झूलन को विदाई देते वक्त भावुक हुईं कप्तान हरमनप्रीत, टॉस पर ले गईं अपने साथ, रोहित ने भी कही यह बात

jhulan goswami
ANI
अंकित सिंह । Sep 24 2022 7:12PM

झूलन गोस्वामी भारत की ओर से 204 एकदिवसीय मुकाबले खेले हैं। सारी रात के बाद वह दूसरे नंबर पर है। मिताली ने 232 एकदिवसीय मुकाबले खेले हैं। झूलन के विदाई मैच में कप्तान हरमनप्रीत कौर उन्हें अपने साथ टॉस पर भी ले गई थीं। यह कदम दिल छूने वाला था।

झूलन गोस्वामी आज अपना आखिरी मुकाबला खेल रही हैं। भारत और इंग्लैंड के बीच तीन वनडे मैचों की श्रृंखला का तीसरा मैच लॉर्ड्स में खेला जा रहा है। भारत की दिग्गज गेंदबाज झूलन गोस्वामी का यह आखिरी मैच है। इसके बाद वह संयास ले लेंगी। भारतीय महिला टीम में झूलन गोस्वामी का बहुत बड़ा कद है। झूलन गोस्वामी लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। इन सब के बीच मुकाबले की कुछ तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की ओर से साझा की गई है। झूलन गोस्वामी को विदाई देने के लिए सभी खिलाड़ी एक साथ जमा हुए हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो को वायरल हो रहा है। इस वीडियो में झूलन गोस्वामी को विदाई देते वक्त कप्तान हरमनप्रीत कौर उन्हें गले लगाते हुए दिखाई दे रही हैं। इसके साथ ही उनकी आंखों में आंसू भी है। 

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झूलन गोस्वामी भारत की ओर से 204 एकदिवसीय मुकाबले खेले हैं। सारी रात के बाद वह दूसरे नंबर पर है। मिताली ने 232 एकदिवसीय मुकाबले खेले हैं। झूलन के विदाई मैच में कप्तान हरमनप्रीत कौर उन्हें अपने साथ टॉस पर भी ले गई थीं। यह कदम दिल छूने वाला था। भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने भी झूलन गोस्वामी की तारीख की है। रोहित शर्मा ने कहा कि झूलन गोस्वामी क्रिकेट में भारत के स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया है। इसके साथ ही रोहित शर्मा ने झूलन गोस्वामी को पुरुष और महिला युवा क्रिकेटरों के लिए उदाहरण बताया और कहा कि आप उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। मैं कई बार उनसे मिला हूं। मुझे गेंदबाजी करते वक्त उन्होंने कई बार चुनौती पेश की है और मैं हैरान रह गया हूं। मैं उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं। 

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वहीं, भारतीय टीम की महिला स्टार खिलाड़ी स्मृति मंधाना ने उन्हें टीम का एक अहम सदस्य बताया और कहा कि उनका कोई रिप्लेसमेंट नहीं है। उन्हें खेलते नहीं देखना काफी इमोशनल होगा। वहीं, गोस्वामी ने कहा कि दो दशक के करियर में उन्हें सिर्फ एकदिवसीय विश्व कप खिताब को नहीं जीत पाने का ‘पछतावा’ है। दायें हाथ की 39 साल की इस गेंदबाज ने दो विश्व कप फाइनल खेले हैं लेकिन एक भी ट्रॉफी नहीं जीत सकी। झूलन के मुताबिक भारतीय टीम की कैप (पदार्पण करना) प्राप्त करना उनकी क्रिकेट यात्रा का सबसे यादगार क्षण था। उन्होंने कहा कि वह 1997 विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के मैच को देखने के लिए मैदान में 90,000 दर्शकों मौजूद थे।  यही से उन्होंने क्रिकेट को करियर बनाने का फैसला किया। 

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