गंगा सप्तमी पर इस तरह करें गंगा पूजन, मिलेगा यश और कीर्ति

Ganga saptami poojan

हमारे देश में गंगा को सिर्फ नदी नहीं बल्कि देवी के रूप में भी पूजा जाता है और गंगा में डुबकी लगाने से सभी पाप दूर होते हैं। 22 अप्रैल को गंगा सप्तमी के अवसर पर गंगा के माहात्म्य की चर्चा करते हैं।

भारत में प्रायः सभी पर्वों पर गंगा स्नान पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है। बहुत से शहरों में गंगा किनारे गंगा आरती का भी आयोजन किया जाता है। साथ ही शुभ अवसरों पर गंगा में दीपदान भी किया जाता है।  

गंगा सप्तमी

वैसाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाया जाने वाला यह त्यौहार उत्तर भारत में खास तौर से मनाया जाता है। इसे गंगा जयंती या गंगा पूजन भी कहा जाता है। इस साल यह जयंती 22 अप्रैल 2018 को मनायी जा रही है। एक मान्यता के अनुसार वैसाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को जान्हु ऋषि के कान से प्रवाहित होने के कारण जान्हु सप्तमी भी कहा जाता है। जान्हु ऋषि की पुत्री होने के कारण गंगा का एक नाम जान्हवी भी है।

गंगा के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथाएं

गंगा के जन्म से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। एक पौराणिक कथा के मुताबिक गंगा का जन्म विष्णु के पैर में होने वाले पसीने की बूंद से हुआ है। एक कथा कहती है कि गंगा का जन्म ब्रह्मदेव के कमण्डल से हुआ है। एक मान्यता ये भी प्रचलित है कि राक्षस बलि से जगत को मुक्त करने के लिए ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के पैर धोए और जल को अपने कमण्डल में भर लिया। इससे गंगा उत्पन्न हुईं। गंगा को धरती पर लाने का प्रयत्न राजा भगीरथ ने किया था। उनके प्रयास से ही गंगा का धरती पर अवतरण हो पाया। ऐसा माना जाता है कि कपिल मुनि ने राजा सागर के 60000 पुत्रों को भस्म कर दिया था। उनके उद्धार हेतु राजा भगीरथ ने तपस्या की।

भगीरथ की तपस्या से मां गंगा धरती पर आने को तैयार तो हो गयीं लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी तीव्र जलधारा पृथ्वी पर प्रलय ला देगी। भगवान शिव के प्रयास से उनका वेग कम हो सकता है। तब राजा भगीरथ ने शिव जी से प्रार्थना की। भगवान शिव ने अपनी जटा से गंगा की तेज धारा को नियंत्रित कर धरती पर भेजा। तब उसमें राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की अस्थियां विसर्जित कीं और उनका उद्धार हुआ।

गंगा जयंती का महत्व 

गंगा सप्तमी के दिन ही गंगा जी की उत्पत्ति हुई थी। इस दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से शिव जी की जटा में पहुंची थीं। इसलिए इस गंगा-पूजन का विशेष महत्व है। गंगा जयंती के दिन गंगा में स्नान करने तथा पूजन से सभी दुख-क्लेश दूर होते हैं। इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। अगर आप गंगा नदी में स्नान न कर सकें तो गंगा के जल की कुछ बूंदें पानी में डाल कर स्नान करें। इस प्रकार के स्नान से भी सिद्धि प्राप्त होती है। यश-सम्मान की भी प्राप्ति होती है। मांगलिक दोष से ग्रस्त व्यक्तियों को गंगा जयंती के अवसर पर गंगा-स्नान और पूजन से विशेष लाभ मिलता है।  

प्रज्ञा पाण्डेय

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