लाली की शादी में लड्डू दीवानाः दूर ही रहें इस शादी से
सभी कलाकारों ने इतनी ओवर एक्टिंग की है कि गर्मी के मौसम में दर्शकों का गुस्सा और बढ़ जायेगा। वैसे तमाम तरह के विवादों में आई इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जोकि विवादित हो।
इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'लाली की शादी में लड्डू दीवाना' देखकर आप उस शख्स को कोसेंगे जिसने आपको यह फिल्म देखने की सलाह दी। फिल्म शुरू से लेकर अंत तक बेकार के झोलों से भरी पड़ी है। लेखक ने कहानी लिखते समय सभी तर्कों को परे रख दिया तो निर्देशक ने अपनी बात को साबित करने के लिए कोई तथ्य देना जरूरी नहीं समझा। फ्लैश बैक और वर्तमान के बीच झूलती कहानी में कश्मीर की वादियों तथा कई अन्य मनमोहक जगहों के दृश्य आपको पसंद आ जाते लेकिन सभी कलाकारों ने मिलकर इतनी ओवर एक्टिंग की है कि गर्मी के मौसम में दर्शकों का गुस्सा और बढ़ जायेगा। वैसे अपने प्रदर्शन से पूर्व तमाम तरह के विवादों में आई इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जोकि विवादित हो।
फिल्म की शुरुआत होती है लाली की शादी से। लाली की शादी होने जा रही है लेकिन वह नौ महीने की गर्भवती है। मंडप में दो दूल्हे लड्डू और वीर बैठे हैं। लड्डू वीर के पास यह खुलासा करने पहुंच जाता है कि लाली के होने वाले बच्चे का बाप वही है। फिर शुरू होता है फ्लैशबैक। इसमें लाली और लड्डू की प्रेम कहानी दिखायी गयी है। अमीर बनने का सपना देखने वाला लड्डू लाली को अमीरजादी समझकर मन में खूब ख्याली पुलाव बनाना शुरू कर देता है। एक दिन उसे पता चलता है कि लाली ने नौकरी छोड़ दी है और उसकी तरह सड़क पर आ चुकी है दूसरी ओर लाली को भी लड्डू के झूठ पता चल जाता है। फिर भी वह लड्डू के साथ कश्मीर जाने के लिए तैयार हो जाती है।
अभिनय के मामले में कोई भी कलाकार प्रभावी नहीं रहा। यह निर्देशक की कमजोर ही कही जाएगी कि वह कलाकारों से अच्छा काम कराने में सफल नहीं रहे। फिल्म का गीत संगीत भी निष्प्रभावी है और अचानक ही कहानी में आते गानों ने फिल्म को और बोझिल बनाने में भरपूर योगदान दिया है। निर्देशक ने फिल्म में जहां जहां हास्य पैदा करने की कोशिश की बात और बिगड़ गयी है।
कलाकार- अक्षरा हसन, विवान शाह, गुरमीत चौधरी, सौरभ शुक्ला और निर्देशक- मनीष हरिशंकर।
प्रीटी
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