पहले नींबू मिर्च बांध कर राफेल का मजाक उड़ाया, अब आत्मसमर्पण की बात कह सेना पर सवाल उठाया

rahul gandhi ajai rai
ANI

'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता पर सवाल उठाने वाले राहुल गांधी समेत तमाम नेताओं को यह समझना होगा कि किसी भी सूरत में सेना के मनोबल को गिराने का काम कतई नहीं करना चाहिए। ऐसे नेताओं को सरकार की बात पर यकीन नहीं है तो उन्हें सेना की बात सुननी चाहिए।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फोन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तुरंत ‘आत्मसमर्पण’ कर दिया। आश्चर्य की बात यह है कि एक ओर कांग्रेस 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता का जश्न मनाने और भारतीय सैन्य बलों के पराक्रम को सलाम करने के लिए देशभर में जय हिंद सभाएं कर रही है तो दूसरी ओर उसके शीर्ष नेता कह रहे हैं कि भारत ने आत्मसमर्पण कर दिया। देखा जाये तो राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जो सीधा हमला किया है वह अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय सैन्य बलों पर भी हमला है क्योंकि युद्ध के मैदान में वही डटे हुए थे। आश्चर्य की बात यह है कि एक ओर पाकिस्तान रोज नये नये खुलासे करते हुए बता रहा है कि भारत ने हमारा ये भी नुकसान कर दिया, भारत ने हमारा वो भी नुकसान कर दिया...मगर राहुल गांधी कह रहे हैं कि भारत ने आत्मसमर्पण कर दिया। लोकतंत्र में एक दूसरे पर राजनीतिक हमले करना स्वाभाविक है लेकिन हर बार सेना के शौर्य पर सवाल उठा देना गलत है।

सर्जिकल स्ट्राइक और एअर स्ट्राइक के सबूत मांगने वालों के लिए चूंकि 'ऑपरेशन सिंदूर' के वीडियो पहले दिन से ही सार्वजनिक रूप से मौजूद थे, इसलिए राहुल गांधी ने पूरे ऑपरेशन की सफलता पर ही सवाल उठा दिये हैं। राहुल गांधी का आत्मसमर्पण वाला बयान उस दौरान आया जब भारत के सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनिया के 33 देशों की यात्रा के दौरान वहां की सरकारों को आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की भारत की नीति से अवगत कराते हुए स्पष्ट कर रहे थे कि अगर हमारी धरती पर आतंकवादी हमले होते हैं तो हम आतंकवादियों और उन्हें प्रायोजित करने वालों को दंडित करना जारी रखेंगे। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि कहीं राहुल गांधी ने भारत के इस कूटनीतिक अभियान को क्षति पहुँचाने के मकसद से तो यह बयान नहीं दिया? सवाल यह भी उठता है कि प्रतिनिधिमंडलों में शामिल विपक्षी नेता जिस तरह भारत का पक्ष दृढ़ता से रख रहे थे कहीं उसको देख कर तो राहुल का गुस्सा नहीं भड़क गया है? सवाल यह भी उठता है कि विदेश दौरों पर भारत की सरकार और संवैधानिक संस्थानों पर सवाल उठाने वाले राहुल गांधी को कहीं विदेशों में भारत की सरकार की बढ़ती स्वीकार्यता तो नहीं चुभ रही थी?

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सीडीएस अनिल चौहान की बात को सुनना चाहिए

'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता पर सवाल उठाने वाले राहुल गांधी समेत तमाम नेताओं को यह समझना होगा कि किसी भी सूरत में सेना के मनोबल को गिराने का काम कतई नहीं करना चाहिए। ऐसे नेताओं को सरकार की बात पर यकीन नहीं है तो उन्हें सेना की बात सुननी चाहिए जोकि 'ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत से ही सारी बातें देश को बता रही है। स्वयं सीडीएस भी इस बारे में विस्तार से जानकारी दे चुके हैं। एक दिन पहले पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने और जानकारी देते हुए बताया है कि पाकिस्तान ने 10 मई की सुबह कई हमले किए, जिनका उद्देश्य भारत को 48 घंटे में शिकस्त देने का था, लेकिन खुद उसने आठ घंटे में ही घुटने टेक दिए थे और शत्रुता समाप्त करने के लिए उसे नयी दिल्ली से संपर्क करना पड़ा था। जनरल चौहान ने कहा था कि पहलगाम आतंकवादी हमले पर भारत की कार्रवाई सीमा पार आतंकवाद के प्रति ‘‘सहनशक्ति की हद’’ निर्धारित करने के साथ ही इस्लामाबाद के परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करने की थी।

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में अपने संबोधन में जनरल चौहान ने यह बात स्वीकार करने के लिए हो रही अपनी आलोचना को खारिज किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के प्रारंभिक चरण में भारत ने अनिर्दिष्ट संख्या में लड़ाकू जेट विमान खो दिए। जनरल चौहान ने कहा कि पेशेवर सेनाएं अस्थायी नुकसान से प्रभावित नहीं होतीं, क्योंकि समग्र परिणाम ऐसे नुकसान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मान लीजिए कि आप क्रिकेट टेस्ट मैच खेलने उतरते हैं और पारी से जीत जाते हैं, तो विकेट और गेंद आदि का सवाल ही नहीं उठता।’’ सीडीएस ने कहा, ‘‘जब मुझसे हमारी ओर से हुई क्षति के बारे में पूछा गया तो मैंने कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि परिणाम और आप कैसे कार्य करते हैं, यह महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दस मई को रात लगभग एक बजे, उनका (पाकिस्तान का) लक्ष्य 48 घंटों में भारत को शिकस्त देने का था। कई हमले किए गए और किसी न किसी तरीके से उन्होंने इस संघर्ष को बढ़ा दिया। जबकि हमने वास्तव में केवल आतंकवादी ठिकानों को ही निशाना बनाया था।’’ जनरल चौहान ने कहा कि पाकिस्तान ने सोचा था कि भारत के खिलाफ उसका ‘ऑपरेशन’ 48 घंटे तक चलेगा, लेकिन वह खुद आठ घंटे में ही अपनी हार मान बैठा। सीडीएस ने कहा, ‘‘फिर उन्होंने (पाकिस्तान) फोन उठाया और कहा कि वे हमसे बात करना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब पाकिस्तान की ओर से बातचीत करने और तनाव कम किए जाने का अनुरोध आया तो हमने उसे स्वीकार कर लिया।’’

सीडीएस ने कहा कि युद्ध में यदि नुकसान भी होता है, तो आपको अपना मनोबल बनाए रखना होता है। उन्होंने कहा कि नुकसान महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि परिणाम महत्वपूर्ण हैं। जनरल चौहान ने अभियान में जुड़े जोखिमों के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, ‘‘आप हर तरह की आकस्मिकता के लिए 100 प्रतिशत तैयार नहीं हो सकते और आपके पास उसके बारे में 100 प्रतिशत जानकारी नहीं हो सकती। हर सैन्य अभियान में जोखिम का तत्व शामिल होता है। बस एक बात यह है कि इसके बारे में एक अनुमान होना चाहिए।’’ 

भारत के सैन्य हमलों के बारे में उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी ठिकानों पर बहुत सोच-समझकर सटीक हमले किए। नयी दिल्ली के समग्र दृष्टिकोण के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘हमने मानदंड बढ़ा दिए हैं; हमने आतंकवाद को पानी से जोड़ा है, हमने आतंकवाद के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की नयी रेखा खींच दी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है। यह जारी है। यह शत्रुता में एक अस्थायी विराम है। हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है।’’ जनरल चौहान ने यह भी याद दिलाया कि किस प्रकार पाकिस्तानी नेता भारत के खिलाफ नफरत फैलाते रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 1965 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने भारत के खिलाफ एक हजार साल के युद्ध की बात कही थी। पहलगाम हमले से ठीक दो दिन पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणी की थी।’’

पाकिस्तान को गहरे जख्म मिले हैं

हम आपको यह भी बता दें कि पाकिस्तान के एक नये दस्तावेज ने पिछले महीने चार दिनों तक चले सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी ठिकानों पर भारत के सटीक हमलों पर नये सिरे से रोशनी डाली है, क्योंकि इसमें कम से कम सात ऐसे ठिकानों का जिक्र किया गया है, जिनके बारे में पहले पता नहीं था। दस्तावेज में कहा गया है कि भारत ने खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के पेशावर, सिंध प्रांत के अटक, बहावलनगर, छोर और हैदराबाद तथा पंजाब प्रांत के गुजरात और झंग में विभिन्न ठिकानों को निशाना बनाया। यह विवरण पाकिस्तान की ओर से ‘ऑपरेशन बनयान-उम-मर्सूस’ पर जारी किए गए दस्तावेज में शामिल है, जिसे भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाब में शुरू किया गया था। पाकिस्तानी मीडिया के साथ साझा किए गए दस्तावेज में आठ, नौ और 10 मई को भारत की ओर से पाकिस्तान में किए गए ड्रोन हमलों का विस्तृत ब्योरा दिया गया है।

बहरहाल, हम आपको याद दिला दें कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय ने राफेल विमान के मॉडल में नींबू मिर्च टांग कर भारतीय वायुसेना की खिल्ली उड़ाई थी। उनका वह वीडियो पाकिस्तान में काफी वायरल हो गया था। इसी तरह भारत के आत्मसमर्पण का दावा करके राहुल गांधी पाकिस्तानी मीडिया में छा गये हैं। वहां के समाचार-पत्रों में तो उनके बयान को अच्छी खासी कवरेज मिली ही है। पाकिस्तानी टीवी समाचार चैनल भी इसी बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं और संघर्ष में पाकिस्तान की जीत के दावे कर रहे हैं।

(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)
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