वैश्विक लोकप्रियता के साथ ही विश्वसनीयता में भी सबसे आगे हैं पीएम नरेंद्र मोदी

Narendra Modi
Prabhasakshi

देखा जाये तो नरेन्द्र मोदी का एग्रेसिव रवैया ही उनकी लोकप्रियता का बड़ा कारण है। कठोर से कठोर और कड़े से कड़े निर्णय भी एक झटके में लेने की क्षमता और मोव को अपने पक्ष में करने क्षमता ही नरेन्द्र मोदी का लोकप्रियता के शिखर पर पंहुचाती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर विरोधियों द्वारा लाख आरोप प्रत्यारोप लगाये जाते रहे हो पर इसमें कोई दो राय नहीं कि आज की तारीख में लोकप्रियता में दुनिया के दिग्गज नेताओं में शीर्ष पर कोई नेता है तो वह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन या रुस के पुतिन हो या अमेरिका के ही पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के आसपास भी नहीं टिकते है। अमेरिका की कंसल्टेंसी फर्म मार्निंग कंसल्ट द्वारा इसी माह की शुरुआत में करवाये गए सर्वें में यह साफ हो गया है कि सर्वें में हिस्सा ले रहे दुनिया के देशों के लोगों में 76 फीसदी लोगों की पंहली पसंद नरेन्द्र मोदी रहे हैं। लोकप्रियता में नकारने वाले भी केवल 18 फीसदी ही है जबकि 6 फीसदी ने अपनी कोई राय उजागर नहीं की है। इससे पहले अमेरिकी थिंक टेंक प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश के 10 में से 8 व्यक्ति नरेन्द्र मोदी के प्रति सकारात्मक राय रखते हैं। यानी कि देश के 80 फीसदी लोग नरेन्द्र मोदी में विश्वास रखते हैं। 55 फीसदी लोगों की पहली पंसद नरेन्द मोदी है। देश की केवल 20 फीसदी आबादी नरेन्द्र मोदी को पसंद नहीं करती है। लोकप्रियता की सूची में मजे की बात यह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन इस लोकप्रियता की श्रेणी में 8 वें पायदान पर हैं।

दरअसल विश्वव्यापी लोकप्रियता अर्जित करना कोई सामान्य बात नहीं होती है। हमारे देश के लिए तो यह और भी गर्व की बात हो जाती है कि हमारे नेता की लोकप्रियता दुनिया में पहले पायदान पर है। मजे की बरत यह है कि लोकप्रियता के साथ ही विश्वसनीयता में भी सबसे आगे हैं। एक बात साफ हो जानी चाहिए कि लोकप्रियता में अव्वल आना इस मायने में बड़ी बात हो जाती है कि 76 फीसदी को मतलब साफ है कि यह लोकप्रियता का कोई मामूली आंकड़ा नहीं है अपितु लोकप्रियता के दूसरे पायदान पर रहे मैक्सिकों के राष्ट्रपति एन्ड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर से पूरे दस प्रतिशत अधिक है। यानी कि नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का आंकड़ा 76 फीसदी है तो दूसरे पायदान पर रहे मैक्सिको के राष्ट्रपति की लोकप्रियता का आंकड़ा 66 फीसदी यानी कि दस फीसदी कम है। सूची के अनुसार तीसरे पायदान पर स्विट्जरलैंड, चौथे पर ब्राजील, पांचवें पर आस्ट्रेलिया और छटे पायदान पर इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी रही है। मेलोनी जिसको लेकर पिछले दिनों सोशियल मीडिया पर एक से एक मीम्स चलाये जा रहे थे उनके और नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता में पूरे 35 फीसदी का अंतर है।

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देखा जाये तो नरेन्द्र मोदी का एग्रेसिव रवैया ही उनकी लोकप्रियता का बड़ा कारण है। कठोर से कठोर और कड़े से कड़े निर्णय भी एक झटके में लेने की क्षमता और मोव को अपने पक्ष में करने क्षमता ही नरेन्द्र मोदी का लोकप्रियता के शिखर पर पंहुचाती है। वैश्विक सम्मेलनों और मंचों पर ऐसा लगता है जैसे दुनिया के देशों का नेतृत्व नरेन्द्र मोदी ही कर रहे हो। बॉडी लैंग्वेज ही ऐसी कि लगता यही है कि जैसे आज की तारीख में विश्व के नेताओं के कोई लीडर दिखाई देते है तो वह नरेन्द्र मोदी ही लगते हैं। भले ही इतर राय रखने वाले कुछ भी कहे या कुछ भी मनोभाव रखे पर अभी तो जो कुछ दिख रहा है वह साफ है और नरेन्द्र मोदी की सर्वमान्य नेता के रुप में भी प्रतिस्थापित करता है। अब मोदी विरोधी इसका कारण मोदी की एग्रेसिव मार्केंटिंग, मीडिया मैनेजमेंट, तथ्यों के साथ तोड़ मरोड़ या कुछ भी कहे पर अंततोगत्वा जो दिख रहा है या जो सर्वें रिपोर्टस में आ रहा है या जैसा देशवासी अनुभव कर रहे हैं उसे सिरे से नकारा नहीं जा सकता। अब इस यों भी समझा जा सकता है कि कश्मीर में धारा 370 को समाप्त करने का निर्णय और दुनिया के देशों द्वारा उफ् भी नहीं करना अगले की कूटनीतिक क्षमता को सिद्ध करता है। पाकिस्तान और चीन को अलग थलग करना हो या फिर रुस यूक्रेन युद्ध या इजरायल हमास युद्ध कहीं भी नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं हुआ। विरोधी देशों के संकट के दौरान सहायता में सबसे आगे रहना, अरब देषों को भी भारत के पक्ष में बनाये रखना, अमेरिका और रुस दोनों को ही साधे रहना अपने आप में बड़ी बात है। कोरोना दौर में भारतीय वैक्सीन के माध्यम से दुनिया के देशों के मानव इतिहास के सबसे बड़े संकटकाल में सहभागी के रुप में आगे आना लोकप्रियता और विश्वसनीयता बनाए रखने की बड़ी सफलता है। अमेरिका में ओबामा फिर ट्रम्प और अब जो बाइडन काल में भी समान अधिकार के साथ संबंध बनाए रखना बड़ी बात है। पाकिस्तान को दुनिया के देशों से अलग थलग करना तो मोदी के लिए मामूली बात सिद्ध हुई है। 

दरअसल आज के दौर में वैश्विक नेता के लिए बोल्ड होने, एग्रेसिव होने, कठोर व त्वरित निर्णय लेने वाले नेता लोगों की पसंद बनते जा रहे हैं। अच्छे बुरे परिणाम की चिंता कर निर्णय की उहापोह में फंसे नेता आज के लोगों की पसंद हो ही नहीं सकते। इसका बड़ा कारण दुनिया में वैश्विक संकटों का दौर चलना है। संकटों के दौर में लोगों का यह मानना रहता है कि हमें आलोचना प्रत्यालोचना या आगा पीछा सोच कर निर्णय लेने वाला नहीं अपितु त्वरित और कठोर निर्णय लेने वाला नेता चाहिए। और इसमें कोई दो राय नहीं कि नरेन्द्र मोदी इस पर खरे उतरे हैं।

- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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