मन को भाएगी फिल्म ''निल बटे सन्नाटा''

प्रीटी । Apr 25, 2016 12:47PM
''निल बटे सन्नाटा'' सबसे बेहतरीन फिल्म है। भले फिल्म में बड़ी स्टार कास्ट नहीं हो और कहानी में बॉलीवुड का चालू मसाला और धूम धड़ाका नहीं हो लेकिन फिर भी फिल्म प्रभावित करती है।

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्मों में 'निल बटे सन्नाटा' सबसे बेहतरीन फिल्म है। भले फिल्म में बड़ी स्टार कास्ट नहीं हो और कहानी में बॉलीवुड का चालू मसाला और धूम धड़ाका नहीं हो लेकिन फिर भी फिल्म प्रभावित करती है। सरकार के 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के नारे को मजबूती से सामने रखती इस फिल्म को एक बार जरूर देखना चाहिए। फिल्म की कहानी में संवेदनाएँ हैं और एक माँ के अपने बच्चे को आगे बढ़ते देखने की ख्वाहिशें हैं। निर्देशक ने फिल्म की कहानी को कहीं भी पटरी से नहीं उतरने दिया है और फिल्म की गति को एक-सा बनाए रखा जोकि उनकी बड़ी कामयाबी है। यह फिल्म अभी दिल्ली में ही पूरी तरह टैक्स फ्री हुई है अन्य राज्य सरकारों को भी चाहिए कि इस फिल्म को टैक्स फ्री करें ताकि अधिक से अधिक लोग इस फिल्म को देख सकें।

फिल्म की कहानी आगरा में रहने वाली चंदा सहाय (स्वरा भास्कर) और उसकी बेटी अपेक्षा (रिया शुक्ला) के इर्दगिर्द घूमती है। चंदा कॉलोनी के कुछ घरों में सफाई वगैरह का काम करती है। वह खुद तो नहीं पढ़ पाई थी लेकिन उसकी इच्छा है कि उसकी बेटी खूब पढ़े और बड़ी होकर डॉक्टर, इंजिनियर बनकर नाम रौशन करे। लेकिन अपेक्षा का मानना है कि उसे भी जब अपनी माँ की तरह ही घरों में काम करना है तो पढ़ लिख कर क्या करना इसीलिए वह ज्यादातर समय घर पर टीवी देखती रहती है। वह दसवीं में पहुंच चुकी है और गणित में बेहद कमजोर है। यह बात चंदा जानती है और उसे डर है कि कहीं अपेक्षा गणित में फेल न हो जाये। वह इस बात से भी परेशान रहती है कि अपेक्षा पढ़ाई पर ध्यान देने की उसकी सलाह को गंभीरता से नहीं लेती। वह अपनी इस परेशानी को कॉलोनी में डॉक्टर मैडम (रत्ना शाह पाठक) को बताती है तो वह उसे एक सलाह देती हैं। सलाह के मुताबिक चंदा भी उसी स्कूल में दाखिला ले लेती है जिसमें अपेक्षा पढ़ती है। स्कूल में चंदा देखती है कि क्लास में गणित का टीचर (पकंज त्रिपाठी) अपेक्षा का कम नंबर लाने की वजह से मजाक उड़ाता रहता है। एक ही क्लास में होने के बावजूद मां-बेटी एक दूसरे से अनजान बनी रहती हैं। अपेक्षा को यह पसंद नहीं कि उसकी माँ भी स्कूल में आए, लेकिन चंदा अपनी बेटी को सही राह पर लाने के लिए अपना फैसला नहीं बदलती। घर में मां-बेटी के बीच समझौता होता है कि अगर अपेक्षा गणित में चंदा से ज्यादा नंबर लाएगी तो चंदा स्कूल जाना बंद कर देगी।

अभिनय के मामले में स्वरा छा गयीं। उन्होंने गजब का अभिनय किया है। कौन कहता है कि बिना हीरो के फिल्में नहीं बनतीं। स्वरा इस फिल्म की हीरो भी हैं और हिरोइन भी। रिया शुक्ला ने भी अच्छा काम किया है। रत्ना शाह पाठक भी अपने रोल में जमी हैं। टीचर के रोल में पंकज त्रिपाठी लोगों के चेहरे पर मुसकान बिखेर गये। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की एक और बड़ी खूबी है। निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी निश्चित रूप से इस बेहतरीन फिल्म के लिए कई पुरस्कार लेकर जाएँगे।

कलाकार- स्वरा भास्कर, पकंज त्रिपाठी, रिया शुक्ला, रत्ना शाह पाठक।

निर्देशक- अश्विनी अय्यर तिवारी।

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