ब्लॉकचेन क्या है? इसका अविष्कार किसने किया है? इसके बारे में हमें क्यों जानना चाहिए?

Blockchain Technology
कमलेश पांडेय । Aug 6 2021 12:07PM

ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर है। यहां पर यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि लेजर क्या है? दरअसल, लेजर एक ऐसा बुक है जो कि ऐसे एकाउंट रखता है जहाँ डेबिट्स और क्रेडिट्स ट्रांसक्शन्स पोस्ट होते हैं। उस बुक से जहाँ कि ओरिजनल एंट्री होते हैं।

हाल-फिलहाल में बिटकॉइन बहुत सुर्ख़ियों में रहा है। लोगों में इस क्रिप्टो करेंसी को लेकर बहुत उम्मीद पैदा हुई है। ऐसा इसलिए कि इसकी कीमत दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। चूंकि बिटकॉइन का सम्बन्ध ब्लॉकचेन से है। यही वजह है कि बिटकॉइन के पीछे की टेक्नोलॉजी "ब्लॉकचेन" के बारे में आपको बताना जरूरी समझता हूं। 

सवाल है कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है? यह कैसे काम करता है। आपको पता होना चाहिए कि ब्‍लॉकचेन तकनीक हमारे आईटी इंडस्ट्री को उसी प्रकार से बदलने वाला है, जैसे कि ओपन सॉर्स सॉफ्टवेयर ने एक दशक पहले किया था। यही नहीं, जिस प्रकार लिनक्स लगभग एक दशक से मॉडर्न एप्लीकेशन डेवलपमेंट का मूल रहा है, ठीक वैसे ही ब्लॉकचेन भी आने वाले समय में एक बहुत ही बेहतरीन जरिया बनने वाला है इन्फॉर्मेशन शेयर करने का। खास बात यह कि यह सबकुछ लोअर कॉस्ट में ही होगा और बड़ी आसानी से ही इसे इम्पलीमेंट भी किया जा सकता है ओपन और प्राइवेट नेटवर्क्स के बीच।

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लेकिन, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को लेकर लोगों में काफी हाइप उत्पन्न हुई थी, क्योंकि उन्हें लगा कि ये हमारे भविष्य के टेक्नोलॉजी को पूरी तरह से बदल सकता है। ये बात काफी हद तक सही भी है, किंतु ऐसे बोलने से तो बात समझ में नहीं आएगी, बल्कि हमें ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी  को पूरी तरह से समझना होगा। इसके अलग अलग पहलुओं पर सोच विचार करना होगा। तब जाकर हम इसे मौजूदा टेक्नोलॉजी से बेहतर होने की बात बोल सकते हैं।

यह बात सही है कि ब्लॉकचेन को अपनाने की गति बहुत ही धीमी है, परन्तु टेक्नोलॉजी एक्सपर्टस का मानना है कि आने वाले समय में ये गति धीरे-धीरे तेज होने वाली है, जो की हमारे लिए एक अच्छी खबर है। भविष्य में ये टेक्नोलॉजी पूरी दुनिया को बदलने वाली है। इसलिए आज मैंने सोचा कि क्यों नहीं आप लोगों को इस नए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के विषय में पूरी जानकारी प्रदान कर दें, ताकि  आपको इसे समझने में आसानी होगी। 

# ब्‍लॉकचेन तकनीक क्या है?

ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर है। यहां पर यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि लेजर क्या है? दरअसल, लेजर एक ऐसा बुक है जो कि ऐसे एकाउंट रखता है जहाँ डेबिट्स और क्रेडिट्स ट्रांसक्शन्स पोस्ट होते हैं। उस बुक से जहाँ कि ओरिजनल एंट्री होते हैं। या फिर यूँ कहें कि ओरिजनल बुक से एंट्री इस लेजर में अपडेट होते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ब्लॉकचेन एक डिजिटाइज्ड, डिसेंट्रलाइज्ड, पब्लिक लेजर होती है, जहां किसी भी प्रकार का हिसाब-किताब उसके मूल स्रोत तक का उल्लेख करते हुए सरलता पूर्वक रखा जाता है।

उदाहरणतया, यह मान लीजिये कि आपके पास एक फ़ाइल ऑफ ट्रांसक्शन्स ए “नोड“ जो कि आपके कंप्यूटर ए “लेजर” में है। दो गवर्नमेंट एकाउंट्स, जिन्हें हम “मैनर्स” कहते हैं, के पास भी वही समान फ़ाइल उनके सिस्टम में हैं। इसलिए ये “डिस्ट्रिब्यूटेड“ हैं। जैसे ही आप एक ट्रांसक्शन्स करते हैं, आपका कम्प्यूटर उन दोनों अकाउंटेंट को ई-मेल करता है, उन्हें इन्फॉर्म करने के लिए। इन दोनों में से जो भी पहले चेक करता है और आखिरकार उसे वैलिडेट कर “रिप्लाई आल” प्रेस करता है, वहीं इसके साथ वो अपनी लॉजिक को भी अटैच कर देता है, उस ट्रांसक्शन्स को वेरीफाई करने के लिए और इसे ही “प्रूफ ऑफ वर्क” कहा जाता है।

यदि इसी बीच वो दूसरा अकाउंटेंट भी एग्री हो जाता है, तब सभी अपने फाइल्स ऑफ ट्रांसक्शन्स को अपडेट्स कर लेते हैं। इसी पूरे प्रोसेस या कॉन्सेप्ट को “ब्लॉकचेन" टेक्नोलॉजी कहा जाता है। इसलिए ब्लॉकचेन एक ऐसा इंकॉररूपटैब्ल डिजिटल लेजर ऑफ ट्रांसक्शन्स है जिसे कि प्रोग्राम्ड किया जाता है, वर्चुअली सभी चीज़ों को रिकॉर्ड करने के लिए। सभी लिस्ट ऑफ रिकॉर्ड जो कि ब्लॉकचेन में होते हैं, उन्हें “ब्लॉक” कहा जाता है। इसलिए ये ब्लॉकचेन हमेशा कॉन्टिनुअसली ग्रोइंग लिस्ट ऑफ रिकार्ड्स है जो कि लिंक्ड और सिक्योरड होते हैं।

# ब्लॉकचेन टेक्नालॉजी का अविष्कार किसने किया है?

ब्लॉकचेन टेक्नालॉजी का अविष्कार सातोशी नकामोटो ने 2008 में किया था, ताकि वो इसे क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन में, उसके पब्लिक ट्रांसक्शन्स लेजर के हिसाब से कर सकें। ये सब करने के पीछे सातोशी नकामोटो का जो मुख्य उद्देश्य था, वो यह कि वे एक डिसेंट्रलाइज्ड बिटकॉइन लेजर -द ब्लॉकचेन- बनाना चाहते थे जो कि लोगों को उनके पैसों को कंट्रोल करने की क्षमता देता है। जिससे कि कोई भी थर्ड पार्टी या कोई भी गवर्नमेंट, इन पैसों को एक्सेस या मॉनिटर नहीं कर सके। 

दिलचस्प बात तो यह है कि बिटकॉइन के क्रियेटर, जो कि सातोशी नकामोटो हैं, सन 2011 में अचानक ही गायब हो जाते हैं, और अपने पीछे इस ओपन सॉर्स सॉफ्टवेयर को छोड़ जाते हैं जिसे कि बिटकॉइन यूजर्स इश्तेमाल करें और उसे अपडेट और इम्प्रूव करें। वहीं, बहुतों का मानना है कि ये सातोशी नकामोटो नाम का कोई व्यक्ति है ही नहीं। यह बस एक काल्पनिक कैरेक्र्टर है। वैसे इसकी सत्यता को लेकर किसी के पास भी सही जानकारी उपलब्ध नहीं है।

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निर्विवाद रूप से बिटकॉइन के लिए ब्लॉकचेन का अविष्कार (इन्वेंशन) एक ऐसी पहल है जो इस डिजिटल करेंसी से जुड़ी डबल स्पेंडिंग प्रॉब्लम को हल कर सकता है, वो भी बिना किसी ट्रस्टेड सेंट्रल ऑथोरिटी या सेंट्रल सर्वर के मदद के। इसलिए ये ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी बहुत सारे दूसरे एप्लीकेशन का इंस्पिरेशन भी रहा है।

# ब्लॉकचेन के विषय में हमें क्यों जानना चाहिए?

ब्लॉकचेन के विषय में जानने के तीन मुख्य कारण हैं: 

पहला, ब्लॉकचेन टेक्नॉलॉजी को पब्लिकली एग्जीस्ट करने की कोई जरुरत नहीं है। ये प्राइवेटली भी एग्जीस्ट कर सकता है, जहाँ पर नोड्स केवल सिम्पली पॉइंट्स होंगे किसी एक प्राइवेट नेटवर्क में और ब्लॉकचेन एक डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर के तरह काम करेगा। फाइनेंसियल इंस्टिट्यूशन्स बहुत ही प्रेशर में हैं क्योंकि उन्हें रेगुलेटरी कंप्लायंस डेमोंस्ट्रेट करना पड़ रहा है। इसलिए बहुत सारे इंस्टीट्यूशन्स ब्लॉकचेन का इम्पलीमेंटेशन्स कर रहे हैं। सिक्योर सॉल्यूशन्स जैसे कि ब्लॉकचेन एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण बिल्डिंग ब्लॉक बन सकता है, कंप्लायंस कॉस्ट्स को कम करने के लिए।

दूसरा, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की पहुँच फाइनेंस से भी ज्यादा है। इसे किसी भी मल्टी-स्टेप ट्रांसक्शन जहाँ ट्रेसिबिलिटी और विजिबिलिटी की जरुरत है, वहां इसे अप्लाई किया जा सकता है। सप्लाई चैन एक ऐसा नोटेबल केस है जहाँ कि ब्लॉकचेन का इस्तमाल लिवरेज को मैनेज करने के लिए और साइन कॉन्ट्रैक्टस एवं प्रॉडक्ट प्रोवेनांस को ऑडिट करने के लिए किया जा सकता है। इसके साथ, इसका इस्तेमाल वोटेशन प्लेटफॉर्म्स में भी, टाइटल्स और डीड मैनेजमेंट के लिए किया जा सकता है। जैसे-जैसे डिजिटल और फिजिकल वर्ल्डस कनवर्ज हो रहे हैं, वैसे-वैसे ब्लॉकचेन की प्रैक्टिकल ऍप्लिकेशन्स भी धीरे-धीरे बढ़ रही है।

तीसरा, ब्लॉकचेन की एक्सपोनेंशियल और डिसरूपटिव ग्रोथ तभी आ सकती है जब पब्लिक और प्राइवेट ब्लॉकचेनस एक साथ कनवर्ज करें यानी मिलें, एक ऐसे इकोसिस्टम में जहाँ कि फर्म्स, कस्टमर्स और सप्लायर्स एक साथ मिलकर कोलाबोरेट कर सकें एक सिक्योर, ऑडिटेबल और वर्चुअल वे में।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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