Vaishakh Vinayak Chaturthi 2024: गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त करते हैं वैशाख विनायक चतुर्थी व्रत

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शास्त्रों के अनुसार परिवार की तरक्की एवं उन्नति के लिए विनायक चतुर्थी के दिन मूषक पर सवार गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर की पूजा करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। भगवान गणेश को मोदक बेहद प्रिय है।

आज वैशाख विनायक चतुर्थी व्रत है, हिंदू धर्म में की जाने वाली पूजा-पद्धति की शुरुआत गणेश जी की पूजा से होती है। उनकी पूजा किए बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है, तो आइए हम आपको वैशाख विनायक चतुर्थी व्रत एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 

वैशाख विनायक चतुर्थी 2024 का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 11 मई 2024 को प्रात: 02 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी और 12 मई 2024 को प्रात: 02 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी।

पूजा का समय - सुबह 10.57 - दोपहर 01.39 (12 मई 2024)

वैशाख विनायक चतुर्थी व्रत के दिन ऐसे करें पूजा 

पंडितों के अनुसार इस दिन प्रातः स्नान करने के बाद शुभ मुहूर्त में तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें। एक कोरे कलश में जल भरकर उसके मुंह पर लाल वस्त्र बांधकर उसके ऊपर गणेश जी को विराजमान करें। गणेश जी को सिंदूर और दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं. इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू जरुरतमंदों को बांट दें। गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा का पाठ करें. फिर सुख-समृद्धि की कामना करें और आरती के बाद शाम को फिर से पूजा के बाद ही व्रत पारण करें। 

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विनायक चतुर्थी चंद्र को अर्घ्य न दें 

पौराणिक कथा के अनुसार जब गणपति को गज का मुख लगाया गया था तो चंद्र देव ने उनके शरीर की बनावट पर उपहास किया था। चांद को अपने सौंदर्य पर बहुत अभिमान था। जिससे बप्पा को बहुत क्रोध आया और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दिया कि तुम्हारा रंग काला पड़ जाएगा और जो गणेश चतुर्थी पर तुम्हारे दर्शन करेगा उस पर झूठ का कलंक लगेगा। हालांकि भूल का एहसास होने पर चंद्र देव ने माफी मांगी लेकिन श्राप वापस नहीं हो सकता था।

जानें वैशाख विनायक गणेश चतुर्थी के बारे में 

प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। यह दिन मुख्यतः भगवान गणेश जी की पूजा के लिए समर्पित है। कई साधक इस दिन भगवान गणेश के निमित व्रत आदि भी करते हैं। ऐसे में पहली विनायक चतुर्थी 14 जनवरी को मनाई जाएगी। सनातन धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य देव के रूप में जाना जाता है, क्योंकि किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य में सबसे पहले गणेश जी को याद किया जाता है। पंडितों के अनुसार, किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा करने से उस कार्य में कोई बाधा नहीं आती। हर महीने अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानी विनायक चतुर्थी बहुत खास मानी जाती है।

वैशाख विनायक चतुर्थी पर करें ये उपाय

शास्त्रों के अनुसार परिवार की तरक्की एवं उन्नति के लिए विनायक चतुर्थी के दिन मूषक पर सवार गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर की पूजा करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। भगवान गणेश को मोदक बेहद प्रिय है। ऐसे में किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं। इससे आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी। मोदक के अलावा भगवान गणेश को दूर्वा भी प्रिय है। विनायक चतुर्थी को पूजा के समय गणेश जी को दूर्वा की 5 या 21 गांठ ''इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः'' मंत्र के साथ अर्पित करें। विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के समय गणेश जी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और उसी से स्वयं का भी तिलक करें। इस दिन पूजा के समय गणेश जी को शमी के पत्ते अर्पित करें। इससे गणेश जी प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामनाएं पूरी करेंगे। 

वैशाख विनायक गणेश जी को करें ये अर्पित

वैशाख विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश को मोदक या बेसन के लड्‌डू अर्पित करना चाहिए, कहते हैं इससे वह जल्दी प्रसन्न होते हैं और सभी कार्य सिद्ध होते हैं। धन संबंधी परेशानी है, बच्चे का मन पढ़ाई में एकाग्र नहीं हो पाता तो वैशाख विनायक चतुर्थी पर गणेश चालीसा का पाठ करें और बच्चे से गणपति पर सिंदूर चढ़वाएं। पंडितों का मानना है कि इससे संतान का बौद्धिक विकास होता है।

वैशाख विनायक चतुर्थी के दिन इन गणेश मंत्रों का जाप करें

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:। निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा।।

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्।।

सिद्धिबुद्धि पते नाथ सिद्धिबुद्धिप्रदायिने। मायिन मायिकेभ्यश्च मोहदाय नमो नमः।।

वैशाख विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के अर्पित करें ये चीजें

 विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी को मोदक, दुर्वा, बूंदी के लड्डू और सिंदूर जरूर चढ़ाएं। ऐसा करने से गजानन जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा घर में सुख-समृद्धि आती है और बच्चों बुद्धि और एकाग्रता का आशीर्वाद मिलता है। 

जानें वैशाख विनायक चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथा

हिन्दू धर्म में विनायक व्रत से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार माता पार्वती के मन में एक बार विचार आया कि उनका कोई पुत्र नहीं है। इस तरह एक दिन स्नान के समय अपने उबटन से उन्होंने एक बालक की मूर्ति बनाकर उसमें जीव भर दिया। उसके बाद वह एक कुंड में स्नान करने के लिए चली गयीं। उन्होंने जाने से पहले अपने पुत्र को आदेश दे दिया कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति को अंदर प्रवेश नहीं करने देना। बालक अपनी माता के आदेश का पालन करने के लिए कंदरा के द्वार पर पहरा देने लगता है। थोड़ी देर बाद जब भगवान शिव वहां पहुंचे तो बालक ने उन्हें रोक दिया। भगवान शिव बालक को समझाने का प्रयास करने लगे लेकिन वह नहीं माना। क्रोधित होकर भगवान शिव त्रिशूल से बालक का शीश धड़ से अलग कर दिया। उसके बाद माता पार्वती के कहने पर उन्होंने उस बालक को पुनः जीवित किया।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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