बीमार नेताओं को भी नहीं छोड़ते राहुल गांधी, हैल्दी नेता सावधान रहें !

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राहुल गांधी ने किसी बीमार नेता के नाम पर पहली बार राजनीति की हो ऐसा नहीं है। याद कीजिये गत वर्ष जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य बिगड़ा तो राहुल गांधी उन्हें देखने के लिए सबसे पहले पहुँचे थे और अब पर्रिकर का हाल जानने के बहाने राजनीति पर उतर आये।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्यार भरी राजनीति करने की बात करते हैं, मानवता की बात करते हैं लेकिन खुद कितनी मानवता दिखाते हैं यह हाल के दिनों में कई बार देखने को मिला। अपनी पार्टी के बीमार नेताओं का हाल जानने अस्पताल भले नहीं जाएं लेकिन विपक्ष खासकर भाजपा का कोई बड़ा नेता बीमार है तो उसका हाल जानते हैं और अस्पताल भी चले जाते हैं। अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भले राहुल गांधी दरकिनार कर दें लेकिन भाजपा में यदि कोई वरिष्ठ नेता दरकिनार किया जाये तो उन्हें पीड़ा होती है।

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मामला क्या है ?

2019 के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी को जिताने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे राहुल गांधी कई बार पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठते दिखते हैं लेकिन उसके ठीक बाद कुछ ऐसा कर देते हैं जिससे सब किये धरे पर पानी फिर जाता है। हालिया मामला गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर से संबंधित है। निजी दौरे पर जब राहुल गांधी गोवा में थे तब उन्होंने पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे पर्रिकर से उनका हाल जानने के लिए विधानसभा परिसर में मुलाकात की। यह मुलाकात शिष्टाचार भेंट के रूप में ही देखी जा रही थी और गोवा सरकार के मंत्रियों ने खुल कर राहुल गांधी के इस कदम की सराहना की थी। लेकिन ठीक उसी दिन शाम को कोच्चि में बूथ स्तरीय पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने राफेल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए दावा किया कि पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ‘नये सौदे’ से उनका कोई लेना-देना नहीं है। राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा, ‘‘दोस्तों, पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि नये सौदे से उनका कोई लेना-देना नहीं है, जिसे नरेन्द्र मोदी ने अनिल अंबानी के फायदे के लिए किया।’’ राहुल गांधी के इस बयान को लेकर हंगामा होना ही था।

खड़ा हो गया बड़ा राजनीतिक विवाद

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले काफी अर्से से बीमार चले रहे गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर से राहुल गांधी की मुलाकात एवं राफेल पर उनके बयान से जुड़े घटनाक्रम में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने बीमारी से संघर्ष कर रहे एक व्यक्ति के नाम पर झूठ बोलकर असंवेदनशीलता का परिचय दिया है। खुद पर्रिकर ने एक पत्र लिख कर राहुल गांधी के बयान पर सवाल उठाये। पर्रिकर ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने राफेल मुद्दे पर ‘‘झूठे बयान’’ देकर शिष्टाचार भेंट का इस्तेमाल ‘‘तुच्छ राजनीतिक फायदे’’ के लिये किया। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने उनके साथ हुई बातचीत साझा नहीं की। गांधी ने दावा किया है कि भाजपा नेता पर्रिकर ‘‘दबाव में’’ हैं। पर्रिकर को भेजे और सोशल मीडिया अकाउंट पर डाले संदेश में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने अपने भाषणों में राफेल मामले से जुड़ीं वही बातें की हैं जो पहले से सार्वजनिक पटल पर हैं। गांधी ने यह जवाब पर्रिकर द्वारा उन्हें पत्र लिखने के बाद दिया। इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में पर्रिकर ने कहा, ''मैं इसे लेकर बेहद आहत हूं कि आपने इस मुलाकात का इस्‍तेमाल भी अपने तुच्छ राजनीतिक फायदे के लिए किया। आपने मेरे साथ महज पांच मिनट का वक्‍त बिताया और इस दौरान न तो आपने राफेल के बारे में कुछ जिक्र किया और न ही हमने इस संबंध में कोई चर्चा की।''


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कांग्रेस ने सोच समझ कर चली थी चाल

इस पूरे मामले में देखें तो राहुल गांधी ने सीधे-सीधे राजनीतिक लाभ लेने का खेल रचा। यह सही है कि कोच्चि में दिये अपने भाषण में उन्होंने कहीं भी यह नहीं कहा कि पर्रिकर से मुलाकात के दौरान राफेल मुद्दे पर बातचीत हुई। लेकिन आप यह देखिये कि राहुल ने माहौल क्या बनाया। सुबह खबर चली कि पर्रिकर से मुलाकात हुई और शाम को पर्रिकर का हवाला देते हुए राफेल मुद्दे पर मोदी सरकार पर निशाना साधा। साफ है कि लोगों के बीच यह भ्रम पैदा करने का प्रयास किया गया कि राफेल मामले पर मनोहर पर्रिकर से बातचीत के आधार पर राहुल प्रधानमंत्री पर हमला बोल रहे हैं।


राहुल गांधी बार-बार ऐसा क्यों करते हैं ?

राहुल ने किसी बीमार नेता के नाम पर पहली बार राजनीति की हो ऐसा नहीं है। याद कीजिये गत वर्ष जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य बिगड़ा तो राहुल गांधी उन्हें देखने के लिए सबसे पहले पहुँचे और खूब वाहवाही बटोरी लेकिन उसी शाम उन्होंने पार्टी के एक सम्मेलन को मुंबई में संबोधित करते हुए कहा, ''भाजपा अपने वरिष्ठ नेताओं का अनादर करती है और जब वाजपेयीजी को अस्पताल में दाखिल किया गया तो मैं सबसे पहले उनसे मिलने पहुँचा।'' उनके इस बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष अब हाल चाल पूछने पर भी राजनीति करने लग गये हैं।

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यही नहीं केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का ही मामला लीजिये। वह पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे हैं और अधिकतर फेसबुक पोस्टों के माध्यम से विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं। जेटली के स्वास्थ्य पर भी राहुल गांधी कई बार अप्रत्यक्ष रूप से हमला कर चुके हैं।

बहरहाल, क्योंकि लोकसभा चुनाव बेहद करीब हैं इसलिए हर पार्टी और नेता एक दूसरे पर निशाना साधने के लिए कोई मौका चूकेंगे नहीं लेकिन अपनी राजनीति चमकाने के चक्कर में किसी बीमार व्यक्ति को मोहरा नहीं बनाया जाये तो अच्छा रहेगा। जो व्यक्ति (मनोहर पर्रिकर) नाक में नली के साथ गोवा की सेवा में लगा हुआ है और अंतिम सांस तक राज्य के लिए काम करते रहने का दमखम दिखा रहा है उसको मोहरा बनाकर राहुल गांधी ने कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुँचाया है।

- नीरज कुमार दुबे

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