Shukra Pradosh Vrat 2024: शुक्र प्रदोष व्रत से प्राप्त होती है समृद्धि

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22 मार्च 2024 को शुक्र प्रदोष व्रत वाले दिन धृति और रवि योग का संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग, कुंभ राशि में शुक्र, शनि और मंगल की युति से त्रिग्रही योग बन रहा है। ऐसे में शिव पूजा करने वालों इन सभी ग्रहों की शुभता प्राप्त होगी।

आज शुक्र प्रदोष व्रत है, हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है, तो आइए हम आपको शुक्र प्रदोष व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं।

  

जानें शुक्र प्रदोष व्रत के बारे में 

पुराणों के अनुसार शुक्र प्रदोष व्रत धनदायक माना जाता है। प्रदोष व्रत के दिन जो व्यक्ति भगवान शंकर की शाम को विधिवत पूजा करता है वह सभी पापकर्मों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है। भगवान भोलेनाथ स्वंय उसी हर संकट से रक्षा करते हैं, धन-सुख, समृद्धि से जीवन परिपूर्ण रहता है। इस साल 22 मार्च को शुक्र प्रदोष पड़ा है और यह व्रत बहुत खास है, शिव भक्तों को मिलेगा दोगुना फल। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से भोलेनाथ भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं। इस दिन शिवजी की आरती का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होता है। इस दिन इस शिव चालीसा का पाठ जरूर करें।

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शुक्र प्रदोष व्रत के शुभ संयोग 

22 मार्च 2024 को शुक्र प्रदोष व्रत वाले दिन धृति और रवि योग का संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग, कुंभ राशि में शुक्र, शनि और मंगल की युति से त्रिग्रही योग बन रहा है। ऐसे में शिव पूजा करने वालों इन सभी ग्रहों की शुभता प्राप्त होगी।

शुक्र प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त 

फाल्गुन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरू- 22 मार्च 2024, सुबह 04 बजकर 44

फाल्गुन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त- 23 मार्च 2024, सुबह 07 बजकर 17

पूजा का समय- शाम 06.34- रात 08.55

शुक्र प्रदोष व्रत के दिन करें ये उपाय 

धन के लिए उपाय- बिजनेस में दिन दोगुनी रात चौगुना तरक्की चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत की शाम को शिव मंदिर जल में गुलाल डालकर शिव जी का अभिषेक करें। पंडितों का मानना है इससे धन प्राप्ति के रास्ते खुलते हैं. मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।

अच्छा जीवनसाथी- शादी के लिए मनचाहा जीवनसाथी पाना चाहते हैं तो शुक्र प्रदोष व्रत की शाम एक मौली से शिव-पार्वती का गठबंधन कराएं और शिव चालीसा का पाठ करें। कहते हैं इससे लव लाइफ में मिठास आती है. साथ ही सुयोग्य जीवनसाथी पाने की कामना पूरी होती है।

परेशानियों का अंत- किसी मुकदमे में फंसे हैं और उसके चलते आपकी परेशानियां घटने के बजाय बढ़ती जा रही हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन धतूरे के पत्ते को पहले साफ पानी से धो लें, फिर उन्हें दूध से धोकर शिवलिंग पर अर्पित करें। ऐसा करने से आपको मुकदमे की परेशानियों से बाहर निकलने में मदद मिलेगी।

शुक्र व्रत पूजा सामग्री में होता है इन सामग्रियों का इस्तेमाल

पंडितों के अनुसार पूजा की सामग्री में धूप, रोली, दीप, चंदन, अक्षत, शमी के पत्ते, मिठाई, फल, फूल, धतूरा, भस्म और बेलपत्र आदि शामिल किए जा सकते हैं। निम्न वो मंत्र दिए जा रहे हैं जिनका प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान जाप किया जा सकता है।

शुक्र प्रदोष व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा

प्राचीन काल में एक नगर में राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और धनिक पुत्र तीन मित्र रहते थे। इन मित्रों में राजकुमार, ब्राह्मण कुमार अविवाहित थे लेकिन धनिक पुत्र का विवाह हो गया था लेकिन गौना बाकी था। तीनों मित्र एक दिन बात कर रहे थे कि स्त्रियों के घर विरान होता है और उसमें भूत निवास करते हैं। उसके बाद धनिक पुत्र अपने ससुराल गया और विदाई की जिद करने लगा। इस पर उसके ससुराल वालों ने कहा कि अभी शुक्र देव डूबे हैं, अभी विदाई करना ठीक नहीं है। लेकिन धनिक पुत्र नहीं माना और अपनी पत्नी विदा कर ले आया। 

रास्ते में बैलगाड़ी का पहिया टूट गया और दोनों पति-पत्नी गिर गए उन्हें चोट लग गयी। उसके बाद उन्हें रास्ते में डाकू मिले जो सारा धन लूटकर ले गए। इसके बाद भी परेशानी कम नहीं हुई घर पहुंच कर धनिक पुत्र को सांप ने काट लिया और वैद्य ने कहा कि यह केवल तीन दिन तक जीवित रहेगा। तब धनिक पुत्र के घर वाले उसके मित्र ब्राह्मण कुमार को बुलाए। ब्राह्मण कुमार ने धनिक के मां-बाप को शुक्र प्रदोष का व्रत करने की सलाह दी और धनिक को उसकी पत्नी के साथ ससुराल भेज दिया। इस प्रकार शुक्र व्रत के प्रभाव से धनिक पुत्र की समस्याएं कम हो गयीं और वह धीरे-धीरे ठीक हो गया। 

शुक्र प्रदोष व्रत के मंत्र 

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान कुछ खास मंत्रों का जाप भी किया जा सकता है। इन मंत्रों का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है।

शुक्र प्रदोष व्रत के नियम जानें

प्रदोष व्रत करने वाले साधक को सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रिया के बाद घर की साफ सफाई कर के स्नान करना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल या अपने घर के मंदिर की अच्छी तरह से साफ सफाई करें। अब एक चौकी लें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और शिव परिवार की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद शिव परिवार के समक्ष प्रदोष व्रत का संकल्प लें। अब पंचामृत और जल से शिव परिवार को स्नान करवाएं। सफेद चंदन और अक्षत का तिलक करें। अब घी का दीपक और धूप जलाएं। भगवान शिव को बेल पत्र बहुत प्रिय माने जाते हैं इसलिए उनकी पूजा में उनको बेल पत्र जरूर अर्पित करें। अब भगवान को सफेद फूलों की माला अर्पित करें और सम्पूर्ण शिव परिवार को खीर का भोग लगाएं। अब महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और प्रदोष व्रत कथा पढ़ें या सुने। पूजा का समापन आरती के साथ करें और पूजा या व्रत में हुई गलतियों के लिए भगवान से क्षमा मांगे और अगले दिन सुबह पूजा करने के बाद अपना व्रत खोलें।

शुक्र प्रदोष व्रत पर ऐसे करें पूजा, मिलेगा लाभ

मार्च का दूसरा प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है और इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव का पूजन शाम के समय प्रदोष काल में किया जाता है। पंडितों के अनुसार प्रदोष काल में भोलेनाथ प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और इस दौरान उनकी अराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद मंदिर में पूजा करें। भोलेनाथ और माता पार्वती को तिलक लगाएं और फिर उन्हें फूल व फल अर्पित करें। इसके बाद दिनभर फलाहार करें और शाम के समय प्रदोष काल में स्नान आदि करने के बाद मंदिर में चौकी बिछाकर शिव परिवार की तस्वीर स्थापित करें। शिव जी और गणेश जी को चंदन का तिलक लगाएं और पार्वती जी को सिंदूर का तिलक लगाएं। फिर शिव जी को बेल पत्र और धतूरा अर्पित करें। इसके बाद घी की दीपक जलाएं और मिष्ठान का भोग लगाएं।फिर शिव चालीसा का पाठ करें और भोलेनाथ से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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