'ड्रोन लुटेरों' से फैली दहशत की हकीकत क्या?

ड्रोन की घटनाएं हकीकत हैं या अफवाह? ये अनसुलझी पहेली जैसा है। वैसे, पिछले दो सालों से ‘स्वामित्व योजना’ के तहत केंद्र सरकार ग्रामीण भूमि का सर्वेक्षण भी ड्रोनों से करवा रही है। योजना मार्च-2026 तक पूरी होनी है। करीब 3 लाख 44 हजार गांवों का सर्वेक्षण होना है।
‘ड्रोन गिरोह’ की अफवाहों ने शांति-व्यवस्था में खलबली मचा रखी है। विशेषकर ग्रामीणों में, जहां दहशत की स्थिति बनी हुई है। ड्रोन चारों के भय से लोग सारी-सारी रात जगे रहते हैं। प्रभावित दो-तीन राज्यों में करीब महीने भर से ड्रोन चोरों के भय से लोग इतने भयभीत हैं कि वह रातों में जाग-जाग कर अपने घरों और परिजनों की पहरेदारी कर रहे हैं। डरे हुए लोग ‘ड्रोन चोरों को ‘आसमानी चोर’ कहने लगे हैं। आकाश में रात के वक्त सैकड़ों फीट उंचाई पर मंहराते रहस्यमय ड्रोनों से सन्नाटा इस कदर फैला है कि पेड़-पौधों के पत्तों की सरसराहट या झींगुरों की भिनभिनाहट मात्र से भी लोग डर जाते हैं। देखा जाए तो देहात क्षेत्रों में ड्रोन चोरों की अफवाहों का बाजार काफी समय से गर्म है। बढ़ती घटनाओं को देखते हुए पुलिस महकमा भी अलर्ट मोड़ पर है। रात में जायजा लेने को पुलिस-प्रशासन के आला अफसर भी ग्रांउड जीरो पर उतरे हुए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस ने जागरुकता अभियान भी छेड़ रखा है। दरअसल, अफवाह लोगों की नासमझी से ज्यादा फैल रही है। ड्रोन दिखाई पड़ने पर वह पुलिस से संपर्क करने के बजाय सोशल मीडिया पर अनापशनाप गलत सूचनाएं फैला देते हैं जिससे स्थिति और पैनिक हो रही है। हालांकि, ऐसे लोगों पर पुलिस सख्ती भी दिखा रही है।
ड्रोन की घटनाएं हकीकत हैं या अफवाह? ये अनसुलझी पहेली जैसा है। वैसे, पिछले दो सालों से ‘स्वामित्व योजना’ के तहत केंद्र सरकार ग्रामीण भूमि का सर्वेक्षण भी ड्रोनों से करवा रही है। योजना मार्च-2026 तक पूरी होनी है। करीब 3 लाख 44 हजार गांवों का सर्वेक्षण होना है। इसके पीछे सरकार का मकसद ग्रामीण संपत्ति के मालिकों को उनकी संपत्ति का मास्टर कार्ड वितरण करना है। 92 फीसदी कार्य ‘ड्रोन मैपिंग’ से पूरा हो चुका है जिसमें 31 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। सवाल ये भी उठता है क्या इस वक्त जो ड्रोन उड़ रहे हैं, वो इसी योजना का हिस्सा हैं? अभी तक कोई तथ्यात्मक सच्चाई मुकम्मल रूप से बाहर नहीं निकल पाई। जबकि, प्रथम दृष्टया प्रशासन ने ड्रोन घटनाओं को अफवाह ही माना है। ड्रोन की घटनाओं के पीछे कोई ऐसी हकीकत तो नहीं छिपी जिसे शासन-प्रशासन और सुरक्षा महकमा सार्वजनिक ना करना चाहता हो? राष्टृ सुरक्षा से जुड़ा तो कोई मसला नही? हालांकि ऐसे नाना-प्रकार के कयासों की मंड़ियां सजी हुई हैं। सच्चाई के असल नतीजों तक अभी कोई नहीं पहुंच पाया। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तकरीबन जिलों में इस समय ड्रोन लूटेरों की ही चर्चाएं हैं।
धीरे-धीरे ये दहशत अब अन्य राज्यों में भी फैलती जा रही है। हरियाणा, पंजाब, बिहार, मध्यप्रदेश में भी आधुनिक चोरों से जुड़ी अजीबोगरीब अफवाहें फैल गई हैं। बिहार के सासाराम और मध्यप्रदेश के गुना जिले में भी ड्रोन उड़ते देखे गए हैं। अफवाहें हैं कि चोर रात्रि में घरों का ड्रोन से सर्वेक्षण करते हैं और अगली रात धाबा बोलते हैं। एकाध घटनाएं घटी भी हैं, लेकिन उन घटनाओं से कोई हकीकत सिद्ध नहीं हुई। पुलिस-प्रशासन दोनों भी इस अनसुलझी पहेली में उलझे हुए हैं। प्रशासनिक स्तर पर ड्रोन की घटनाओं को बेशक अफवाह बताई जा रही हों। पर, ग्रामीण मानने को राजी नहीं? वह ड्रोन चोर या आसमानी चोर ही माने बैठे हैं। बीते मात्र तीन हफ्तों में उत्तर प्रदेश में 365 और उत्तराखंड में 245 घटनाएं घटी हैं।
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गौरतलब है कि अफवाहों के गर्भ से निकली ड्रोन चोरी की ये घटनाएं अब हिंसा में बदलने लगी हैं। गत दिनों बिजनौर के कोतवाली क्षेत्र में रात के वक्त एक खूनी घटना घटी जिसमें एक औरत का गला चाकू से रेतकर उसे जहर का इंजेक्शन देने का प्रयास हुआ। गनीमत ये रही कि उसे तुरंत स्थानीय अस्पताल पहुंचाया गया। सुबह पुलिस ने छानबीन कर आसपास के लोगों से पूछताछ की, तो पता चला महिला पर हमला ड्रोन चोरों ने नहीं, बल्कि पड़ोसी ने किया जिनसे उनका पुराना जमीन विवाद चल रहा है। चोर समझकर अंधेरे में चलने वाले राहगीरों के साथ मारपीट की घटनाएं भी बढ़ी हैं। शराबियों की तो सामात ही आई हुई है। बिलावजह हादसे का शिकार न हो जाएं, इसलिए रात्रि पाली में काम करने वाले कर्मचारी भी घरों से बाहर नहीं निकल रहे। ऐसे भी घटनाएं खूब सामने आ रही हैं, जहां ड्रोन चोरों की आड़ में लोग अपनी पुरानी दुश्मनी निकाल रहे हैं। दशहत और अफवाहें इस कदर देहतों में व्याप्त है कि आसमान में चमकती रौशनी को भी ड्रोन समझ कर अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है।
दहशत के चलते ग्रामीण पूरी-पूरी रात अपनी छतों पर बल्ब और टॉर्च जलाकर बैठे रहते हैं। जुगनुओं की रौशनी से भी चिल्ला पुकार मचने लगता है। सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में ड्रोन चोरों ने कुछ ज्यादा माहौल बिगाड़ा हुआ है। माहौल जैसे-जैसे बिगड़ना तेज हुआ, तो राज्य सरकार का ध्यान एकाएक उस ओर गया। मुख्यमंत्री ने तत्काल आपातकाल बैठक बुलाई। हालांकि, उससे पहले ही अधिकारियों ने शासन को ड्रोन्स के संबंध में कुछ उत्पाती लोग उन्माद फैलाने की फिराक में होना दर्शा दिया था। शासन ने निर्णय लिया है कि ड्रोन के ज़रिए डर पैदा करने या ग़लत सूचना फैलाने वालों पर गैंगस्टर एक्ट और एनएसए के तहत कार्रवाही की जाएगी। लेकिन, शासकीय चेतावनी के बाद भी ड्रोन का उड़ना लगातार जारी है। दो दिन पहले भी मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में एक और उच्च-स्तरीय कानून-व्यवस्था को दुरूस्त करने को लेकर बैठक हुई, जिसमें बिना अनुमति के ड्रोन उड़ाने वालों के खिलाफ कार्रवाही का आदेश पारित हुआ। जिसके उलघन में कुछ यूटयूबर और कैटरिंग वाले पकड़े गए। फिलहाल, पुलिस की पूछताछ में उनकी ड्रोन हरकतों में संलिप्ता नहीं मिली।
गौतललब है, भारत के विभिन्न प्रदेशों में समय-समय पर किस्म-किस्म के चोर गिरोहों से अफवाहें फैलती रही हैं। चोटी कटवा, कच्छा-बनिया गिरोह, बाबा गिरोह, तलवारधारी गिरोह जैसे तमाम चोरों के गिरोह की सूचनाएं पुर्व में सुनने को मिलती रहीं। मौजूदा ड्रोन से जुड़ी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उत्तराखंड और यूपी सरकार ने बकायदा पुलिस हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। जहां रात्रि के वक्त रोजाना सैकड़ों कॉल्स ड्रोन देखे जाने के संबंध में आ रही हैं। 7900 कॉल्स को पुलिस ने अभी तक रिकॉर्ड किया है जिसकी सत्यता पूरी तरह उन्माद से प्रेरित ही पाई गई। ड्रोन देखे जाने की सूचनाएं ज्यादातर अफवाहें ही साबित हो रही हैं जिनका किसी गिरोह से कोई संबंध फिलहाल दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता? प्रशासन को ’ड्रोन लुटेरों’ से फैली अफवाहों पर तुरंत अंकुश लगाना होगा, नहीं तो ग्रामीण ड्रोन गिरोह के सदस्यों के शक में बेकसूर लोगों को निशाना बनाते रहेंगे। बरेली में पिछले शनिवार को सबसे दर्दनाक घटना हुई, जहां मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति को ’ड्रोन गिरोह’ का सदस्य समझकर लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला।
- डॉ. रमेश ठाकुर
सदस्य, राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (NIPCCD), भारत सरकार!
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