रूक्मिणी द्वादशी के दिन मंदिर में दर्शन से होता है जल्दी विवाह

Rukmini Dwadashi vrat and puja

वैसाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को रूक्मिणी द्वादशी कहा जाता है। रूक्मिणी द्वादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने रूक्मिणी का हरण कर विवाह किया था। इस बार रूक्मिणी द्वादशी 27 अप्रैल को पड़ रही है।

वैसाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को रूक्मिणी द्वादशी कहा जाता है। रूक्मिणी द्वादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने रूक्मिणी का हरण कर विवाह किया था। इस बार रूक्मिणी द्वादशी 27 अप्रैल को पड़ रही है। तो आइए रूक्मिणी द्वादशी के महत्व की चर्चा करते हैं।

रूक्मिणी देवी रोज आती हैं स्नान हेतु 

महाभारत में वर्तमान के अवंतिका मंदिर को अहार मंदिर के नाम से जाना जाता था। ऐसी मान्यता है कि रूक्मिणी देवी रोज वहां गंगा स्नान कर देवी अवंतिका की पूजा करती थीं। ऐसा करने से उन्हें श्रीकृष्ण जैसे वर मिले। रूक्मिणी देवी का विवाह उनके पिता और भाई ने किसी और से तय कर दिया था। इसकी सूचना रूक्मिणी देवी ने पुजारी के जरिए श्रीकृष्ण तक पहुंचा दी। सूचना पाते ही भगवान मंदिर में पहुंचे और हरण कर रूक्मिणी देवी से विवाह कर लिया। ऐसा माना जाता है कि रूक्मिणी देवी आज भी किसी न किसी रूप में गंगा स्नान कर मंदिर में दर्शन करने अवश्य आती हैं। 

अवंतिका देवी मंदिर की विशेषता  

जिस मंदिर से भगवान श्रीकृष्ण रूक्मिणी का हरण कर विवाह किया था उसे अवंतिका देवी मंदिर कहा जाता है। आज भी यह मंदिर मौजूद है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गंगा नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर की चर्चा श्रीमद्भागवत और महाभारत में भी हुई है। इस मंदिर में अवंतिका देवी की प्रतिमा है। अवंतिका देवी को अम्बिका देवी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में अम्बिका देवी साक्षात प्रकट हुई हैं। मंदिर में एक नहीं बल्कि दो प्रतिमाएं हैं इन्हें ही अवंतिका देवी कहा जाता है। बायीं ओर स्थित देवी को जगदम्बा कहा जाता है और दाहिने तरफ सतीजी की प्रतिमा है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां अवंतिका देवी को किसी तरह की चुनरी या कपड़ा नहीं चढ़ाया जाता। बल्कि यहां केवल सिन्धूर और गहने चढ़ाए जाते हैं।

दर्शन से होता है जल्दी विवाह 

 ऐसी मान्यता है कि अगर कुंवारी कन्याएं अवंतिका देवी के दर्शन करती हैं तो उनके विवाह की जल्दी सम्भावना रहती है। यही नहीं ऐसा माना जाता है कि देवी की कृपा से उन्हें भगवान श्रीकृष्ण जैसा अच्छा वर भी मिलता है। यहां दर्शन के लिए कुंवारी लड़कियों के अलावा अन्य भक्तों की भी भारी भीड़ इकट्ठा होती है।

 

रूक्मिणी द्वादशी का महत्व 

रूक्मिणी द्वादशी के दिन अवंतिका देवी मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्तों की बहुत भीड़ होती है। साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद रूक्मिणी देवी के मंदिर में भी रूक्मिणी द्वादशी बड़े धूमधाम से मनायी जाती है। 

-प्रज्ञा पाण्डेय

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