Kumbh Sankranti 2024: आज मनाई जा रही कुंभ संक्रांति, जानिए स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

Kumbh Sankranti 2024
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फरवरी में जिस क्षण सूर्य कुंभ राशि में गोचर करेंगे, उस समय को कुंभ संक्रांति होगा। कुंभ संक्रांति के मौके पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। आज यानी की 13 फरवरी को सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। फरवरी माह में ग्रहों के राजा सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश करने जा रहे हैं। शनि की राशि कुंभ में ही सूर्य गोचर करेंगे। जब सूर्यदेव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसको संक्रांति कहा जाता है। फरवरी में जिस क्षण सूर्य कुंभ राशि में गोचर करेंगे, उस समय को कुंभ संक्रांति होगा। कुंभ संक्रांति के मौके पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन नदी में स्नान आदि कर सूर्यदेव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।

कुंभ संक्रांति के बाद माघ महीने की शुरूआत होती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान आदि कर दान-पुण्य करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि कुंभ संक्रांति कब है, इसका शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है। 

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कुंभ संक्रांति

हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल 13 फरवरी यानी की आज के दिन सूर्यदेव दोपहर 03:54 मिनट पर शनि की राशि कुंभ में प्रवेश करेंगे। यह पल सूर्य की कुंभ संक्रांति का क्षण होगा। इसलिए 13 फरवरी 2024 को कुंभ संक्रांति मनाया जाएगा।

महापुण्य काल

बता दें कि आज यानी की कुंभ संक्रांति के मौके पर कुल 1 घंटा 51 मिनट महापुण्य काल का समय है। दोपहर 02:02 मिनट से लेकर 03:54 तक महापुण्य काल रहेगा।

स्नान-दान का समय

कुंभ संक्रांति के मौके पर स्नान-दान का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसे में आप आज यानी की 13 फरवरी को सुबह 09:57 मिनट से स्नान-दान कर सकते हैं। इस दिन दान आदि करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

सूर्य पूजा का महत्व

इस दिन स्नान आदि कर सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए। सूर्यदेव को अर्पित करने वाले जल में गुड़, रोली, लाल पुष्प और लाल चंदन मिलाकर अर्घ्य दें। सूर्य देव को अर्घ्य देने के दौरान सूर्य मंत्र का विशेष रूप से जाप करें। इसके बाद आप आदित्य हृदय स्त्रोत और सूर्य चालीसा भी पढ़ सकते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस विधि से सूर्यदेव की पूजा करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति में वृद्धि होती है और जातक को यश व कीर्ति प्राप्त होती है। इस तरह से पूजा-अर्चना करने से पिता का साथ मिलता है।

इन मंत्रों का करें जाप

'ॐ आदित्याय नमः'

'ॐ भास्कराय नमः'

'ॐ सूर्याय नमः'

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