Saraswati Puja 2025: महाअष्टमी पर मां सरस्वती की विशेष कृपा के लिए करें यह पूजन विधि, मिलेगी अपार विद्या

मां सरस्वती को विद्या और ज्ञान की देवी माना जाता है। नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन उनके आह्वान के साथ शुरू होता है और अष्टमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। वहीं नवमी के दिन सरस्वती बलिदान होता है और आखिरी दिन यानी की दशमी को सरस्वती विसर्जन होता है।
पूरे देश में नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक यह पर्व मुख्य रूप से तीन देवियों मां दुर्गा, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की पूजा-आराधना को समर्पित होता है। इसमें मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है। मां सरस्वती को विद्या और ज्ञान की देवी माना जाता है। नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन उनके आह्वान के साथ शुरू होता है और अष्टमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। वहीं नवमी के दिन सरस्वती बलिदान होता है और आखिरी दिन यानी की दशमी को सरस्वती विसर्जन होता है। आज यानी की 30 सितंबर को महाअष्टमी के दिन सुर और संगीत की मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
सरस्वती पूजा की डेट
29 सितंबर 2025- सरस्वती आवाह्नान
30 सितंबर 2025- सरस्वती पूजा
01 अक्टूबर 2025- सरस्वती बलिदान
02 अक्टूबर 2025- सरस्वती विसर्जन
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दूसरे दिन करते हैं मां सरस्वती की पूजा
बता दें कि शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां सरस्वती की पूजा पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में की जाती है। इस दिन मां वीणा वादिनी मां सरस्वती की प्रधान पूजा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की विधिविधान से पूजा की जाती है। वहीं सरस्वती पूजन के दिन पठन, पाठन और लेखन कार्य नहीं किया जाता है।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनें। फिर मां सरस्वती की पूजा घर में चित्र या प्रतिमा को स्थापित करें। फिर रोली, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, फल और मिष्ठान आदि अर्पित करें। मां सरस्वती को सफेद रंग की मिठाई और सफेद वस्त्र अर्पित करें। मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें और फिर आरती कर सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें।
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