मोहिनी एकादशी व्रत का महत्व, कथा और पूजन विधि

mohini ekadshi vrat

वैसाख महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी बहुत श्रेष्ठ मानी जाती है। इस एकादशी को करने से न केवल मोह-माया का बंधन खत्म होता है बल्कि अनजाने में होने वाले पापों का भी नाश होता है।

मोहिनी एकादशी व्रत की कथा 


पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा युधिष्ठिर ने एक बार श्रीकृष्ण से पूछा कि वैसाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है और इसकी कथा कैसी है ? तब श्रीकृष्ण ने उस कथा के बारे में बताया जो गुरु वशिष्ठ ने भगवान श्रीराम को सुनायी थी। इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में भद्रावती नाम का एक नगर था जो सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ था। इस नगर में धनपाल नाम का एक वैश्य रहता था जो हमेशा पुण्यकार्यों में लगा रहता था। उस वैश्य के पांच बेटे थे। उनमें चार बेटे अच्छे थे और पिता की आज्ञा मानते थे। लेकिन सबसे छोटा बेटा दुष्ट बुद्धि का था। वह हमेशा गलत कामों में लिप्त रहता था। 

एक बार जब उसके पिता नगर भ्रमण पर निकले थे तो वह एक नगर वधू का हाथ थामे चौराह पर घूम रहा था। ऐसे में उसके पिता उसे देखकर बहुत क्रुद्ध हुए और उन्होंने उसे घर से निकाल कर दिया। साथ ही अपनी सम्पत्ति देने से भी मना कर दिया। उसके बाद उस दुष्ट व्यक्ति के दूसरे भाइयों ने भी उससे संबंध तोड़ लिए। इस तरह वह सड़क पर रहकर भीख मांगने लगा। उसकी दशा बहुत खराब हो गयी। इस तरह से वह परेशान होकर कौटिल्य नाम के ब्राह्मण के पास गया और अपनी व्यथा सुनायी। उसकी व्यथा सुनकर उन्होंने मोहिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। एकादशी का व्रत करने से उस दुष्ट बुद्धि के सभी पाप धुल गए और वह परलोक को चला गया। 

एकादशी के दिन इस तरह करें पूजा 

एकादशी व्रत करने वाले भक्त को दशमी के दिन से नियम का पालन करना चाहिए। उसे सूर्योदय के बाद कुछ अन्न नहीं ग्रहण करना चाहिए। साथ ही दशमी की रात को भगवान का ध्यान करके सोना चाहिए। एकादशी की सुबह ईश्वर का ध्यान करके उठें। उसके बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को लाल कपड़ों से सजाकर धूप-दीप दिखाएं। धूप-दीप दिखाकर फल-फूल का प्रसाद चढ़ावें। उसके बाद पूरे दिन भगवान का भजन करें। दूसरे दिन द्वादशी को पारण के समय ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें, उसके बाद भोजन ग्रहण करें। 

मोहिनी एकादशी का महत्व 

वैसे तो वर्ष भर आने वाली सभी एकादशियों का महत्व होता है। लेकिन मोहिनी एकादशी का खास महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। इस बार मोहिनी एकादशी 26 अप्रैल को पड़ रही है। इस एकादशी को शुभ मुहूर्त बन रहा है इसमें आप विवाह, गृह प्रेवश, नया व्यवसाय, घर में बहू का प्रवेश इत्यादि करा सकते हैं। इस व्रत के प्रभाव से सभी प्रकार के दुख और पाप खत्म हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने सीता को खोजने के लिए मोहिनी एकादशी व्रत किया था। 

-प्रज्ञा पाण्डेय

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