाला है। जी हाँ, फरवरी माह में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आ रहे हैं और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गुजरात के अहमदाबाद में एक बड़ी रैली को संबोधित करने वाले हैं। इस कार्यक्रम का नाम हाउडी ट्रंप रखा जा सकता है। ट्रंप के भारत दौरे के कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए भारतीय और अमेरिकी अधिकारी दिन-रात एक किये हुए हैं। हाल ही में अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों ने ताज महल की सुरक्षा व्यवस्था का भी मुआयना किया क्योंकि आसार हैं कि ट्रंप अपनी पत्नी के साथ मोहब्बत के इस प्रतीक का दौरा करने जा सकते हैं। ट्रंप के भारत दौरे की योजना अचानक ही तब बनी जब इस वर्ष की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप ने एक दूसरे को नववर्ष की बधाई देने के लिए फोन पर बातचीत की।

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कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का भारत दौरा मोदी और खुद ट्रंप के लिए राहत भरा हो सकता है क्योंकि दोनों ही नेता अपने-अपने देश में घरेलू चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ट्रंप जहां महाभियोग की कार्रवाई झेल रहे हैं वहीं मोदी भारत में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोगों की नाराजगी झेल रहे हैं। ट्रंप के लिए भारत का दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस वर्ष के अंत में अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं और ट्रंप की नजर अमेरिका में बड़ी संख्या में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के वोटों पर भी है। ट्रंप खासतौर पर गुजरात इसलिए भी जा रहे हैं क्योंकि बड़ी संख्या में अनिवासी भारतीय इसी प्रदेश से हैं और अनिवासी भारतीयों पर मोदी का प्रभाव कुछ ज्यादा ही है। साथ ही यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि अमेरिका और ब्रिटेन में भारतीय प्रवासी एक महत्वपूर्ण वोट बैंक के रूप में देखे जाते हैं। अभी हाल ही में सबने देखा कि किस तरह भारतीय मूल के लोगों के वोट लेबर पार्टी से कंजर्वेटिव पार्टी की तरफ खिसके और बोरिस जॉनसन के नेतृत्व में कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार बन गयी। 

प्रधानमंत्री गत वर्ष सितम्बर में हुए 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में 'अबकी बार ट्रंप सरकार' का नारा लगवा चुके हैं अब देखना होगा कि क्या अहमदाबाद में भी वह यह नारा लगवाते हैं। हम आपको बता दें कि 'अबकी बार ट्रंप सरकार' के नारे का कांग्रेस ने विरोध किया था और कहा था कि यह भारत की विदेश नीति के खिलाफ है।

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वैसे अभी ट्रंप के भारत दौरे का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है लेकिन माना जा रहा है कि वह 21 से 26 फरवरी के बीच किन्हीं दो दिनों की भारत यात्रा पर आएंगे। साथ ही अमेरिकी अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि ट्रंप का इस दौरान पाकिस्तान जाने का कोई कार्यक्रम या योजना नहीं है। जम्मू-कश्मीर से 370 हटाये जाने के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप से कई बार मदद मांगी, खुद ट्रंप ने कई बार ऐसे बयान दिये जो भारत के लिए मुश्किल खड़े करने वाले थे लेकिन ट्रंप बार-बार पलटी भी मारते दिखे और भारत के साथ खड़े नजर आये। अब देखना होगा कि मोदी-ट्रंप का यह दोस्ताना क्या रंग लाता है। मोदी के पिछले अमेरिकी दौरे के दौरान जो व्यवसायिक करार नहीं हो पाये थे, माना जा रहा है कि अब सारी अड़चनें दूर हो चुकी हैं और दोनों देशों के व्यवसायिक संबंध नये शिखर पर पहुँचेंगे। भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक मंदी का जो प्रभाव हुआ है उससे बाहर आने में अमेरिकी व्यापारिक करार कुछ मदद कर सकते हैं। अमेरिका ने हाल ही में चीन के साथ व्यापार युद्ध समाप्त किया था और अब ट्रंप पिछले साल वापस लिये गये भारत के व्यापार लाभों को बहाल कर सकते हैं साथ ही भारत भी अमेरिकी कंपनियों को अपने बाजारों में अधिक पहुँच का तोहफा दे सकता है।

-नीरज कुमार दुबे

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