Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2025: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत से सभी चुनौतियों होती हैं दूर

धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है। हर महीने की संकष्टी चतुर्थी का एक विशेष नाम होता है। आश्विन मास की संकष्टी चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।
आज विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत है, इस व्रत से जीवन में सभी चुनौतियों से मुक्ति मिलती है। विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है तो आइए हम आपको विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें विघ्रराज संकष्टी चतुर्थी व्रत के बारे में
धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है। हर महीने की संकष्टी चतुर्थी का एक विशेष नाम होता है। आश्विन मास की संकष्टी चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है और रात को चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही ये व्रत पूर्ण होता है। विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आती है। पंडितों के अनुसार जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करता है, उसे संतान की प्राप्ति, स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित होता है।
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जानें विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत के बारे में
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 सितंबर, बुधवार की दोपहर 03 बजकर 38 मिनिट से शुरू होगी, जो 11 सितंबर, गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 45 मिनिट तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का चंद्रोदय 10 सितंबर को उदय होगा, इसलिए इसी दिन विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन ऐसे करें पूजा
पंडितों के अनुसार विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन बुधवार है। बुधवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। आप चाहे तो निर्जला उपवास कर सकते हैं या एक समय फलाहार कर सकते हैं। चंद्रोदय यानी रात 08:06 से पहले घर में किसी साफ स्थान पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित कर पूजन करें। श्रीगणेश की प्रतिमा पर तिलक लगाएं, माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक भी जरूर जलाएं। श्रीगणेश को अबीर, गुलाल, चावल, रोली, फूल, पान, वस्त्र, जनेऊ, दूर्वा आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं। पूजा करते समय ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें। लड्डू का भोग लगाएं और आरती करें। रात को जब चंद्रमा उदय हो तो जल से अर्ध्य दें और फूल-चावल आदि चीजें चढ़ाएं। इसके बाद स्वयं भोजन करें। इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत-पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत का शुभ योग
पंडितों के अनुसार विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कई शुभ संयोग एक साथ बन रहे हैं। इस संकष्टी चतुर्थी पर वृद्धि योग, ध्रुव योग और शिववास योग का मेल बन रहा है। इस दिन कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और मां पार्वती एक साथ विराजमान रहेंगे। इन योग में भगवान गणेश की पूजा बेहद शुभ और मनचाहा वर देने वाला माना जाता है।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत का है विशेष महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से संतान की प्राप्ति, स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करता है, उसके जीवन में सफलता आती है और नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। गणेश उत्सव के दौरान 10 दिन तक बप्पा भक्त के भक्त धूमधाम से ये पर्व मनाते हैं। ऐसे में गणेश विसर्जन के बाद ये पहला व्रत होता है जो गणपति जी को समर्पित है, इसलिए इसकी विशेष मान्यता है। विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत संतान प्राप्ति, स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए भी बहुत फलदायी माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी का अर्थ ही संकटों को हरने वाली चतुर्थी है, इसलिए यह व्रत जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
विघ्रराज संकष्टी चतुर्थी व्रत से सुख-समृद्धि में वृद्धि
संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से घर परिवार में सुख-शांति और आर्थिक समृद्धि बनी रहती है।
विघ्रराज संकष्टी चतुर्थी व्रत से नकारात्मकता का नाश
सच्चे मन से गणपति बप्पा की आराधना करने से जीवन में सकारात्मकता आती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। यह व्रत करने से जीवन में आ रही बाधाएं या विघ्न दूर होते हैं।
विघ्रराज संकष्टी चतुर्थी व्रत से होता है धन लाभ
पंडितों के अनुसार भगवान गणेश की पूजा से बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है। इस व्रत को रखने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अगर आर्थिक तंगी हो तो गुड़ और घी का भोग लगाने से धन लाभ होता है।
विघ्रराज संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन करें ये मंत्र जाप:
पंडितों के अनुसार विघ्रराज संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन इस मंत्र का जाप करें। ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥ इस मंत्र के जाप करने से लाभ होता है।
विघ्रराज संकष्टी चतुर्थी व्रत पर इस प्रसाद का मिलता है भोग
विघ्रराज संकष्टी चतुर्थी व्रत पर गणेश जी को गुड़-घी का भोग लगाकर इसे गाय को खिला सकते हैं।
विघ्रराज संकष्टी चतुर्थी व्रत से जुड़ी ये रोचक बातें
पंडितों के अनुसार चतुर्थी (चौथ) के देवता हैं शिवपुत्र गणेश। इस तिथि में भगवान गणेश का पूजन से सभी विघ्नों का नाश हो जाता है। संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। चतुर्थी के व्रतों के पालन से संकट से मुक्ति मिलती है और आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। संकष्टी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं और शांति बनी रहती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश जी घर में आ रही सारी विपदाओं को दूर करते हैं और व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। पूरे साल में संकष्टी चतुर्थी के 13 व्रत रखे जाते हैं। सभी व्रत के लिए एक अलग व्रत कथा है। यदि चतुर्थी गुरुवार को हो तो मृत्युदा और शनिवार की चतुर्थी सिद्धिदा होती है।
- प्रज्ञा पाण्डेय
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