मानवाधिकार तो दिखावा है, पाक एजेंट डेबी अब्राहम का काम दुष्प्रचार फैलाना है

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कौन नहीं जानता कि ब्रिटेन की ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप ऑफ कश्मीर की अध्यक्ष और लेबर पार्टी की सांसद डेबी अब्राहम पाकिस्तान के पिट्ठू कहे जाने वाले राजा नजाबत हुसैन के माध्यम से चौबीसों घंटे पाकिस्तान के संपर्क में रहती हैं।

पाकिस्तान सरकार और आईएसआई के साथ अपनी नजदीकियों के लिए जानी जाने वालीं ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम को भारत ने दिल्ली पहुँचने पर एयरपोर्ट से ही उलटे पाँव लौटने पर मजबूर कर दिया तो वह भड़क गयीं और भारत सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगाने लगीं। डेबी अब्राहम सिर्फ मोदी सरकार की आलोचक नहीं हैं बल्कि वह भारत विरोधी हैं, वह भारत की संप्रभुता की विरोधी हैं, वह भारत के विकास की विरोधी हैं, वह भारत की खुशहाली की विरोधी हैं। अपने पाकिस्तानी आकाओं के इशारों पर जब-तब ब्रिटेन में कश्मीर मुद्दे पर झूठ फैलाने वालीं डेबी अब्राहम के बारे में खुफिया एजेंसियों के पास पूरे सबूत थे कि वह किस प्रकार भारत विरोधी ताकतों के हाथों में खेल रही हैं और इसी वजह से उनका बिजनेस वीजा कैंसल कर दिया गया जोकि 5 अक्तूबर 2020 तक वैध था। भारत ने वीजा रद्द करने के फैसले की जानकारी डेबी अब्राहम को ईमेल के जरिये 14 फरवरी को ही दे दी थी और उस ईमेल को देख भी लिया गया था लेकिन उसके बावजूद भारत को बदनाम करने के अभियान के लिए डेबी ने फ्लाइट पकड़ी और उतर गयीं इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर। डेबी ने सोचा कि जैसे गुलामी के समय भारत में ब्रिटिशों का जलवा होता था वैसा ही माहौल होगा। लेकिन डेबी भूल गयीं कि यह नया भारत है, संप्रभु भारत है जिसका अपना संविधान है, अपने नियम कायदे हैं और वह हर किसी पर समानता के साथ लागू होते हैं। डेबी को हवाई अड्डे पर जब बताया गया कि वह यहां से बाहर नहीं निकल सकतीं और उन्हें वापस जाना होगा तो वह अधिकारियों पर ही भड़क गयीं। वह अपना बिजनेस वीजा दिखाने लगीं तो उन्हें बताया गया कि यह रद्द किया जा चुका है इस पर उन्होंने रद्द करने का कारण पूछा। अब डेबी अब्राहम यहां सवाल हम आपसे ही पूछना चाहेंगे कि ब्रिटिश संसद में होने के बावजूद क्या आप इतनी सी बात भी नहीं जानतीं कि किसी को वीजा देना, उसकी अवधि बढ़ाना या उसे अचानक रद्द करना किसी भी देश का संप्रभु अधिकार है।

डेबी अब्राहम शुरू से ही भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रही हैं लेकिन भारत ने उदारता दिखाते हुए उन्हें पिछले साल ई-बिजनेस वीजा जारी किया था जो सिर्फ कारोबारी बैठकों में भाग लेने के लिए था लेकिन डेबी इस वीजा का इस्तेमाल अपने कश्मीर संबंधी अभियान के लिए करने चली थीं। उनकी दलील थी कि मैं सिर्फ अपने दोस्तों और परिजनों से मिलना चाहती हूँ लेकिन बिजनेस वीजा के नियमों में दोस्त और परिजन से मुलाकात आती ही नहीं। डेबी अब्राहम को सांसद कैसे चुन लिया गया यह अपने आप में बड़ा सवाल है क्योंकि उन्हें यह पता ही नहीं था कि ब्रिटिश नागरिकों के लिए भारत में आगमन पर वीजा सुविधा उपलब्ध ही नहीं है। उनकी यह अज्ञानता तब प्रकट हुई जब वह एयरपोर्ट पर अपने लिये आगमन पर वीजा सुविधा मांगने लग गयीं। वहां उन्हें बताया गया कि वह सामान्य वीजा के लिए आवेदन कर सकती हैं और वह भी नियमानुसार और यह देना है या नहीं, इसका फैसला भारत की सरकार ही करेगी। 

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खैर...इतने ड्रामे के बाद डेबी अब्राहम को यह समझ आ गया कि भारत में अपनी दाल गलने वाली नहीं है और वह वापस लौटने लगीं लेकिन वापस वह ब्रिटेन जाने की बजाय अपने आका और दुनिया में आतंकवाद की फैक्ट्री के नाम से मशहूर पाकिस्तान पहुँच गयी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री महमूद कुरैशी तथा पाकिस्तानी सांसदों और नेताओं के साथ चर्चा कर उनके चेहरे पर खुशी आ गयी और उन्हें यह महसूस हुआ कि उन्होंने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बड़ा योगदान कर दिया है। डेबी अब्राहम यह सवाल आपसे हैं कि क्या आपने बलूचिस्तान के नेताओं से मुलाकात कर वहां की जनता का हाल जानने की भी कोशिश की ? क्या आपने कबायली इलाकों के नेताओं से मुलाकात कर वहां के लोगों की दुर्दशा जानने की कोशिश की ? जवाब होगा नहीं क्योंकि जिस आईएसआई और पाकिस्तान की सरकार से आपको फंडिंग मिलती है वह आपको वहां जाने नहीं देंगे। अपने अंदर धधकती भारत विरोध की ज्वाला लिये आप अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर एलओसी या पीओके का दौरा कर स्वयं को भले मानवाधिकार कार्यकर्ता समझें लेकिन असल में आप दुष्प्रचार और भ्रम फैलाने का अभियान चलाने वाली नेता हैं। कौन नहीं जानता कि ब्रिटेन की ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप ऑफ कश्मीर की अध्यक्ष और लेबर पार्टी की सांसद डेबी अब्राहम पाकिस्तान के पिट्ठू कहे जाने वाले राजा नजाबत हुसैन के माध्यम से चौबीसों घंटे पाकिस्तान के संपर्क में रहती हैं। यह जो राजा नजाबत हुसैन है वह जम्मू-कश्मीर के अधिकारों के लिए बने एक स्वयंभू संगठन का चेयरमैन है और इस संगठन को पूरी फंडिंग आईएसआई से मिलती है।

डेबी अब्राहम को कश्मीर राग इतना भाता है कि वह सदैव कश्मीर कश्मीर की रट लगाये रहती हैं। हम आपको बता दें कि डेबी अब्राहम उन ब्रिटिश सांसदों के दल में शामिल थीं जिन्होंने पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर चिंता जताते हुए औपचारिक पत्र जारी किये थे। डेबी अब्राहम ने ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश मंत्री डोमिनिक रॉब को पत्र लिख कर कहा था कि हम भारत के गृह मंत्री अमित शाह की इस घोषणा से बहुत चिंतित हैं कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाला अनुच्छेद 370 समाप्त कर दिया गया है।' डेबी अब्राहम जी अनुच्छेद 370 को समाप्त करना या जारी रखना पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला था, है और रहेगा। पूरी दुनिया भारत के इस अधिकार का सम्मान करती है और आपको भी करना होगा क्योंकि आप भी इसी ग्रह की प्राणी हैं। चलते चलते आपको यह भी बता दें कि डेबी अब्राहम के बारे में यह जानना आपको भी रुचिकर लगा कि उनके संसदीय क्षेत्र में अधिकतर पाकिस्तानी मूल के लोग रहते हैं।

बहरहाल, यह देखकर अच्छा लगा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा, 'डेबी अब्राहम को भारत द्वारा वापस भेजा जाना वाकई में जरूरी था क्योंकि वह सिर्फ एक सांसद नहीं, बल्कि पाकिस्तान की प्रतिनिधि हैं। भारत की संप्रभुता पर हमला करने के हर प्रयास को विफल करना होगा।' हालांकि इस मामले में कांग्रेस के अन्य नेता शशि थरूर का विचार कुछ और ही था। जहाँ तक डेबी अब्राहम के इस आरोप कि 'कश्मीर मुद्दे पर आलोचना की वजह से उन्हें एंट्री नहीं दी गई है' का सवाल है तो उन्हें यह पता होना चाहिए कि भारत गत अक्तूबर से इस साल जनवरी तक तीन विदेशी प्रतिनिधिमंडलों को भारत का दौरा करा चुका है और उसमें भी कई सदस्य कश्मीर पर प्रतिबंधों के विरोध में थे लेकिन उनका विरोध सिर्फ प्रतिबंधों पर था वह लोग पाकिस्तान परस्त नहीं थे। डेबी और अन्य में यही मूल फर्क है कि अन्य विदेशी नेता या राजनयिक कश्मीर के हालात से परिचित होने आये थे और डेबी अब्राहम यहां पाकिस्तान के एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए आई थीं।

- नीरज कुमार दुबे

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