स्वस्थ और सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए उपयोगी है योग

International Yoga day
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योग चित्त को शांत कर, संयम, अनुशासन और दृढ़ता के मूल्यों पर जोर देता है। जब समुदायों और समाजों पर लागू किया जाता है, तो योग स्थायी जीवन का मार्ग प्रदान करता है। अपनी इन विशेषताओं के कारण कोरोना महामारी में भी आम लोगों के लिए योग मददगार रहा।

आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है, यह न केवल एक व्यायाम है बल्कि हमारे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक विकास में सहायता कर देश में एकता स्थापित करता है।

‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है और इसका अर्थ है ‘जुड़ना, एकजुट होना’। योग व्यायाम है जो सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर प्रभाव डाल कर शरीर, मन, चेतना और आत्मा को संतुलित करता है। योग मुख्य लक्ष्य शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिक विकास करना हैं। इससे उत्तम स्वास्थ्य, आत्म-साक्षात्कार या हमारे भीतर परमात्मा की प्राप्ति। ये लक्ष्य सभी जीवित प्राणियों के लिए प्यार और सहायता, जीवन के लिए सम्मान, प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा, मन की एक शांतिपूर्ण स्थिति, पूर्ण शाकाहारी आहार, शुद्ध विचार और सकारात्मक जीवन शैली, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास, सभी के लिए सहनशीलता से प्राप्त होते हैं। 

यौगिक क्रियाएं व्यक्तियों समग्र प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए जाना जाता है। प्राणायाम एक महत्वपूर्ण, फिर भी योग का अल्पज्ञात अंग है। कुछ समय पहले तक, यौगिक श्वास की यह कला और विज्ञान कई अन्य प्राचीन भारतीय कलाओं की तरह आम आदमी के लिए लगभग पूरी तरह से अज्ञात था। प्राणायाम तकनीक इन तीन मुख्य ऊर्जा चैनलों सहित नाड़ियों को शुद्ध करने का काम करती है।

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योग चित्त को शांत कर, संयम, अनुशासन और दृढ़ता के मूल्यों पर जोर देता है। जब समुदायों और समाजों पर लागू किया जाता है, तो योग स्थायी जीवन का मार्ग प्रदान करता है। अपनी इन विशेषताओं के कारण कोरोना महामारी में भी आम लोगों के लिए योग मददगार रहा। योग केवल मन और शरीर को संतुलित नहीं करता है बल्कि दुनिया में रिश्तों को मजबूत बनाता है। स्वस्थ और सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए योग का अभ्यास करना अच्छा है। योग शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। योग करने से शारीरिक के साथ-साथ मानसिक विकास भी होता है। आधुनिक योग के जनक महर्षि पतंजलि हैं। यह एक ऐसा व्यायाम है जिसे कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा शक्ति से कर सकता है। योग की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी। योग शारीरिक और सांस लेने के व्यायाम करके अच्छे स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता को प्राप्त करने का एक उपकरण है। आपकी पसंद और आवश्यकता के आधार पर, धीमी गति से आराम करने वाले व्यायामों से लेकर जोरदार व्यायामों तक करने के विभिन्न तरीके हैं। आज योग भारत और विदेशों में लाखों अनुयायियों की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता हेतु योग सहायक होता है।

यौगिक क्रियाओं में ऐसे कई आसन हैं जो हमें स्वस्थ जीवन जीने में मदद करने के लिए विभिन्न स्तरों पर काम करते हैं। हमें इन सभी का अभ्यास करने का प्रयास करना चाहिए और उस योग आसन को बनाए रखना चाहिए जो हमारे लिए फायदेमंद हो। यह न केवल व्यायाम है बल्कि आपको तनाव से निपटने में मदद करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जीवन में शारीरिक स्वास्थ्य का विशेष महत्व होता है। यौगिक जीवन में आसान और प्राणायाम को चार भागों में विभक्त किया गया है जिन्हें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि की संज्ञा दी गयी है। दैनिक जीवन में यौगिक अभ्यास के दौरान विभिन्न आयु वर्ग के लिए तरह-तरह के आसनों का अभ्यास किया जाता है। इनमें हठ योग को शुद्धिकरण तकनीक के रूप में जाना जाता है। यौगिक आसानों के अतिरिक्त व्यक्ति के स्वास्थ्य पर उसे खानपान एवं जीवनशैली का भी खास असर पड़ता है।

हमारे जीवन में आने वाले नकारात्मक विचार और भय तंत्रिका तंत्र एवं मन को असंतुलित कर देते हैं इसलिए मन को शांत रखने के लिए यौगिक अभ्यास आवश्यक है। दैनिक जीवन में मंत्रों का अभ्यास, अच्छी संगति और मन को शुद्ध रखना मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।  सामाजिक सौहार्द न केवल आपको बल्कि दूसरों को प्रसन्न रखने में सक्षम होता है। आपसी सौहार्द एवं मित्रता बनाए रखने का अर्थ है समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाना एवं अपने समुदाय के लिए कार्य करना। योग के अभ्यास से सकारात्मकता बनी रहती हैं एवं समस्त जाति के कल्याण करने में संलग्न रहता है। 

योग का अधिक से अधिक अभ्यास करने से सहनशीलता, समझ, आपसी प्रेम, सहायता और करुणा का विकास होता है। आपसी सहनशीलता केवल व्यक्तियों के बीच में ही नहीं बल्कि सभी मनुष्यों, राष्ट्रों, नस्लों और धार्मिक विश्वासों के बीच में भी उत्पन्न करता है। योग का आध्यात्मिक लक्ष्य है ईश्वर प्राप्ति है एवं ईश्वर के साथ व्यक्तिगत आत्मा का मिलन। यह इस बात से अवगत कराता है कि हम सब एक हैं। योग कोई धर्म नहीं है अपितु यद्यपि यह आध्यात्मिकता और ज्ञान स्रोत है। यही नहीं योग सभी धार्मिक सीमाओं को लांघ कर एकता का मार्ग प्रशस्त करता है। 

- प्रज्ञा पाण्डेय

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