पाकिस्तान में नई सरकार का पेंच फंसते ही होने लगी सौदेबाजी, मंत्री पदों के लिए लग रही हैं बोलियां

Nawaz Sharif Bilawal Bhutto
Prabhasakshi

जहां तक पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए चल रही गतिविधियों की बात है तो आपको बता दें कि पीएमएल-एन के एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी के शीर्ष नेताओं की एक बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से कहा कि उनके दल ने संघीय सरकार बनाने के लिए पूर्व सहयोगियों के साथ परामर्श शुरू कर दिया है।

पाकिस्तान में चुनाव तो हो गये लेकिन अब तक नई सरकार नहीं बन पाई है। दरअसल पाकिस्तान में भारी हेरफेर करने के बावजूद चुनावों का परिणाम खंडित ही रहा है। इस खंडित जनादेश के चलते पाकिस्तान में नई सरकार का पेंच फंस गया है। पेंच फंसने के चलते इस्लामाबाद और लाहौर में बैठकों का दौर जारी है। किसी भी तरह प्रधानमंत्री का पद हासिल करने के लिए नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो जरदारी की ओर से नई-नई तिकड़में की जा रही हैं। मंत्री और अन्य पदों के लिए खूब सौदेबाजी हो रही है और बोलियां तक लग रही हैं जिससे पाकिस्तान के दिखावटी लोकतंत्र का भ्रष्टाचार पूरी दुनिया के सामने एक बार फिर जाहिर हो रहा है।

हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री पद के लिए पाकिस्तानी सेना की पहली पसंद नवाज शरीफ हैं लेकिन उनकी पार्टी बहुमत के आंकड़े से काफी दूर है। इसके चलते पाकिस्तान में तीन बार के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) ने राजनीतिक गतिरोध समाप्त करने के लिए प्रतिद्वंद्वी दलों के समक्ष ‘‘भागीदारी वाली गठबंधन सरकार’’ का विचार पेश किया है। दरअसल 266 सदस्यीय नेशनल असेंबली में पीएमएल-एन के पास 75 सीटें हैं जो सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने अधिकतर निर्दलीय सदस्यों को समर्थन दिया है, जिन्होंने 101 सीटें हासिल की हैं। नवाज शरीफ ने आसिफ अली जरदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी यानि पीपीपी से भी संपर्क साध कर उसे गठबंधन सरकार में शामिल होने का न्यौता दिया है लेकिन जरदारी चाहते हैं कि प्रधानमंत्री पद उनके बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी को मिले। जरदारी का कहना है कि वह बदले में पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब में पीएमएल-एन की सरकार बनवाने में सहयोग कर सकते हैं। लेकिन नवाज शरीफ इस बात के लिए राजी नहीं हैं क्योंकि वह तो लंदन से लौटे ही इसलिए हैं ताकि फिर से प्रधानमंत्री बन सकें। दूसरी ओर इमरान खान की पार्टी के समर्थन से जीते निर्दलीयों ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह नवाज शरीफ या बिलावल भुट्टो का प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन नहीं करेंगे। इस बीच, सेना के प्रयास हैं कि किसी तरह राजनीतिक गतिरोध सुलझे। सेना चाहती है कि इससे पहले कि जनता प्रदर्शन करने के लिए और बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे और पाकिस्तान के चुनावों में हेरफेर की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़े, उससे पहले ही सरकार का गठन हो जाये ताकि इन सब मुद्दों से सबका ध्यान हटाया जा सके।

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जहां तक पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए चल रही गतिविधियों की बात है तो आपको बता दें कि पीएमएल-एन के एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी के शीर्ष नेताओं की एक बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से कहा कि पीएमएल-एन ने केंद्र में संघीय सरकार बनाने के लिए अपने पूर्व सहयोगियों के साथ परामर्श शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘केवल पीएमएल-एन के समर्थन से (संघीय) सरकार बनाने की संभावना है। यह एक भागीदारी वाली गठबंधन सरकार होगी।’’ उन्होंने कहा कि यह देश के सबसे अधिक हित में है कि सभी को संघीय सरकार बनाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बताया जा रहा है कि प्रारंभिक फॉर्मूले के अनुसार अगर गठबंधन दल पीएमएल-एन को प्रधानमंत्री का पद देने पर सहमत होते हैं तो अध्यक्ष और स्पीकर का पद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को दिया जाएगा। इसी तरह डिप्टी स्पीकर का पद मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) या गठबंधन में शामिल होने वाले किसी निर्दलीय सदस्य को दिया जा सकता है। इसके अलावा पीएमएल-एन वित्त मंत्रालय अपने पास रख सकती है और अन्य मंत्रालयों को आपसी परामर्श से सहयोगियों के बीच वितरित किया जाएगा। हम आपको बता दें कि इस समय पाकिस्तान में संख्या बल के आधार पर पीएमएल-एन और पीपीपी दोनों केंद्र में गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में हैं। लेकिन दोनों ही दल अपने बलबूते नहीं बल्कि गठबंधन के बलबूते ही सरकार बनाने की स्थिति में ही हैं। नवाज शरीफ का प्रयास है कि सिर्फ इमरान खान की पार्टी पीटीआई के समर्थन से जीते लोगों को छोड़कर बाकी सभी पार्टियों को सरकार में शामिल किया जाये।

हम आपको यह भी बता दें कि पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) द्वारा रविवार तक घोषित परिणामों के अनुसार कुल 265 नेशनल असेंबली सीटों में से पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने 101 सीटें हासिल कीं। इसके बाद पीएमएल-एन को 75, पीपीपी को 54, एमक्यूएम को 17 और अन्य छोटी पार्टियों ने 17 सीटें जीतीं हैं।

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