मोदी सरकार की आलोचना से पहले जरा इन आर्थिक उपलब्धियों पर निगाह डाल लें

economic achievements of modi government

भाजपा जहाँ ''48 साल बनाम 48 महीने'' का नारा देते हुए अपनी उपलब्धियों का बखान कर रही है वहीं कांग्रेस का कहना है कि इस सरकार ने देश और देश की जनता के साथ विश्वासघात किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के चार साल पूरे हो रहे हैं। भाजपा इस अवसर पर जहाँ '48 साल बनाम 48 महीने' का नारा देते हुए अपनी उपलब्धियों का बखान कर रही है वहीं कांग्रेस का कहना है कि इस सरकार ने देश और देश की जनता के साथ विश्वासघात किया है। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र की मोदी सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। वहीं भाजपा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में व्याप्त नीरसता को खत्म करते हुए लोगों में नया विश्वास जागृत किया है और सरकार न्यू इंडिया के निर्माण की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

चौथी वर्षगाँठ पर राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और अन्य तमाम मुद्दों पर मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यों की समीक्षा हो रही है। राजनीतिक समीक्षाएँ तो खैर चुनावों तक होती रहेंगी लेकिन सबसे ज्यादा जरूरत आर्थिक समीक्षा की है। हमने खास तौर पर दो सालों के आर्थिक आंकड़ों और अर्थ जगत से संबंधित खबरों का विश्लेषण किया। पेश है रिपोर्ट-

महंगाई की दर

यह एक ऐसा मुद्दा है जो आम जन से लेकर खास जन तक को प्रभावित करता है। महंगाई की बात करें तो अप्रैल 2018 में यह 3.18 प्रतिशत पर थी जबकि अप्रैल 2017 में यह 3.85 प्रतिशत पर थी। इस तरह देखा जाए तो साफ प्रतीत होता है कि मोदी सरकार महंगाई को कम करने और महंगाई दर को यथावत रखने में कामयाब रही। जो लोग इस बात के लिए सरकार की आलोचना करते हैं कि सरकार ने मुद्रास्फीति की दर मापने के पैमाने बदल दिये उन्हें यह सोचना चाहिए कि इन्हीं पैमानों को जब वैश्विक रेटिंग एजेंसियां और विश्व बैंक मान्यता दे रहा है तो विरोध की बात स्वतः ही खारिज हो जाती है।

इज ऑफ डुइंग बिजनेस

वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट ने भारत को खुश होने का मौका दिया। पिछले साल 130वें नंबर पर रहने के बाद इस साल यानी 2018 में भारत विश्व के टॉप 100 देशों के सूची में शामिल हुआ। इसे एक शानदार उछाल ही कहा जायेगा क्योंकि 30 अंकों का उछाल कोई छोटी मोटी बात नहीं है। इसके अलावा 10 में से 8 पैमानों पर भारत ने सुधार किया है और वर्ल्ड बैंक के मुताबिक 3 साल में ये 1 साल भारत के लिए सबसे ज्यादा सुधार वाला रहा है। इतना ही नहीं शिखर की तरफ बढ़ने में या तरक्की करने में भारत 8 फीसदी ऊपर चढ़ा है।

विश्व बैंक का अनुमान

विश्व बैंक से लेकर मौसम विभाग और महंगाई के आंकड़े तक, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चौतरफा खुशखबरी मोदी सरकार के कार्यकाल में रही है। विश्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष (2018-19) में भारत की विकास दर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। तो मौसम विभाग का कहना है कि इस बार मॉनसूनी बारिश अच्छी रहने से बंपर पैदावार होगी।

यही नहीं विश्व बैंक का यह भी कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था जीएसटी लागू करने के बाद विकास दर में आई अल्पकालिक गिरावट के दौर से बाहर निकल चुकी है। विश्व बैंक के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.5 फीसदी के स्तर पर रहेगी। 

मूडीज ने रेटिंग सुधारी

वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 13 साल बाद भारत की रेटिंग सुधारी। अमेरिकी रेटिंग्स एजेंसी मूडीज ने गत वर्ष के अंत में भारत की सॉवरन क्रेडिट रेटिंग्स को एक पायदान ऊपर कर दिया। एजेंसी ने स्टेबल आउटलुक देते हुए भारत की रेटिंग 'Baa2' कर दी। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत सरकार के स्थानीय और विदेशी मुद्रा जारी करने वाली रेटिंग्स 'Baa3' से बढ़ाकर 'Baa2' कर दी और रेटिंग आउटलुक को स्थिर से बढ़ाकर सकारात्मक कर दिया। बड़ी बात यह है कि विपक्ष नोटबंदी और जीएसटी के जिन मुद्दों पर मोदी सरकार पर बार-बार निशाना साधता रहा है, मूडीज के बयान में सरकार के उन्हीं कदमों की जमकर तारीफ की गई है। 

टूरिज्म सेक्टर को बढ़ावा

केपीएमजी और फिक्की की टूरिज्म सेक्टर पर ‘Expedition 3.0: Travel and hospitality gone digital’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2017 में ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर में 2 करोड़ 59 लाख रोजगार के अवसर मिले हैं। इतना ही नहीं टूरिज्म सेक्टर ने जीडीपी में 141.1 बिलियन का योगदान दिया है।

आर्थिक स्वतंत्रता

अमेरिकी थिंक टैंक ‘द हेरिटेज फाउंडेशन’ द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में आर्थिक स्वतंत्रता के इंडेक्स में भारत में काफी सुधार आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस इंडेक्‍स में भारत ने 13 अंकों की छलांग लगाई है। इससे स्‍पष्‍ट है कि चाहे कोई कुछ भी कहे परंतु मोदी सरकार की नीतियां रंग ला रही हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार में जोरदार वृद्धि

देश का विदेशी मुद्रा भंडार गत 19 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान 4.03 अरब डॉलर की जोरदार वृद्धि के साथ 379.31 अरब डॉलर की रिकॉर्ड उंचाई पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है।

प्रति व्यक्ति आय

निजी संपत्ति के साथ भारतीयों की औसत प्रति व्यक्ति आय में भी इजाफा हो रहा है और वह दुनिया में एक पायदान चढ़कर 126वें स्थान पर पहुंच गया है। भारत में प्रति व्यक्ति औसत जीडीपी पिछले साल 6,690 डॉलर के मुकाबले बढ़कर इस साल 7,170 डॉलर हो गया और यह दस फीसदी से ज्यादा का इजाफा है। भारत में औसत प्रति व्यक्ति आय करीब 7.170 डॉलर है।

औद्योगिक उत्पादन

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष फरवरी में औद्योगिक उत्पादन विकास दर 7.1 फीसदी के स्तर पर रही है। जबकि गत नवंबर में यह 8.54 फीसदी तथा इस वर्ष जनवरी में 7.4 फीसदी रही थी। फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर 8.7 फीसदी दर्ज की गई है।

वर्ल्ड वैल्थ रिपोर्ट

दुनिया के सबसे धनी देशों की सूची में भारत को छठा स्थान मिला है। देश की कुल संपत्ति 8,230 अरब डॉलर है। इस सूची में अमेरिका शीर्ष स्थान पर काबिज है। न्यू वर्ल्ड वेल्थ की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में 64,584 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ अमेरिका विश्व का सबसे धनी देश है। 

जन धन खाते

देश के सभी परिवारों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने के लिए शुरू की गई 'जन धन योजना' के खातों में कुल जमा राशि 80,000 करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गई है। सरकार के इस महत्वाकांक्षी वित्तीय समावेशन कार्यक्रम के बाद अधिकाधिक लोगों के जुड़ने से इन खातों में जमा राशि में तेजी आई। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जनधन खाते में कुल जमा राशि 11 अप्रैल 2018 को बढ़कर 80,545.70 करोड़ रुपये हो गई थी। 

आयात-निर्यात को बढ़ावा

अप्रैल-फरवरी 2017-18 के दौरान कुल मिलाकर 273730.91 मिलियन अमेरिकी डॉलर (1762897.63 करोड़ रुपये) का निर्यात हुआ, जो पिछले साल की समान अ‍वधि में हुए निर्यात के मुकाबले डॉलर के लिहाज से 11.02 फीसदी और रुपये के लिहाज से 6.43 फीसदी अधिक है।

अप्रैल-फरवरी, 2017-18 के दौरान आयात कुल मिलाकर 416865.64 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2684600.75 करोड़ रुपये) का हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि में हुए आयात के मुकाबले डॉलर के लिहाज से 21.04 फीसदी और रुपये के लिहाज से 15.99 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। जिन प्रमुख समूहों के आयात में उल्‍लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, उनमें पेट्रोलियम, कच्चा तेल और उत्पाद (32.05%), इलेक्ट्रॉनिक सामान (18.95%), विद्युत एवं गैर-विद्युत मशीनरी (23.04%), मोती, कीमती और अर्ध मूल्यवान पत्थर (15.86%) और कोयला, कोक एवं ब्रिकेट, आदि (17.73%) शामिल हैं।

नोटबंदी से हुआ बड़ा लाभ

विपक्ष अकसर सवाल करता है कि नोटबंदी से देश को क्या लाभ हुआ। लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता कि नोटबंदी के बाद के एक साल में बैंकों ने ब्याज दरों में 1 फीसदी तक की कटौती की। साथ ही नोटबंदी के बाद कैशलेस ट्रांजैक्शन को काफी बढ़ावा मिला। यही नहीं कालेधन के खिलाफ लड़ाई में भी नोटबंदी का फैसला काफी काम आया क्योंकि 17.92 लाख ऐसे लोगों की पहचान हुई जिनके बैंक खाते में जमा रकम का मेल उनकी आय से नहीं हुआ।

सरकार की आय बढ़ी

सरकार की सख्ती के चलते टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में 25.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 56 लाख नए करदाता जोड़ना कोई आसान बात नहीं है। 2016-17 में टैक्स रिटर्न 2.79 करोड़ के पार पहुंचा जो 2015-16 में 2.23 करोड़ रहा था।

फर्जी कंपनियों की पहचान

नोटबंदी के बाद करीब 2.24 लाख से ज्यादा ऐसी कंपनियों को बंद कर दिया गया, जिन्होंने 2 साल से कोई भी कामकाज नहीं किया। साथ ही 3 लाख डायरेक्टरों को अयोग्य घोषित किया गया।

डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा

2017-18 में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांजैक्शन (DBT) के जरिए 6.28 लाख करोड़ रुपए खातों में ट्रांसफर किये गये। इसके अलावा बैंकों ने PoS मशीनें बढ़ाईं। इसके अलावा सरकार ने UPI-BHIM ऐप के जरिये डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया। AEPS, IMPS और एम-वॉलेट का उपयोग करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी।

होम लोन हुआ सस्ता

यह मोदी सरकार का आर्थिक नीतियों का ही कमाल है कि आज होम लोन दरें अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल की होम लोन दरों के बराबर हैं। आज कोई भी बैंक होम लोन के लिए 9 प्रतिशत से ज्यादा की दर नहीं वसूल कर रहा जबकि संप्रग के कार्यकाल में होम लोन की दरें 12 प्रतिशत तक पहुँच गयी थीं।

मुद्रा योजना

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना युवाओं को स्वरोजगार अपनाने की दिशा में बड़ी सहायक साबित हुई। 31 मार्च 2018 तक 12.27 करोड़ लोगों को 5,71,655 करोड़ रुपए आवंटित किये जा चुके थे। खास बात यह रही कि इन 12.27 करोड़ लोगों में 9.03 करोड़ लोग महिला उद्यमी थीं।

जीएसटी

जीएसटी के क्रियान्वयन में शुरुआती खामियों के बाद अब सरकार इस सबसे बड़े कर सुधार को ठीक तरह से लागू कर पा रही है। इस बात की गवाही जीएसटी के तहत मिले कुल कर के आंकड़े दे रहे हैं। पहली बार जीएसटी कलेक्शन एक महीने में 1 लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गया है। सरकार ने अप्रैल के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि माह में कुल 1,03,458 करोड़ रुपये जीएसटी कलेक्शन हुआ है।

यह सही है कि पेट्रोल और डीजल, शराब तथा रियल एस्टेट को भी जीएसटी के तहत लाया जाना चाहिए लेकिन कोई भी सरकार अपनी कमाई छोड़ने को राजी नहीं है। साथ ही जीएसटी की दरें भी एक होनी चाहिए क्योंकि इसे लागू करने से पहले 'एक देश, एक कर' की बात कही गयी थी।

बहरहाल, यह साफ है कि विरासत में मिली बड़ी चुनौतियों के बावजूद मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को निराशा के सागर से निकालने में कामयाब रही और विभिन्न देशों के साथ हमारे जो द्विपक्षीय समझौते हुए और उनसे निवेश आने का जो सिलसिला शुरू हुआ है वह निश्चित ही भारत के विकास की रफ्तार को और तेज करेगा।

-नीरज कुमार दुबे

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