मल्टी-कैप फंड्स क्या हैं? इसने एक वर्ष में 52 प्रतिशत का रिटर्न कैसे दिया? क्या इसके जरिए बड़ा फंड तैयार किया जा सकता है?
मल्टी-कैप फंड के तहत लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में निवेश किया जाता है। क्योंकि सेबी के नए नियमों के अनुसार मल्टी-कैप फंड में लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप तीनों में 25-25 प्रतिशत हिस्सा रखना होगा।
आजकल के जमाने में हर कोई बैठे बैठे पैसा कमाना चाहता है। इसके लिए कोई शेयर बाजार में दिमाग लगाता है या फिर कोई और गुर सीखने की कोशिश करता है। वहीं कुछ लोग पैसे से पैसा बनाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में यदि आप कम जोखिम के साथ किसी ऐसी स्कीम में निवेश करना चाहते हैं जहां आपको एफडी से ज्यादा रिटर्न मिले तो आप म्यूचुअल फंड की मल्टी-कैप स्कीम्स ने निवेश कर सकते हैं। क्योंकि इस कैटेगिरी के फंड्स ने बीते 1 साल में 52 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया है, जो कि बड़ी बात है।
जानकारों की मानें तो निम्नलिखित मल्टी कैप फंड्स ने बीते सालों में बेहतर रिटर्न दिया है। इसलिए फंड का नाम, पिछले 1 साल का रिटर्न, पिछले 3 साल में सालाना औसत रिटर्न और पिछले 5 साल में सालाना औसत रिटर्न यहां दे रहे हैं, जो इस प्रकार है:- क्वांट एक्टिव फंड- 52.34%, 28.40% और 29.74%. निप्पॉन इंडिया मल्टी कैप फंड- 50.99%, 32.13% और 21.02%. महिंद्रा मनुलाइफ मल्टी कैप फंड- 50.75%, 27.37% और 24.89%. प्रूडेंशियल मल्टी कैप फंड- 48.88%, 25.69% और 19.02%. बड़ौदा बीएनपी पारिबा मल्टी कैप फंड- 45.29%, 24.52% और 20.76%.
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दरअसल, मल्टी-कैप फंड के तहत लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में निवेश किया जाता है। क्योंकि सेबी के नए नियमों के अनुसार मल्टी-कैप फंड में लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप तीनों में 25-25 प्रतिशत हिस्सा रखना होगा। वहीं, फंड मैनेजर को न्यूनतम 75 प्रतिशत इक्विटी और इक्विटी ओरिएंटेड फंड में निवेश रखना होगा।
मान लीजिए कि फंड मैनेजर के पास निवेशकों का कुल 100 रुपए हैं। यहां फंड मैनेजर को न्यूनतम 75 रुपए इक्विटी और इक्विटी ओरिएंटेड फंड में निवेश करना होगा। जिसमें 25-25 रुपए लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप तीनों में लगाना होगा। बाकी बचे हुए 25 रुपए फंड मैनेजर अपने हिसाब से निवेश कर सकते हैं। इससे आपको मुनाफा भी होगा और रिस्क भी कम रहेगा।
बताते चलें कि यदि आप इक्विटी फंड्स में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, लेकिन ज्यादा-रिस्की एक्सपोजर लेना नहीं चाहते, तो आप टॉप-रेटेड मल्टी-कैप फंड्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं। ऐसा इसलिए कि मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से ये फंड्स अच्छी तरह डाइवर्सिफाइड भी होते हैं। भले ही ये फंड्स, मार्केट के स्थिर रहने पर, स्मॉल और मिड-कैप फंड्स की तुलना में अपेक्षाकृत कम रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन अस्थिर मार्केट कंडीशन में ये फंड्स कम रिस्की होते हैं। इसलिए, यदि आप एक ऐसा फंड चाहते हैं जिसमें कम रिस्क हो तो मल्टी-कैप फंड्स आपके लिए सही इन्वेस्टमेंट चॉइस हो सकता है।
लिहाजा, जो निवेशक इक्विटी में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन बहुत अधिक जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, इन फंड्स में निवेश कर सकते हैं। वहीं, पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइ करने का भी ये एक अच्छा विकल्प है। जो निवेशक एक ही पोर्टफोलियो में जोखिम और अस्थिरता के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं, वे भी मल्टी-कैप फंड्स का विकल्प चुन सकते हैं।
इससे स्पष्ट है कि म्यूचुअल फंड में एक साथ पैसा लगाने के बजाय सिस्टमेंटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी के जरिए निवेश करना चाहिए। क्योंकि यदि आप एसआईपी के जरिए हर महीने एक निश्चित धनराशि इसमें लगाते हैं, तो इससे रिस्क और कम हो जाता है। वजह यह कि इससे इस पर बाजार के उतार चढ़ाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता। इसके अलावा एसआईपी के जरिए आप आसानी से बड़ा फंड भी तैयार कर सकेंगे, जो कि भविष्य में आपके किसी काम आ सकता है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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