परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम ने इम्तिहान के भय को उत्सव में बदल दिया है

Pariksha Pe Charcha
ANI

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में बच्‍चे सीधे परीक्षाओं से संबंधित अपनी चिंताएं प्रधानमंत्री के साथ साझा करते हैं और उनसे परीक्षाओं और पढ़ाई से जुड़े सवाल करते हैं। इन प्रश्‍नों का उत्तर माननीय प्रधानमंत्री बड़ी रुचि, धैर्य और मनोयोग के साथ देते हैं।

परीक्षाओं को लेकर अक्‍सर कहा जाता है कि परीक्षा न तो आसान होती है, न कठिन होती है। जो विद्यार्थी ईमानदारी और मेहनत से पढ़ाई करते हैं, उनके लिए परीक्षा आसान होती है और जो विद्यार्थी नहीं पढ़ते हैं उनके लिए परीक्षा कठिन होती है। लेकिन, हमारी वर्तमान शिक्षा व्‍यवस्था ने परीक्षाओं को हमारे जीवन के एक ऐसे भयावह दौर में बदल दिया है, जो सभी को डर से भरे रखता है।

एक अभिनव पहल

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अभिनव पहल, ‘परीक्षा पे चर्चा’, देश के करोड़ों विद्यार्थियों को परीक्षाओं के प्रति भयमुक्‍त करने की दिशा में एक ठोस कदम है। वर्ष 2018 से जारी ‘परीक्षा पे चर्चा’ एक सालाना कार्यक्रम है, जिसमें माननीय प्रधानमंत्री न सिर्फ छात्रों, बल्कि देश के शिक्षकों और अभिभावकों से गहन चर्चा करते हैं, उनकी समस्‍यायें सुनते हैं और परस्‍पर चर्चा के माध्‍यम से उन्‍हें उनकी कठिनाईयों को दूर करने के समाधान भी सुझाते हैं।

संभवत: यह विश्‍व में अपने ढंग का एकमात्र कार्यक्रम है, जिसमें कोई राष्‍ट्राध्‍यक्ष जनता से परीक्षा जैसे विषय पर सीधे संवाद करता है। इस संवाद के अनेक सार्थक नतीजे भी सामने आए हैं। अब बच्‍चे परीक्षाओं को लेकर पहले की तुलना में कहीं ज्‍यादा आत्‍मविश्‍वास से भरे नजर आते हैं और उनके अभिभावक निश्चिंत, तो इसका श्रेय ‘परीक्षा पे चर्चा’ जैसे कार्यक्रम को दिया जाना चाहिए, जिसने एक एग्‍जामिनोफोबिया अर्थात् परीक्षा के भय को एक उत्‍सव के विषय में बदल दिया है, जो परिणाम की चिंता से ज्‍यादा कर्म के पीछे की लगन, मेहनत और विश्‍वास को प्राथमिकता देना सिखाता है।

काल्‍पनिक नहीं, वास्‍तविक है एग्‍जामिनोफोबिया

परीक्षाओं से पहले की बेचैनी और घबराहट को ‘एग्‍जामिनोफोबिया’ कहते हैं। यह वह डर है, जो किसी की कल्‍पना की उपज नहीं है, बल्कि एक ऐसी वास्‍तविकता है, जिसका साक्षात् हर उस व्‍यक्ति को होता है, जो कोई परीक्षा देने जा रहा है। ऐसे लोगों में सबसे बड़ी संख्‍या स्‍कूली छात्रों की होती है, तो इससे सर्वाधिक प्रभावित होने वालों में भी इन्‍हीं की संख्‍या ज्‍यादा होती है। यह एक ऐसी स्थिति है, जो हमें मनोवैज्ञानिक रूप से ही प्रभावित नहीं करती, बल्कि भावनात्मक और शारीरिक रूप से भी हम पर काफी नकारात्‍मक असर डालती है। एक सर्वेक्षण में, लगभग 66% छात्रों ने स्वीकार किया था कि वे बेहतर अकादमिक प्रदर्शन के दबाव में रहते हैं और परीक्षा में असफल होने का डर, उन्‍हें ज्‍यादातर समय तनाव में रखता है।

सुनी जाती है छात्रों के मन की बात

‘परीक्षा पे चर्चा’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कक्षा 9 से 12 के बच्चों को इसी तनाव और डर से निकालने के लिए उनके मन की बात सुनते हैं। यह किसी से छिपा नहीं है कि एक छात्र के जीवन में बोर्ड की परीक्षाओं का क्‍या महत्‍व होता है। इन्‍हें उत्तीर्ण करने के लिए उन्‍हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन, व्‍यर्थ का तनाव और भय, उनके आत्‍मविश्‍वास को डगमगा देता है, जिससे उनकी पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता है।

इसे भी पढ़ें: Pariksha Pe Charcha 2023: 27 जनवरी को PM मोदी की परीक्षा पर चर्चा, छात्रों-शिक्षकों और अभिभावकों के साथ करेंगे संवाद

खराब नतीजे, उनके जीवन को हताशा और कुंठा से भर देते हैं, जिसकी वजह से उनमें से बहुत से छात्र आत्‍महत्‍या जैसा अतिरेकपूर्ण कदम तक उठा लेते हैं। इससे भी अधिक भयावह स्थिति यह है कि बहुत से छात्र तो नतीजों से निकली निराशा की बजाय, परीक्षाओं के डर की वजह से ही आत्‍महत्‍या कर लेते हैं। यह कितना जानलेवा हो सकता है, इसका पता राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो के आंकड़ों से चलता है। छात्र आत्‍महत्‍या से संबंधित एनसीआरबी का डाटा बताता है कि इस परीक्षाओं में फेल होने के कारण 2014 से 2020 के बीच 12,582 बच्‍चों ने आत्‍महत्‍या की। ऐसे में ‘परीक्षा पे चर्चा’ जैसे कार्यक्रम कितना महत्‍वपूर्ण है, इसका अंदाजा लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है।

‘परीक्षा पे चर्चा’ का उद्देश्य

शिक्षा हर व्‍यक्ति के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है। यह उसे जीवन की यात्रा में सभ्‍य, सफल और समृद्ध बनने का मार्ग दिखाती है। परीक्षाएं इस यात्रा का वे पड़ाव होती हैं, जहां आपको पता चलता है कि आप अगले पड़ाव तक जाने के लिए कितना तैयार हैं। लेकिन, अपेक्षाओं का दबाव, परीक्षाओं को जीवन-मरण का प्रश्‍न बना देता है। ‘परीक्षा पे चर्चा’ में माननीय प्रधानमंत्री छात्रों को इन्‍हें सहज भाव से लेने के लिए प्रेरित करते हैं और इसे उत्‍सव के रूप में मनाने का संदेश देते हैं। इससे छात्रों पर पड़ने वाला परीक्षाओं का दबाव और उनकी वजह से उत्‍पन्‍न भय कम होता है और साथ ही उन्‍हें परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए सलाह भी मिलती हैं। ‘परीक्षा पे चर्चा’ में प्रधानमंत्री जी बच्‍चों को प्रेरित करते हुए पढ़ा हुआ भूल जाने की समस्‍या, बोर्ड परीक्षा की तैयारियां जैसे विषयों पर काफी उपयोगी जानकारियां प्रदान करते हैं।

शिक्षकों, अभिभावकों और बच्‍चों के बीच पुल का काम

एक बच्‍चे के जीवन में अभिभावक और शिक्षक, दोनों का महत्‍वपूर्ण स्‍थान होता है। यही दोनों, उसके भावी जीवन की दिशा तय करते हैं। ‘परीक्षा पे चर्चा’ एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसके जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधे संवाद के माध्‍यम से शिक्षकों, अभिभावकों और बच्‍चों के बीच पुल उपलब्‍ध कराते हैं। इससे वे एक-दूसरे की परिस्‍थितियों, भावनाओं, समस्‍याओं को भली-भांति समझने में सक्षम बनते हैं और इसी के अनुसार अपनी आगे की दिशा तय करते हैं।

हल्‍के-फुल्‍के अंदाज में काम की बातें

कार्यक्रम में बच्‍चे सीधे परीक्षाओं से संबंधित अपनी चिंताएं प्रधानमंत्री के साथ साझा करते हैं और उनसे परीक्षाओं और पढ़ाई से जुड़े सवाल करते हैं। इन प्रश्‍नों का उत्तर माननीय प्रधानमंत्री बड़ी रुचि, धैर्य और मनोयोग के साथ देते हैं। प्रधानमंत्री का कहना है कि अगर हम बच्चों में से परीक्षा की तनाव और डर खत्म कर देंगे, तो बच्चे और अच्छा फोकस कर पाएंगे। इसी पर केंद्रित ‘परीक्षा पे चर्चा’ एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसमें परीक्षा जैसे गंभीर विषय पर होने वाली चर्चा बेहद रोचक और सहज ढंग से की जाती है। इससे वातावरण बोझिल होने से बचा रहता है और सभी सम्मिलितों को अपने काम की जानकारियां भी‍मिल जाती हैं। इसी वजह से इस आयोजन को जनता का भारी प्रतिसाद मिलता है।

पिछली बार के ‘परीक्षा पे चर्चा’ में भी प्रधानमंत्री ने कई बेहद रोचक व उपयोगी बातें कहीं। जैसे ध्‍यान और एकाग्रता को सिर्फ ऋषि-मुनियों से जोड़कर नहीं देखना चाहिये। हम सब को अपने दैनिक जीवन में इनकी आवश्‍यकता होती है। उन्‍होंने छात्रों को सलाह दी कि वे जो सीखते हैं, उसे अपने दोस्‍तों के साथ दोहराने की आदत विकसित करें, इससे उन्‍हें अपना सीखा याद रखने में सहायता मिलेगी। उन्‍होंने बच्‍चों से यह भी कहा कि वे परीक्षाओं को लेकर दहशत में रहने या दोस्‍तों की नकल करने की बजाये, जो जानते हैं उसे ही पूरे आत्‍मविश्‍वास से करें। मोदी ने बच्‍चों को एक रोचक सलाह दी कि वे परीक्षा को पत्र लिखें और उसे अपनी तैयारियों और मेहनत के बारे में बताएं। इससे उनमें आत्‍मविश्‍वास का संचार होगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने माता-पिताओं को भी समझाया कि वे कभी-कभी अपने बच्चों की ताकत और रुचियों को पहचानने में विफल हो जाते हैं और उन्‍हें यह समझना चाहिए कि हर बच्चे में कुछ ऐसा असाधारण होता है, जिसे माता-पिता और शिक्षक कई बार खोजने में विफल रहते हैं।

पांच साल से जारी है सिलसिला

‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम 2018 में आरंभ हुआ था। इसके बाद इसका दूसरा, तीसरा, चौथा और पांचवां संस्‍करण 2019, 2020, 2021 व 2022 में आयोजित हुए थे। यह एक ऑफलाइन कार्यक्रम है, लेकिन 2021 में कोरोना संक्रमण के चलते इसे ऑनलाइन आयोजित किया गया। इसमें देशभर से बच्‍चे, माता-पिता और शिक्षक हिस्‍सा लेते हैं। पिछले साल अप्रैल में यह ऑफलाइन और ऑनलाइन, दोनों मोड में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम बच्‍चों  और बड़ों, दोनों में ही काफी लोकप्रिय है। खासकर विद्यार्थियों में तो इसे लेकर काफी उत्‍साह रहता है। पिछली बार इस कार्यक्रम में रचनात्‍मक लेखन प्रतियोगिता के लिए करीब सोलह लाख बच्‍चों ने रजिस्‍ट्रेशन कराया था। इन दिनों इसके छठवें संस्‍करण के लिए रजिस्‍ट्रेशन चल रहा है, इच्‍छुक माता-पिता, शिक्षक और विद्यार्थी इसमें भाग लेने के लिए <https://www.mygov.in/> के माध्‍यम से पंजीकरण करा सकते हैं। इसके लिए उन्‍हें एक चयन प्रतियोगिता में हिस्‍सा लेना होगा, जो विजयी होंगे, उन्‍हें प्रधानमंत्री से बात करने का अवसर मिलेगा।

-प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी

महानिदेशक, भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़