हथियार और पैसा आना बंद, ट्रेनिंग के लिए आतंकी नहीं जा पा रहे उस पार

Weapons and banks being looted for the terrorists in Kashmir

आतंकियों ने पिछले कुछ महीनों में कई बैंकों को लूट लिया है। इस अरसे में एक कैश वैन को लूटने की कोशिश में उन्होंने 7 सुरक्षाकर्मियों को मार डाला था लेकिन पैसा हाथ नहीं आया था। लेकिन वे अपने साथ पुलिसवालों के हथियार ले जाने में कामयाब हुए थे।

आतंकियों ने पिछले कुछ महीनों में कई बैंकों को लूट लिया है। इस अरसे में एक कैश वैन को लूटने की कोशिश में उन्होंने 7 सुरक्षाकर्मियों को मार डाला था लेकिन पैसा हाथ नहीं आया था। लेकिन वे अपने साथ पुलिसवालों के हथियार ले जाने में कामयाब हुए थे। पिछले कुछ अरसे में उन्होंने कई पुलिसकर्मियों से हथियार भी छीन लिए।

रिकार्ड के मुताबिक, पिछले एक साल के अरसे में आतंकी 20 से अधिक हथियार लूटने तथा 16 बैंकों को लूटने की घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। यह सब कश्मीर में तैयार किए गए आतंकियों की खातिर किया जा रहा है। अधिकारी अब मानने लगे हैं कि सीमा के उस पार से आतंकियों को फंडिग नहीं हो रही है। हथियार भी नहीं आ पा रहे हैं। दअसल एलओसी तथा सीमा पर कड़ी चौकसी के कारण आतंकी उस पार नहीं जा पा रहे हैं। उनके गाइड भी हथियारों की खेपें उस पार से लाने में अब आनाकानी करने लगे हैं। नतीजतन उन्हें स्थानीय स्तर पर ही पैसा और हथियार जुटाने के लिए कहा गया है।

नतीजा सामने है। कश्मीर में ही नहीं बल्कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी हथियारों को लूटने की घटनाओं में बिजली सी तेजी आ चुकी है। चौंकाने वाली बात यह है कि आतंकी ही नहीं बल्कि उनके समर्थक भी ऐसी वारदातों में उनकी मदद कर रहे हैं। कुछ महीने पहले जम्मू शहर में पुलिसकर्मी से एके-47 छीनने तथा राजौरी में पुलिसकर्मी के घर से एके-47 चोरी करने की घटनाएं इसकी पुष्टि करती हैं।

आतंकियों ने पिछले साल मई महीने में दक्षिण कश्मीर में जिला शोपियां में जिला अदालत परिसर की सुरक्षा के लिए तैनात पुलिसकर्मियों को बंधक बना कर चार एसाल्ट राइफलों समेत पांच हथियार व उनके कारतूस लूट लिये थे। हालांकि कश्मीर घाटी में विशेषकर दक्षिण कश्मीर में आतंकियों द्वारा राज्य पुलिस के जवानों या फिर किसी व्यक्ति विशेष की सुरक्षा में तैनात गार्ड से हथियार लूटे जाने का यह कोई पहला मामला नहीं था। लेकिन जिला मुख्यालय में अदालत परिसर के सुरक्षा दस्ते अथवा गार्ड से हथियार लूटे जाने का यह बीते एक दशक में पहला मामला जरूर था।

अधिकारियों की मानें तो स्थानीय युवकों को आतंकी गुटों में भर्ती करने के बाद अब उन्हें कश्मीर में ही प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नाम न छापने की शर्त पर एक सुरक्षाधिकारी ने बताया कि अधिकतर स्थानीय आतंकियों को दक्षिण कश्मीर के जंगलों में ट्रेनिंग दी गई है और उन्हें पुलिस तथा केरिपुब से लूटे गए हथियारों के साथ प्रशिक्षित किया गया है। 

इसकी पुष्टि सोशल मीडिया पर चर्चित उस वीडियो से भी होती थी जिसमें 30 के करीब आतंकी दिख रहे थे और उनमें से कइयों के पास पुलिस से लूटी गई एसएलआर राइफलें नजर आ रही थीं। अभी कुछ दिन पहले आतंकियों ने चार लूटी हुई राइफलों की फोटो भी सोशल मीडिया पर डाली थी।

कुछ हफ्ते पहले अनंतनाग में एक बैंक में घुस कर लूटपाट करने के इरादे से आए दो आतंकियों में से एक को उस समय जिन्दा पकड़ लिया गया था जब उसने केरिपुब जवान से राइफल छीनने का प्रयास किया था। इस आतंकी ने भी इसकी पुष्टि की थी कि उन्हें फंड और हथियारों की भारी कमी हो रही है जिसके लिए स्थानीय तौर पर प्रशिक्षित स्थानीय युवकों को बैंकों को लूटने के साथ ही सुरक्षाकर्मियों से हथियार लूटने का टास्क भी दिया गया था।

-सुरेश एस डुग्गर

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