यमुना छठ पर घाटों के किनारे होती है विशेष पूजा

Yamuna Chhath

यमुना छठ हिन्दुओं का खास पर्व होता है। यमुना छठ के दिन यमुना नदी में स्नान कर सफेद कपड़े पहनने चाहिए। उसके बाद यमुना नदी की पूजा प्रारम्भ करें। पूजा में सबसे पहले यमुना नदी में फूल अर्पित करें उसके बाद दीप जलाएं।

यमुना छठ का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। इस दिन भक्त यमुना नदी में स्नान करते हैं तथा कठिन उपवास भी रखा जाता है। तो आइए हम आपको यमुना छठ के महत्व और पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 

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जानें यमुना छठ के बारे में

हिन्दू धर्म में साल में दो बार छठ मनाया जाता है। एक बार कार्तिक महीने में दूसरी बार चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यमुना छठ मनाया जाता है। यमुना छठ को यमुना जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यमुना जयंती या यमुना छठ इस साल 30 मार्च को पड़ रही है। ऐसी मान्यता है कि यमुना जयंती के दिन मां यमुना का जन्मदिन है। इसलिए इस दिन भक्त यमुना नदी में स्नान कर विविध प्रकार के व्यंजन चढ़ाते हैं। इसके अलावा इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। कुछ भक्त यमुना छठ पर कठिन व्रत भी करते हैं। भक्त सुबह-शाम यमुना जी पूजा करते हैं और व्रत करने के बाद अगले दिन 24 घंटे के बाद उपवास तोड़ा जाता है। साथ ही महिलाएं घर में विविध प्रकार की मिठाइयां तैयार करती हैं और देवी यमुना को चढ़ाती हैं और इसे सभी सम्बन्धियों में बांट देती हैं। 

यमुना छठ पर ऐसे करें पूजा

यमुना छठ हिन्दुओं का खास पर्व होता है।  यमुना छठ के दिन यमुना नदी में स्नान कर सफेद कपड़े पहनने चाहिए। उसके बाद यमुना नदी की पूजा प्रारम्भ करें। पूजा में सबसे पहले यमुना नदी में फूल अर्पित करें उसके बाद दीप जलाएं। दीप जलाने के बाद यमुना नदी के किनारे बैठकर माता यमुना के मंत्रों का जाप करें। यमुना छठ की कथा पढ़े और दूसरे भक्तों को पढ़ कर सुनाएं। उसके बाद यमुना माता की आरती करें। आरती के बाद अपनी गलतियों के लिए मां से क्षमा मांगे।

यमुना छठ से जुड़ी पौराणिक कथा

यमुना छठ से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार सूर्य की पत्नी छाया की पुत्री यमुना तथा पुत्र यम थे। वे दोनों ही श्याम वर्ण के थे। यम अपनी बहन यमुना से बहुत स्नेह करते थे। इसलिए यमराज ने बहन यमुना को यह आर्शीवाद दिया कि यमुना नदी में स्नान करने से कोई भी व्यक्ति यमलोक नहीं जाएगा। तभी से यमुना में स्नान करना पवित्र माना जाता है।  साथ ही यह मान्यता भी प्रचलित है कि जब श्रीकृष्ण ने लक्ष्मी जी को राधा का रूप लेकर आने के लिए तो वह यमुना जी को भी अपने साथ ले आयीं। इसलिए द्वापर युग में यमुना धरती पर नदी के रूप में अवतरित हुईं। इसलिए ब्रज में यमुना को मां के रूप में माना जाता है तथा यमुना छठ पर विशेष पूजा-पाठ करने के लिए भक्त एकत्रित होते हैं।

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यमुना छठ का मुहूर्त 

षष्ठी तिथि शुरू हो रही है- 30 मार्च 2020  को रात 02 बजकर 01 मिनट से 

षष्ठी तिथि खत्म हो रही है- 31 मार्च 2020 सुबह 03 बजकर 14 मिनट तक 

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यमुना छठ का महत्व 

यमुना छठ का हिन्दू धर्म में खास महत्व होता है। इस दिन यमुना नदी के हर घाट पर यमुना जी की पूजा और आरती होती है। साथ ही मां यमुना को छप्पन भोग अर्पित किए जाते हैं और शहरों में झाकियां निकाली जाती है। मथुरा और वृंदावन में यमुना छठ का विशेष महत्व है। यमुना छठ के दिन ही वल्लाभाचार्य जी ने यमुना अष्टक की रचना भी की थी। 

- प्रज्ञा पाण्डेय

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