Sheetala Ashtami 2022: कब है शीतला अष्टमी या बसौड़ा? जानें शुभ मुहूर्त, महत्त्व और पूजन विधि

sheetala ashtami 2022

शीतला अष्टमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन माँ दुर्गा के एक स्वरुप शीतला माता की पूजा की जाती है। इस दिन माताएं अपने बच्चों को बीमारियों से दूर रखने के लिए और उनकी खुशहाली के लिए व्रत-पूजन करती हैं। शीतला अष्टमी का पर्व होली के कुछ दिन बाद मनाया जाता है।

हिंदू धर्म में ऐसे बहुत से व्रत-त्यौहार हैं जिन्हें माताएँ अपनी संतान की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए रखती हैं। शीतला अष्टमी भी ऐसा ही एक पर्व है। इस दिन माँ दुर्गा के एक स्वरुप शीतला माता की पूजा की जाती है। इस दिन माताएं अपने बच्चों को बीमारियों से दूर रखने के लिए और उनकी खुशहाली के लिए व्रत-पूजन करती हैं। शीतला अष्टमी का पर्व होली के कुछ दिन बाद मनाया जाता है। शीतला अष्टमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। इस दिन माता को भोग लगाने के बाद बासी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इस बार शीतला अष्टमी का पर्व 25 मार्च 2022 (शुक्रवार) को पड़ रहा है।

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क्या है व्रत का महत्व?

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, शीतला माता आरोग्य प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। स्कंद पुराण में उन्हें चेचक, खसरा और हैजा जैसी संक्रामक बीमारियों से बचाने वाली देवी बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन जो महिलाऐं शीतला माता का व्रत श्रद्धापूर्वक रखती हैं, उनके घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। शीतला माता की कृपा से उनके परिवार और बच्चे निरोगी रहते हैं। 

शीतला अष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त 

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ - 24 मार्च 2022 को रात 12 बजकर 09 मिनट 

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समापन - 25 मार्च 2022 को रात 10 बजकर 04 मिनट

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कैसे करें मां शीतला का व्रत?

इस दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें और मन में व्रत का संकल्प करें। 

माता को हल्दी का तिलक लगाएं और घर पर भी हल्दी से स्वस्तिक बनाएं। 

इसके बाद शीतला माता को एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाना, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी आदि का भोग लगाएं। 

भोग लगाने के बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें और शीतला अष्टमी की कथा सुनें। 

माता को जल्द अर्पित करें और इसी जल से आँखें धोएं। 

माता को अर्पित किया हुआ भोग खुद प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।

- प्रिया मिश्रा

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