सेना को मिल रही सफलता से बौखला गये हैं आतंकवादी

Terrorists are scared by success of army
राहुल लाल । Jul 13 2017 12:42PM

दक्षिण कश्मीर में जिस तरह सेना विपरीत परिस्थितियों के बीच भी आतंकवादियों पर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर रही है उससे आतंकवादी बौखला गए हैं। अमरनाथ यात्रा पर हमला आतंकवादियों की इसी बौखलाहट का परिणाम है।

अमरनाथ यात्रा घाटी में हिंदुओं एवं मुस्लिमों के अभूतपूर्व भाईचारे को प्रतिबिंबित करती है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमले से इसी भाईचारे को तोड़कर देश की सांप्रदायिक सद्भावना पर भी हमले का प्रयास किया गया है। लंबी अवधि के बाद बाबा बर्फानी के भक्तों पर यह हमला हुआ है। इस वर्ष के अमरनाथ यात्रियों पर पहले से ही आतंकवादी हमलों की पूर्व सूचना थी। इसके बावजूद यह हमला सुरक्षा में भारी चूक को दिखाता है। अमरनाथ यात्रा पर आतंकवादी हमलों के बारे में अलर्ट सुरक्षा एजेंसियों को 25 जून को ही प्राप्त हो गया था, जिसके मद्देनजर इस यात्रा की सुरक्षा में 40 हजार सुरक्षाकर्मी शामिल किये गये तथा पहली बार ड्रोन विमानों से सुरक्षा की निगरानी हो रही थी। फिर भी आतंकवादी हमलों में सफल हुए, इस गंभीर सुरक्षा खामी को लेकर स्थानीय प्रशासन, श्राइन बोर्ड, राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। अब सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि बस श्राइन बोर्ड के पास रजिस्डर्ड नहीं थी, अर्थात् अमरनाथ यात्रा का अधिकृत भाग नहीं थी तथा शाम 7 बजे के बाद बस को चलने की अनुमति नहीं है।

लेकिन एक प्रश्न यह भी उठता है कि अगर बस इतने नियमों का उल्लंघन कर रही थी तो उसे सुरक्षा चेक पोस्ट पर क्यों नहीं रोका गया? आखिर दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद के गढ़ में यूँ ही जाने की अनुमति बस को कैसे मिली? यह सुरक्षा संबंधी एक बहुत बड़ी खामी है। अभूतपूर्व सुरक्षा का जो दावा किया गया था तो वह इस आतंकवादी हमले से खंडित अवश्य हुआ है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आतंकवादी हमला कर भागने में सफल रहे हैं। जब तक आतंकवादी पकड़े या मारे नहीं जाते हैं, सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रहेगी।

अमरनाथ यात्रियों पर हमले से पूर्व आतंकवादियों ने सुरक्षाकर्मियों की चेक पोस्ट पर हमला किया। उसके बाद सीआरपीएफ कैंप पर भी हमले का असफल प्रयास हुआ है लेकिन बिना सुरक्षा के चल रहे अमरनाथ यात्रियों की इस बस को आतंकवादियों ने सॉफ्ट टार्गेट के रूप में हमला किया। अब प्रश्न उठता है कि क्या आतंकियों को पहले से पता था कि एक तीर्थयात्रियों की बस बिना सुरक्षा के आ रही है और इसलिए उस पर घात लगाकर हमला कर दिया? यह सुरक्षा चूक कैसे रह गई? आतंकवादी हमले के शिकार बस ड्राइवर ने हिम्मत से भयंकर गोलीबारी के बीच भी बस को तेजी से चलाते हुए सुरक्षित स्थान पर ले जाने में सफलता पाई जिससे आतंकवादी हमला और भी वीभत्स होने से बच गया।

पिछले माह ही कश्मीर जोन के पुलिस महानिदेशक ने बेहद गोपनीय पत्र में महकमे को अमरनाथ यात्रा को लेकर अलर्ट जारी किया था। इस खुफिया अलर्ट के अनुसार आतंकवादी 100-150 अमरनाथ यात्रियों को हताहत करना चाह रहे थे। इसमें पुलिस के जवानों एवं अफसरों को भी निशाना बनाने की बात थी। इन हमलों से आतंकवादी देश भर में सांप्रदायिक दंगा फैलाना चाह रहे थे। इससे आतंकवादियों की घृणित सोच को समझा जा सकता है। इसी खुफिया रिपोर्ट के बाद सेना, पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के करीब 40 हजार जवानों को सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था।

आतंकवादियों की भयंकर बौखलाहट का परिणाम

दक्षिण कश्मीर में जिस तरह भारतीय सेना लगातार विपरीत परिस्थितियों के बीच भी आतंकवादियों पर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर रही है उससे आतंकवादी बौखला गए हैं। अमरनाथ यात्रा पर हमला आतंकवादियों की इसी बौखलाहट का परिणाम है। करीब 15 वर्षों के बाद अमरनाथ यात्रा पर यह हमला हुआ है। अमरनाथ यात्रा का एक ओर तो अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय महत्व है, वहीं यह घाटी के अर्थतंत्र का अति महत्वपूर्ण घटक है। इससे स्पष्ट है कि आतंकवादी न केवल तीर्थयात्रियों पर हमला कर रहे थे, अपितु घाटी की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुँचा रहे हैं।

पवित्र अमरनाथ यात्रा की शुरुआत कड़ी सुरक्षा के बीच 29 जून को पहलगाम और बालटाल दोनों ही रास्तों से हुई थी। उत्तरी कश्मीर के बालटाल कैंप के रास्ते से अमरनाथ गुफा की ओर जाने के लिए 6000 से ज्यादा श्रद्धालुओं को इजाजत दी गई थी, जबकि दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के परंपरागत रास्ते से करीब 5 हजार यात्री गुफा की ओर चले थे। अमरनाथ यात्रियों पर लगभग 15 वर्षों के बाद इस तरह का आतंकवादी हमला हुआ है। वर्ष 2000 में आतंकवादियों ने पहलगाम में हमला किया था जिसमें 32 तीर्थयात्रियों सहित 35 लोग मारे गए थे। वर्ष 2001 में शेषनाग में हुए आतंकी हमले में तीन पुलिस अधिकारियों सहित 12 शिवभक्त मारे गए थे। वहीं 2002 में अमरनाथ यात्रियों पर हुए दो आतंकी हमलों में कम से कम 10 यात्री मारे गए थे।

शिवभक्तों का आतंकवादियों का करारा जवाब

अनंतनाग आतंकी हमले के बाद भी भोले बाबा के दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं है। आतंकवादियों का मुख्य प्रयास दशहत फैलाना होता है, लेकिन अमरनाथ यात्रा पर हमला कर भी आतंकी दशहत फैलाने के उद्देश्य में सफल नहीं हुए। अमरनाथ यात्रा के निहत्थे श्रद्धालुओं पर गोलियां बरसाने वाले आतंकवादियों को शिवभक्तों ने मंगलवार सुबह करारा जवाब दिया। 7 तीर्थयात्रियों के मौत के बाद भी मंगलवार सुबह 3 बजे जम्मू से पहलगाम और बालटाल के लिए अमरनाथ यात्रा के लिए जत्था रवाना हुआ। शिवभक्त जोश के साथ हर-हर महादेव, बम बम भोले जैसे जयकारे लगाते हुए बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आगे बढ़ गए।

कैसे सुधरेगा पाकिस्तान?

पाकिस्तान ने आतंकवाद के पालन-पोषण को ही अपना राष्ट्रीय लक्ष्य बना दिया है। आतंकवाद के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से पाकिस्तान कूटनीतिक रूप से चीन के अतिरिक्त विश्व समुदाय से अलग-थलग पड़ा है, परंतु इतनी ही कार्यवाही पर्याप्त नहीं है। अब समय आ गया है कि भारत न केवल इस तरह की घटनाओं की कड़ी निंदा करे, अपितु इजराइल की तरह पाकिस्तान की भूमि पर विस्तृत सर्जिकल अटैक कर आतंकवादियों को नेस्तनाबूत करे। अमेरिका ने जब से चीन के विपरीत पाकिस्तान का नाम लेकर आतंकवाद से जोड़ा तथा पाकिस्तानी आतंकवादी सलाउद्दीन को ग्लोबल आतंकवादी घोषित किया, उससे पाकिस्तानी आतंकवादी एवं पाकिस्तान में उनके आका भड़क गए हैं। भारत ने पिछले वर्ष सर्जिकल स्ट्राइक की थी परंतु सेना के अनुसार जिस लांचिंग पैड को सर्जिकल स्ट्राइक में नष्ट किया गया था, अब उसे फिर से एक्टिव कर दिया है। पाकिस्तान पर केवल कूटनीतिक हमला पर्याप्त नहीं है, बल्कि आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह को सीमा पार जाकर भारत को नष्ट करना ही होगा। अब सीमापार आतंकवाद पर जीरो टोलरेंस की नीति अपनाते हुए रक्षात्मक नहीं अपितु कठोर आक्रामक रवैया अपनाने की आवश्यकता है। इस संपूर्ण मामले में पाकिस्तान पर ऐसी कार्यवाही की आवश्यकता है कि वह फिर से आतंकवाद को संरक्षण देने से डरे।

राहुल लाल

(लेखक सामरिक व कूटनीतिक मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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