Cricket World Cup: देशवासी भुला नहीं पाएंगे विश्व कप की यह हार

Indian Cricket Team
Instagram Rohit Sharma

अहमदाबाद में फाइनल मैच से पहले भारतीय टीम सातवें आसमान पर थी। टीम के साथ ही देशवासियों का हौसला भी बढ़ा हुआ था। किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि रोहित एंड कंपनी इस तरह हार जाएगी। 50 ओवर के मैच में 300 से कम का स्कोर जोखिम भरा माना जाता है।

वनडे विश्व कप की हार से भारतीय खेल प्रेमियों का दिल टूट गया। अब यह मान कर संतोष करना पड़ेगा कि 19 नवम्बर 2023 का दिन भारत का नहीं था। पूरे विश्व कप में अपने शानदार खेल से टीम इंडिया वाहवाही लूट रही थी। लगातार 10 मैच जीत कर हम फाइनल में पहुंचे थे। मगर, अहम मुकाबले में ही किस्मत दगा दे गई। विश्व चैंपियन बनने का इतना सुनहरा मौका अब न जाने कब मिलेगा। अपने घर में और अपने दर्शकों के सामने खेल कर यदि हम नहीं जीत पाए तो कब जीतेंगे? आखिरी पावदान पर आकर अगर फिसल जाते हैं तो इसके लिए हम खुद जिम्मेदार हैं। उस दिन टीम प्रबंधन की कोई रणनीति काम नहीं आई। चेन्नई में अपने पहले लीग मैच में इसी ऑस्ट्रेलिया को भारत ने हराया था। इस हार की टीस कई सालों तक हमें कचोटेगी। इसे भुला पाना आसान नहीं होगा। भारतीय टीम पिछले आठ साल में नौंवी बार आईसीसी के खिताब की दहलीज पर आकर चूक गई। ऑस्ट्रेलिया ने छठवीं बार विश्व कप अपने नाम कर लिया। खेल जगत में रिकॉर्ड बनते हैं और टूटते हैं। विश्व कप−2023 को कई ऐसे रिकॉर्ड के लिए याद रखा जाएगा जिसे तोड़ना नामुमकिन तो नहीं मगर दुष्कर अवश्य कहा जाएगा। वनडे क्रिकेट में विराट कोहली के 50 शतक और अफगानिस्तान के खिलाफ कंगारू टीम के मैक्सवेल की 201 रनों की नाबाद पारी को कोई कैसे भूल सकता है। यह प्रदर्शन किसी चमत्कार से कम नहीं है। यह खेल अब मैदान में ही नहीं बल्कि दिमाग से भी खेला जाता है। विपक्षी टीम के हर दांव की काट के लिए रणनीति बनाई जाती है। मानसिक रूप से मजबूती एक अहम तथ्य है जिस पर सभी टीमें गंभीरता से काम करती हैं। पर, निर्णायक मुकाबले में भारतीय टीम की रणनीति कामयाब नहीं रही। कंगारू हमसे चतुर निकले। टास जीतकर पहले भारत से बल्लेबाजी करवाने का उनका दांव सफल रहा। मैच−दर−मैच जीत हासिल करते हुए हमारी टीम फाइनल में पहुंची। वनडे विश्व कप के इतिहास में टीम इंडिया चौथी बार फाइनल में पहुंची थी। हमारे प्रत्येक खिलाड़ी ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है। बस फाइनल मैच में हमारी टीम रंग में नहीं दिखी। आलराउंडर हार्दिक पांड्या चोटिल होकर प्रतियोगिता से बाहर हो गए लेकिन तनिक भी उनकी कमी महसूस नहीं हुई। वजह, उनकी जगह जब मोहम्मद शमी को मौका मिला तो उन्होंने विपक्षी खेमे में तूफान मचा दिया। पूरा देश शमी पर फिदा हो गया।

लड़ने लायक नहीं था 240 रनों का स्कोर

अहमदाबाद में फाइनल मैच से पहले भारतीय टीम सातवें आसमान पर थी। टीम के साथ ही देशवासियों का हौसला भी बढ़ा हुआ था। किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि रोहित एंड कंपनी इस तरह हार जाएगी। 50 ओवर के मैच में 300 से कम का स्कोर जोखिम भरा माना जाता है। कप्तान रोहित ने शुरुआत तो अच्छी की लेकिन मध्य क्रम उसे भुना नहीं पाया। विराट कोहली या राहुल की साझेदारी भी लंबी नहीं चली। सूर्य यादव का बल्ला पूरे विश्व कप में खामोश रहा। लखनऊ में 29 अक्टूबर को इंग्लैंड के खिलाफ मैच में 49 रन उनका सर्वाधिक स्कोर रहा। कंगारू गेंदबाजी और उनकी फील्डिंग के आगे भारतीय बल्लेबाज असहाय दिखे। रन बनाना पहाड़ हो गया। किसी बैटर को टिक कर लंबी पारी खेलने की जरूरत थी तब 300 से अधिक का लक्ष्य हम दे पाते। मगर, 240 का मामूली स्कोर ही हम दे सके। इससे विपक्षी टीम पर कोई दबाव नहीं बन पाया। लचर बल्लेबाजी के कारण भारत को अहम मैच में पराजय झेलनी पड़ी। अपने घरेलू मैदान पर बड़ा खिताब जीतने का यह अवसर बार−बार नहीं मिलेगा। खिताबी मुकाबले में हारने की भारत की पुरानी आदत भी है।

इसे भी पढ़ें: Cricket World Cup में शानदार रहा भारतीय क्रिकेट टीम का सफर

विराट कोहली और शमी ने किया प्रभावित 

कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली के लिए यह आखिरी विश्व कप था। अगले विश्व कप तक इन दोनों की उम्र 40 के पास पहुंच रही होगी। इस आधार पर कह सकते हैं कि ये दोनों शायद अगला विश्व कप नहीं खेल पाएं। 2023 का विश्व कप यादगार नहीं बन सका। मगर, विराट कोहली का जबर्दस्त फॉर्म देख कर भारतीयों को बहुत खुशी हुई। इस विश्व कप में सर्वाधिक 765 रन उन्हीं के बल्ले से निकले। इसमें तीन शतक और छह अर्धशतक हैं। इसके अलावा विराट कोहली वनडे मैचों में 50 शतक बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज भी बन गए। सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलते हुए उन्होंने सचिन तेंदुलकर के 49 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। विराट आज जिस मुकाम पर हैं वहां तक दूसरों के लिए पहुंचना कठिन है। अभी वह तीन साल तक आराम से खेल सकते हैं। हो सकता है, सचिन तेंदुलकर के कुल 100 शतकों का रिकॉर्ड भी वह तोड़ दें। मोहम्मद शमी को मौका तब मिला जब हार्दिक पांड्या घायल होकर विश्व कप से बाहर हो गए। शमी ने अपनी धारदार गेंदबाजी का शानदार नमूना पेश किया है। 7 मैचों में 24 विकेट लेकर  शमी शीर्ष भारतीय गेंदबाज हैं। एक मैच में 5 विकेट लेने का कारनामा उन्होंने 3 बार किया। उनके मुकाबले जसप्रीत बुमराह और सिराज का प्रदर्शन बुझा−बुझा सा रहा। बुमराह ने 11 मैचों में 20 तो सिराज ने इतने ही मैचों में 14 विकेट हासिल किए। कप्तान रोहित विश्व कप के 48 साल के इतिहास में छक्कों का अर्धशतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी बने। वह 27 मैच में 55 छक्के लगा चुके हैं। रोहित इस साल अब तक 67 छक्के लगा चुके हैं। यह एक कैलेंडर वर्ष में छक्कों का रिकॉर्ड है। इसके अलावा वह विश्व कप में लगातार 10 मैच जीतने वाले पहले भारतीय कप्तान भी बन गए हैं। श्रेयस अय्यर अपने दो शतक को याद रखेंगे लेकिन फाइनल में सस्ते में आउट होकर उन्होंने टीम को मझधार में डाल दिया। यही हाल शुभमन गिल का रहा। उनके बल्ले से चार पचासे निकले, मगर फाइनल के मुजरिम वह भी हैं।

          

फिर चोकर्स साबित हुई दक्षिण अफ्रीकी टीम 

दक्षिण अफ्रीका ने इस विश्व कप में शानदार शुरुआत की थी। उसके बल्लेबाजों ने कोहराम मचाया हुआ था। दिल्ली में एक मैच में उनके तीन बल्लेबाजों ने शतक ठोंक दिया। यह टीम सेमीफाइनल में भी पहुंच गई। मगर, कोलकाता के इडेन गार्डन में जब ऑस्ट्रेलिया से सामना हुआ तो अफ्रीकी बैटरों ने घुटने टेक दिए। इस टीम पर चोकर्स का ठप्पा लंबे अर्से से लगा हुआ है। यानी नाकआउट मुकाबलों में यह टीम पस्त हो जाती है। वही बात फिर साबित हो गई। सभी लोग अनुमान लगा रहे थे कि फाइनल में भारत का मुकाबला दक्षिण अफ्रीका से होगा। पर, सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने उसे तीन विकेट से हरा कर टूर्नामेंट से बाहर कर दिया। असल में अफ्रीकी टीम के कप्तान तेंबा बाउमा का खुद का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। उन्होंने कोई अच्छी पारी नहीं खेली। अहम मैच में क्वींटन डिकाक और डूसेन भी नहीं चले। अकेले मिलर ने शतक जड़ा लेकिन पूरी टीम केवल 212 रन बना सकी। इतने कम टोटल पर मैच जीतना बेहद कठिन है। 

अफगानिस्तान और नीदरलैंड ने किए उलटफेर

विश्व कप में अफगानिस्तान और नीदरलैंड को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा था। मगर निचले पायदान पर रहने वाली इन टीमों ने कई उलटफेर करके सबको चौंका दिया। अफगान खिलाडि़यों ने इंग्लैंड, पाकिस्तान और श्रीलंका को हराया। इसी तरह नीदरलैंड ने धर्मशाला में दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीम को चित कर दिया। डच टीम ने बांग्लादेश को भी हराया। कमजोर टीमों का ऐसा प्रदर्शन लंबे समय तक याद रखा जाएगा। लखनऊ में अफगानिस्तान और नीदरलैंड के बीच खेला गया मैच भी अफगानियों के पक्ष में रहा। इस तरह चार मैच जीत कर अफगानिस्तान टीम सेमीफाइनल की दौंड़ में आ गई थी। यदि ऑस्ट्रेलिया से हुआ मैच वे जीत लेते तो संभवतरू टॉप फोर में शामिल भी हो जाते। उन्होंने 91 पर 7 विकेट भी गिरा लिये थे लेकिन उसी समय मैक्सवेल ने 201 की जोरदार पारी खेल कर कंगारू टीम को जिता दिया। अफगानिस्तान जीता हुआ मैच निराशाजनक ढंग से हार गया। लेकिन उनके जांबाजों से सबका दिल जीत लिया।

कुछ टीमों के लिए खराब रहा विश्व कप

कुछ टीमों के लिए यह विश्व कप बुरे सपने जैसा रहा। इंग्लैंड की टीम पिछले विश्व कप−2019 की चैंपियन थी। उम्मीद थी कि सेमीफाइनल तक यह टीम पहुंचेगी। मगर, कई कमजोर टीमों से इसे शिकस्त झेलनी पड़ी। कप्तान जोस बटलर का खराब फॉर्म जारी रहा। वह कोई अच्छी पारी नहीं खेल पाए। पाकिस्तान और श्रीलंका का हाल भी यही रहा। पाकिस्तान को अफगानिस्तान ने हरा कर चौंका दिया था। बाबर आजम को कप्तानी से हटा भी दिया गया है। श्रीलंका बदलाव के दौर से गुजर रही है। उसकी पूरी टीम नई है। इसलिए अनुभव की कमी दिख रही है। न्यूजीलैंड हमेशा की तरह बढि़या खेली पर सेमीफाइनल में भारत से हार गई। उसके कप्तान विलियमसन चोटिल होने के कारण शुरू के कुछ मैच नहीं खेले। भारतीय मूल के रचिन रवींद्र ने धमाकेदार बल्लेबाजी से सबका दिल जीत लिया। न्यूजीलैंड का वह भविष्य का सितारा है। बांग्लादेश की टीम ने लचर प्रदर्शन तो किया ही, उसमें खेल भावना भी नहीं दिखी। श्रीलंका के साथ मैच में एंजलो मैथ्यूज को जिस तरह आउट दिया गया उससे बांग्लादेशी कप्तान शाकिब अल हसन की खूब आलोचना हुई। विश्व कप के इतिहास में मैथ्यूज टाइम आउट के जरिये आउट होने वाले पहले खिलाड़ी बन गए।

− आदर्श प्रकाश सिंह

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़