LIC और SBI के बारे में झूठ फैलाने वाला विपक्ष क्या अब जनता को सच्चाई बताने की हिम्मत दिखाएगा?

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यहां सवाल यह उठता है कि उस समय एलआईसी, एसबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य बैंकों द्वारा बार-बार दिये जा रहे स्पष्टीकरण को खारिज करता रहा विपक्ष क्या आज जनता को अर्थव्यवस्था का सच बताने की हिम्मत दिखायेगा?

भारतीय जीवन बीमा निगम यानि एलआईसी दुनिया की चौथी सबसे बड़ी बीमा कंपनी बन गयी है। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, एलआईसी का रिजर्व 503.7 अरब डॉलर रहा। रिपोर्ट के अनुसार इस सूची में पहले नंबर पर जर्मनी की एलियांज एसई, दूसरे नंबर पर चाइना लाइफ इंश्योरेंस कंपनी और तीसरे नंबर पर निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी शामिल हैं। एलआईसी इस सूची में एकमात्र भारतीय कंपनी है।

इसके अलावा, भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय स्टेट बैंक के शुद्ध लाभ में 8 प्रतिशत की सालाना वृद्धि हुई है। हम आपको बता दें कि इस वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में भारतीय स्टेट बैंक ने 14,330 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की है। आप सोच रहे होंगे कि यह दोनों आंकड़े हम आपको क्यों बता रहे हैं? दरअसल हम यह आंकड़े आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि विपक्ष ने इस साल की शुरुआत में संसद के बजट सत्र के दौरान मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि सरकार ने एसबीआई और एलआईसी का पैसा उद्योगपति गौतम अडाणी को दे दिया है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने आरोप लगाया था कि आम निवेशकों और पॉलिसी धारकों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। इसके लिए कांग्रेस ने देशभर में एलआईसी और एसबीआई कार्यालयों पर मार्च और विरोध प्रदर्शन भी किया था।

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यहां सवाल यह उठता है कि उस समय एलआईसी, एसबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य बैंकों द्वारा बार-बार दिये जा रहे स्पष्टीकरण को खारिज करता रहा विपक्ष क्या आज जनता को अर्थव्यवस्था का सच बताने की हिम्मत दिखायेगा? हम आपको यह भी बता दें कि यह विपक्ष के नेता बार-बार ईडी पर जो सवाल उठाते हैं यह उस ईडी की छापेमारियों का ही कमाल है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अपने 15 हजार करोड़ रुपए उन भ्रष्टाचारियों और भगोड़ों से वापिस मिल पाये हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बताया है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन रोकथाम कानून के तहत कार्रवाई करते हुए 15,186.64 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है तथा इनमें से लगभग सभी राशि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वापस लौटा दी गई है। वित्त मंत्री ने यह भी बताया है कि ऋणों का भुगतान नहीं करने वालों, खासकर जानबूझकर कर ऐसा करने वालों, के खिलाफ विभिन्न कानूनी प्रावधानों के जरिए कार्रवाई की जा रही है और उसके फलस्वरूप, "बड़ी मात्रा में धनराशि" बैंकों को वापस मिल रही है।

यही नहीं, विपक्ष जोकि बार-बार सरकार पर बैंकों को बर्बाद करने का आरोप लगाता है उसे यह आंकड़ा भी देखना चाहिए कि पिछले दो वित्त वर्ष में, वाणिज्यिक बैंकों में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनएपी) खातों की संख्या 2.19 करोड़ से घटकर 2.06 करोड़ हो गई है, जो 6.2 प्रतिशत की कमी स्पष्ट करती है। इसी प्रकार, इस अवधि के दौरान ऐसे खातों का कुल बकाया (सकल एनपीए) 7.41 लाख करोड़ रुपये से घटकर 5.72 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो 22.9 प्रतिशत की गिरावट दिखाता है।

यही नहीं, विपक्ष के जो आर्थिक सलाहकार भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 5 से साढ़े पांच प्रतिशत के बीच रहने की भविष्यवाणियां करते फिरते थे वह भी आश्चर्यचकित हैं कि कैसे उनके सभी अनुमान धरे के धरे रह गये हैं और भारत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है। मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और उसने पिछली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत दर्ज की है। इसके बाद एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने ऐलान कर दिया कि भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। हम आपको बता दें कि भारत वर्तमान में अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) का भी अनुमान है कि भारत 2027-28 तक 5,000 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।

इसके अलावा, विपक्षी नेता भले देश की अर्थव्यवस्था के विकास के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण रखते हों लेकिन भारत के करीब 94 प्रतिशत मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) देश के आर्थिक भविष्य को लेकर आशावादी हैं। डेलॉयट एशिया प्रशांत (एपीएसी) सीएफओ सर्वेक्षण 2023 में बताया गया कि एपीएसी क्षेत्र में भारतीय सीएफओ सबसे अधिक आशावादी हैं। डेलॉयट ने एक बयान में कहा है कि भारतीय सीएफओ का आत्मविश्वास मजबूती और सक्रिय रणनीतियों को दर्शाता है। 

बहरहाल, विश्वास के साथ 'विकसित भारत संकल्प' को सिद्ध करने की दिशा में आगे बढ़ते भारत की यह सफल गाथा यदि विपक्षी नेताओं को पच नहीं रही है तो उन्हें फिच रेटिंग्स की ओर से कही गयी बातों पर ध्यान देना चाहिए। हम आपको बता दें कि फिच रेटिंग्स ने अगले कुछ महीनों में कई देशों में संभावित आम चुनावों के संदर्भ में कहा है कि विरोध वाली राजनीति सुधारों को धीमा करने के साथ नीति निर्माण को पटरी से उतार सकती है। इसके अलावा विवादास्पद चुनावों से अल्पावधि वृद्धि को प्राथमिकता मिल सकती है। रेटिंग एजेंसी फिच ने अपने 'वैश्विक सरकारी परिदृश्य 2024' रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2024 में भारत और अमेरिका के अलावा बांग्लादेश, क्रोएशिया, डोमिनिकन गणराज्य, अल साल्वाडोर, इंडोनेशिया, कोरिया, मेक्सिको, पाकिस्तान, पनामा, रोमानिया, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका समेत कई देशों में चुनाव होने वाले हैं। वहीं ब्रिटेन में चुनाव जनवरी 2025 के अंत से पहले होने की उम्मीद है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, "विरोध वाली राजनीति सुधारों को धीमा कर सकती है और नीति निर्माण को पटरी से उतार सकती है। विवादास्पद चुनाव दीर्घकालिक संरचनात्मक पहलों पर अल्पावधि वृद्धि को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।" इसलिए विपक्ष को कम से काम आर्थिक मुद्दों पर भ्रम और भय फैलाने की राजनीति से बचना चाहिए क्योंकि महामारी का सामना करने के बाद अर्थव्यवस्था बड़ी मुश्किल से पटरी पर आई है।

-नीरज कुमार दुबे

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