Vaishakh Purnima 2024: परिघ योग, शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी वैशाख पूर्णिमा

Vaishakh Purnima
ANI

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा 22 मई को देर रात 06:47 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 23 मई को संध्याकाल 07:22 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। अतः 23 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी।

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि बहुत पुण्यदायी मानी गई है। वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध जयंती के नाम से जाना जाता है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा का पर्व गुरुवार 23 मई को मनाई जाएगा। यह पर्व हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों के अनुयायी मनाते हैं। बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति के दिन के रूप में देखा जाता है और और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। वहीं हिंदू मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने अपना 9 वां अवतार बुद्ध के रूप में लिया था। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा मनाई जाती है। इस प्रकार 23 मई को वैशाख पूर्णिमा है। इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। शास्त्रों में निहित है कि वैशाख पूर्णिमा तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। अतः हर वर्ष वैशाख पूर्णिमा तिथि पर बुद्ध जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा-उपासना की जाती है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन परिघ योग, शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे है।

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैशाख पूर्णिमा का हिंदुओं में बेहद महत्व है। वैशाख पूर्णिमा 23 मई 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन लोग सत्यनारायण कथा चंद्रमा को अर्घ्य और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है जो लोग इस पवित्र दिन का उपवास रखते हैं उन्हें दिव्य शक्तियां प्राप्त होती हैं साथ ही उनके घर पर माता लक्ष्मी का वास सदैव के लिए हो जाता है। शास्त्रों में निहित है कि वैशाख पूर्णिमा तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसी दिन ज्ञान की प्राप्ति और परिनिर्वाण हुआ था। अतः हर वर्ष वैशाख पूर्णिमा तिथि पर बुद्ध जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा-उपासना की जाती है। इस अवसर पर लोग गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। साथ ही पूजा-पाठ कर दान-पुण्य करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा को गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार बौद्ध धर्म के लोगों के लिए खास माना जाता है। इस दिन गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का पालन किया जाता है और उनकी विशेष पूजा की जाती है। बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मुख्य रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया में मनाया जाता है। इसी शुभ तिथि पर गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था। गौतम बुद्ध ने 35 वर्ष की आयु में निर्वाण प्राप्त कर लिया था। इस साल बुद्ध पूर्णिमा 23 मई 2024 को मनाई जाएगी।

इसे भी पढ़ें: Buddha Purnima: शांति और प्रेम का संदेश देती है बुद्ध पूर्णिमा

चंद्रमा को अर्घ्य देने की है परंपरा

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधगया में दुनियाभर से बौद्ध धर्म मानने वाले आते हैं और बोधि वृक्ष की पूजा करते हैं।  वैशाख पूर्णिमा पर पवित्र नदी के जल से स्नान के बाद घर में भगवान सत्यनारायण की पूजा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है। माना जाता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति मिलती है और सुख-समृद्धि का वास होता है

शुभ मुहूर्त

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा 22 मई को देर रात 06:47 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 23 मई को संध्याकाल 07:22 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। अतः 23 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैशाख मास की पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा,पीपल पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा सभी में श्रेष्ठ मानी गई है। प्रत्येक माह की पूर्णिमा जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित होती है। भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है। जिन्हें इसी पावन तिथि के दिन बिहार के पवित्र तीर्थ स्थान बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। वैशाख माह को पवित्र माह माना गया है। इसके चलते हज़ारों श्रद्धालु पवित्र तीर्थ स्थलों में स्नान,दान कर पुण्य अर्जित करते हैं। पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्त्व माना गया है।

वैशाख पूर्णिमा पूजा अनुष्ठान

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी में पवित्र स्नान करें। जो लोग गंगा नदी स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं, वे घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाएं। कुछ लोग इस दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान के लिए हरिद्वार, ऋषिकेश और अन्य प्रमुख स्थानों पर भी जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि गंगा जल शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है। इस दिन लोग भगवान चंद्र को अर्घ्य देते हैं और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करते हैं। यह खास दिन दान-पुण्य के लिए भी फलदायी माना जाता है। पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्रों का दान करना चाहिए। इस दिन भक्त सत्यनारायण व्रत रखते हैं, और उनकी पूजा करते हैं। पूर्णिमा का दिन बेहद खास माना जाता है, क्योंकि चंद्रमा की रोशनी सीधे पृथ्वी पर आती है, जिससे घर में समृद्धि और खुशी का वास होता है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन खिलाना चाहिए और वस्त्रों का दान करना चाहिए।

- डा. अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़