नये वित्त वर्ष में लागू होगा न्यू वेज कोड, ईपीएफ में आएगी 66 फीसदी की बड़ी उछाल, कर्मचारी रिटायर होते ही बनेंगे करोड़पति

Provident Fund
कमलेश पांडेय । Feb 17 2022 4:06PM

न्यू वेज कोड में कहा गया है कि कर्मचारी की बेसिक सैलरी उसकी सीटीसी के 50 परसेंट से कम कदापि नहीं होगी। इसका असर कर्मचारी के ईपीएफ यानी एम्प्लाइज प्रोविडेंट फण्ड की रकम पर भी होगा। मसलन, अब कर्मचारी और कंपनी हर महीने बेसिक सैलरी का 12-12 परसेंट योगदान पीएफ में देंगे।

सरकार के नये नियम के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 में न्यू वेज कोड लागू किया जा सकता है। जानकारों की मानें, तो न्यू वेज कोड अप्रैल 2022 के बाद कभी भी लागू किया जा सकता है। अब नए नियमों के अनुसार बेसिक सैलरी कंपनी के नेट कॉस्ट यानी सीटीसी का कम से कम 50 फीसदी होगी। यह इससे कम कदापि नहीं हो सकती है। इसलिए अब निजी क्षेत्र को कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में काफी बदलाव होने की उम्मीद जताई जा रही है।

बता दें कि न्यू वेज कोड में साफ कहा गया है कि कर्मचारी की बेसिक सैलरी उसकी सीटीसी के 50 परसेंट से कम नहीं होगी। इसका असर कर्मचारी के ईपीएफ यानी एम्प्लाइज प्रोविडेंट फण्ड की रकम पर भी होगा। कुल मिलाकर नए वेज कोड से राहत मिलेगी। अब एक अदना सा कर्मचारी भी करोड़पति बन कर रिटायर होंगे।

इसे भी पढ़ें: cryptocurrency कैसे काम करती है, क्या है ब्लॉकचेन और क्रिप्टोग्राफी, कैसे चलता है पूरा बाजार, आसान भाषा में समझें

बताते चलें कि आम बजट 2022 पेश के बाद अब नए वेतनमान के नियम यानी द न्यू वेज कोड की चर्चा इन दिनों तेजी से हो रही है। भले ही मीडिया की खबरों में इसे लेकर लगातार बहुत कुछ लिखा और कहा गया, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अब तक इस बारे में कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन जानकार अब बता रहे हैं कि अप्रैल 2022 से या उसके बाद कभी भी सरकार न्यू वेज कोड लागू करने की तैयारी कर रही है, जो अंतिम चरण में है। हालांकि सबसे बड़ी बात यह है कि जब भी न्यू वेज कोड लागू होगा तो निजी सेक्टर में काम करने वालों के लिए यह बहुत बड़ी राहत की बात होगी।

दरअसल, न्यू वेज कोड में कहा गया है कि कर्मचारी की बेसिक सैलरी उसकी सीटीसी के 50 परसेंट से कम कदापि नहीं होगी। इसका असर कर्मचारी के ईपीएफ यानी एम्प्लाइज प्रोविडेंट फण्ड की रकम पर भी होगा। मसलन, अब कर्मचारी और कंपनी हर महीने बेसिक सैलरी का 12-12 परसेंट योगदान पीएफ में देंगे।

# जानिए, क्या कहता है ईपीएफओ का नियम, न्यू वेज कोड से प्रोविडेंट फण्ड पर क्या होगा असर

ईपीएफओ के नए नियमों के मुताबिक, यदि आप पीएफ का पूरा पैसा निकालते हैं तो उस पर टैक्स नहीं लगता है। इसलिए न्यू वेज कोड लागू होने के बाद जब बेसिक सैलरी 50 परसेंट से ऊपर होगी और उस पर कुछ अधिक ही पीएफ योगदान कटेगा तो पीएफ फंड भी ज्यादा होगा। कहने का तातपर्य यह कि जब कर्मचारी रिटायर होगा तब उसके पास पहले के मुकाबले ज्यादा पीएफ बैलेंस होगा।

आइए एक उदाहरण से समझते हैं कि आखिर क्या और कैसे होगा इसका कैलकुलेशन। मान लीजिए कि आपकी उम्र 35 साल है और आपकी सैलरी 60,000 रुपये महीना है। अब इस केस में यदि आपका 10 परसेंट का वार्षिक  इंक्रीमेंट मान लिया जाए तो मौजूदा पीएफ की ब्याज दर 8.5 परसेंट पर रिटायरमेंट की उम्र तक यानी 25 साल बाद आपका कुल पीएफ बैलेंस 1,16,23,849 रुपये होगा।

# बढ़ेगा पीएफ में अंशदान और घटेगी टेक होम सैलरी, करोड़पति बन कर होंगे रिटायर 

गौरतलब है कि पीएफ की गणना मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में की जाती है। इसलिए अब बेसिक सैलरी बढ़ने से पीएफ भी बढ़ेगा। इससे कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित होगा, लेकिन कुल में से अधिक पीएफ काटा जाएगा। यह टेक-होम सैलरी को नकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकता है। वहीं, सैलरी स्लिप स्ट्रक्चर में बदलाव से टीडीएस कैलकुलेशन भी प्रभावित होगा।

वहीं, जब मौजूदा ईपीएफ योगदान से इसकी पीएफ बैलेंस की तुलना करते हैं, तो रिटायरमेंट के बाद पीएफ बैलेंस की रकम 69,74,309 रुपये होती है। यानी नए वेज रूल से पीएफ बैलेंस पुराने फंड से कम से कम 66 प्रतिशत ज्यादा होगा। यानी यदि न्यू वेज कोड लागू होता है तो आप करोड़पति बन कर रिटायर होंगे।

# न्यू वेज कोड से ग्रेच्युटी में भी होगा बदलाव

न्यू वेज कोड के अनुसार, कर्मचारियों की ग्रेच्युटी में भी बदलाव होगा। ग्रेच्युटी की कैलकुलेशन अब बड़े बेस पर होगी, जिसमें बेसिक पे के साथ-साथ दूसरे भत्तों जैसे ट्रैवल, स्पेशल भत्ता वगैरह भी शामिल हैं। इसलिए अब ये सब कुछ कंपनी की ग्रेच्युटी खाते में जुड़ेगा। कुल मिलाकर वेज कोड बिल, 2019 और न्यू वेज कोड बिल 2020 में 'वेतन' का अर्थ ही बदल दिया गया है।

इसे भी पढ़ें: वन नेशन वन रजिस्ट्रेशन के तहत जब आपकी जमीन को मिलेगा नया आधार नंबर तो फिर होंगे ढेर सारे लाभ

अब, मूल वेतन प्रतिशत में परिवर्तन के कारण, भविष्य निधि योगदान, ग्रेच्युटी और अन्य घटकों में परिवर्तन अपरिहार्य हो गया है। सबसे अधिक प्रभाव टेक-होम सैलरी या इन-हैंड सैलरी में देखा जाएगा, जिसमें कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन, भविष्य निधि में नियोक्ताओं का योगदान बढ़ना भी तय माना जा रहा है।

# न्यू वेज कोड से भत्तों में आएगी कमी

न्यू वेज कोड के नए नियमों के अनुसार, अब मूल वेतन सीटीसी के 50 फीसदी से कम नहीं हो सकता। वर्तमान में, यह ग्रास सैलरी के 30 से 40 प्रतिशत के बीच कहीं भी आता है। बाकी एचआरए, टेलीफोन शुल्क, समाचार पत्र आदि जैसे भत्तों द्वारा कवर किया जाता है। इसलिए अब चूंकि मूल वेतन ही बढ़ रहा है, तो स्वाभाविक है कि भत्ते कम हो जाएंगे। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति का वेतन 1 लाख रुपये प्रति माह है, तो पहले मूल वेतन 30,000-40,000 रुपये था और बाकी भत्ते थे। वहीं, अब मूल वेतन कम से कम 50,000 रुपये होगा और 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं होने के लिए भत्तों में कमी करनी होगी।

बहरहाल, ऐसी संभावना जताई जा रही है कि वित्त वर्ष 2022-23 से न्यू वेज कोड लागू किया जा सकता है। अलबत्ता न्यू वेज कोड लागू हो जाने पर सैलरी स्लिप में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। जिसमें बेसिक सैलरी कुल वेतन की आधी हो जाएगी और पीएफ खाते में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का और साथ ही साथ सरकार का भी अंशदान बढ़ जाएगा। जबकि इससे टेक-होम सैलरी यानी हाथ में आने वाली सैलरी घट जाएगी। इससे घरेलू बजट भी प्रभावित होगा।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़