Ask the Expert| एक्ने सिर्फ Oily Skin वालों को नहीं बल्कि किसी भी Skin Type पर हो सकते है, Dr. Banani Choudhary से जानें

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एलर्जी के कारण स्कीन रैश होता है। कई लोगों को एलर्जी होने के कारण स्किन पर इचिंग की समस्या अधिक होती है। एलर्जी होने पर अच्छे से स्किन को मॉइश्चराइज करना चाहिए। एंटी एलर्जिक टैबलेट या लोशन आते हैं, जिनका उपयोग किया जा सकता है।

गर्मियां शुरू हो गई है। इस दौरान धूप, पसीना, धूल कण मिलकर स्किन को गंदा करते हैं जिससे स्किन के पोर्स बंद होने लगते है। इस कारण स्किन पर एक्ने की समस्या काफी अधिक होने लगेगी। स्किन प्रोडक्ट इस्तेमाल करने के कारण भी एक्ने हो सकता है। एक्ने होने के पीछे कई कारण है, जिसे लेकर प्रभासाक्षी ने बात की है, डॉ. बनानी चौधरी से, जो मुंबई के Jaslok Hospital and Research centre और Sir HN Reliance Foundation Hospital and Research Centre में कंसलटेंट डर्माटोलॉजिस्ट हैं.. उनके पास जेरियाट्रिक केयर और एटोपिक डर्माटिटिस में 15 वर्षों का एक्सपीरियंस है... उन्होंने  textbook of Dermatology and Aesthetics, Evidence based Dermatology , Text book of Indian Journal of Dermatolgy में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 

एक्ने या पिंपल्स स्किन के नीचे ऑयल ग्लैंड के कारण होता है। आमतौर पर ये ऑयल ग्लैंड एक्टिविटी 12 साल यानी प्यूबर्टल एज के बाद होती है। इस उम्र में युवाओं को प्यूबर्टल एक्ने होता है। एक एक्ने एडल्ट एक्ने होता है, जो 30-40 वर्ष की उम्र में होता है। महिलाओं को मेनोपॉज एज में होता है, जो लेट 50 वर्ष में होता है।

एक्ने किसी तरह का इंफेक्शन नहीं होता है बल्कि ये ऑयल ग्लैंड एक्टिविटी होती है। एक्ने किसी भी स्किन में हो सकता है, ड्राई स्किन, कॉम्बिनेशनल स्किन हो या ऑयली स्किन हो। ये स्किन के नीचे ऑयल ग्लैंड की एक्टिविटी पर निर्भर करता है। जिनकी स्किन के नीचे ऑयल ग्लैंड अधिक एक्टिव होगा उन्हें अधिक पिंपल्स या एक्ने होने की संभावना होती है। 

प्यूबर्टल एक्ने में एक्ने अधिक होता है। इस उम्र में आने वाले एक्ने को लेकर युवाओं को अधिक जानकारी नहीं होती है। एक्ने को छूने से वो अधिक बढ़ जाते है, जबकि युवा बार बार इन्हें छूने से बाज नहीं आते। बार बार एक्ने को छूने या इन्हें परेशान करने से ये निशान छोड़ सकते है। आमतौर पर एक्ने निशान नहीं छोड़ते है, लेकिन अगर एक्ने को छुआ या फोड़ा है तो ये निशान छोड़ सकता है। 

अडल्ट उम्र में होने वाले एक्ने के पीछे कारण अलग होते है। मेडिकेशन, स्ट्रेस, एंजायटी, हॉर्मोनल चेंज आदि के कारण एक्ने की समस्या होती है। एक्ने शरीर में कई जगहों पर हो सकता है। आमतौर पर फेस, चेस्ट, बैक, हाथ में एक्ने होना सबसे सामान्य है। 

मेनोपॉजियल एक्ने थोड़े समय के लिए ही रहता है। इसमें भी दवाई दी जाती है। कुछ ही समय में ये परेशानी खत्म हो जाती है। एक्ने तीन फेज में होते है, जिनका ट्रीटमेंट भी उसके अनुरुप ही किया जाता है। और सबसे अहम बात ये है कि ड्राई स्किन वाले लोगों को भी एक्ने की समस्या हो सकती है। 

क्या सिर पर तेल लगाने से बढ़ते हैं पिंपल्स
तेल लगाना या समय समय पर बालों की ऑयलिंग करना अच्छा होता है मगर तेल बालों पर लगना चाहिए ना कि स्कैल्प पर। स्कैल्प भी स्किन होती है, जिस पर तेल लगाने से पिंपल्स होने की संभावना बढ़ती है। बालों में सप्ताह में एक बाद 30-40 मिनट के लिए तेल लगाना चाहिए। सिर पर या स्कैल्प पर तेल नहीं लगाना चाहिए, जिससे एक्ने होने की संभावना बढ़ती है। पीसीओडी के कारण भी पिंपल्स होते है, जिससे हॉर्मोनल इंबैलेंस होता है। एक्ने की समस्या होती है इसके अलावा हॉर्मोनल एक्ने भी होता है। एक्ने के कारण स्कार भी हो जाता है। कई बार स्किन में एक्ने होने के बाद बार बार उसी जगह पर होता है। ऐसे में डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।

मिडिल एज में डायबेटिक्स मेडिसीन मिलती है। ये दवाइयां सीधे एक्ने नहीं करती है मगर ये स्कैल्प में तेल बढ़ाते है। इससे एक्ने हो सकता है। स्टीरॉयड शरीर में ऑयल एक्टिविटी बढ़ाती है, जिससे अधिक एक्ने होता है। कई बार जो लोग जिम जाते हैं और घर आकर अच्छे से नहीं नहाते हैं, उन्हें शरीर में एक्ने हो सकता है। 

मेकअप के कारण क्या एक्ने होता है
आजकल यूट्यूब के कारण इंफ्लूएंसर्स को देखकर युवा कई तरह की लेयरिंग के साथ स्किन केयर करते है, जिसमें टोनर, सीरम जैसे कई प्रोडक्ट्स शामिल होते है। इसके बाद मेकअब किया जाता है। इनसे भी एक्ने की समस्या होती है। हालांकि अगर मेकअप के बाद स्किन को डबल क्लिंज किया जाए तो ये समस्या अधिक नहीं होती है। फेसवॉश और क्लेंजर के जरिए फेस क्लीन करना जरुरी होता है। फेस वॉश के बाद मॉइश्चराइजर लगाना भी जरुरी है। अगर आठ या 12 घंटे तक मेकअप रहता है चेहरे पर तो एक्ने की समस्या होती है। इससे बचने के लिए सनस्क्रीन युक्त मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें। इससे चेहरे पर कम प्रोडक्ट्स लगते है।

डाइट के कारण क्या एक्ने होता है
डाइट और एक्ने का सीधा कोई संबंध नहीं होता है। अगर ऑयली फूड खाते हैं तो ये वैसे भी शरीर के लिए अच्छा नहीं होता है। ऐसे में एक्ने से बचने के लिए अच्छी डाइट लेनी चाहिए, ताकि स्किन की सेहत हेल्दी रह सके। स्किन को हेल्दी बनाने के लिए फ्रेश फ्रूट्स, ड्राय फ्रूट्स और सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इनमें जिंक, मिनरल्स और विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं जिससे स्किन चमकदार बनती है। ये चेहरे और स्कैल्प के ऑयल को कंट्रोल करने में मदद करता है। डायट में एक दो फ्रूट, ड्राय फ्रूट्स और सब्जियां रोज खानी चाहिए।

एक्ने मार्क्स और एक्टिव एक्ने को दूर कैसे करें
शरीर में किसी चीज की कमी के कारण एक्ने की समस्या नहीं होती है। हालांकि कुछ मामलों में अगर शरीर में जिंक की काफी अधिक कमी हुई है तो एक्ने हो सकता है। आमतौर पर चेहरे पर आए एक्ने मार्क्स को दूर करने के लिए डर्माटोलॉजिस्ट क्रिम देते है, जिससे मार्क्स दूर हो जाते है। हालांकि स्कार होने पर ये दूर होने में समय लगता है। एक्ने मार्क्स आमतौर पर क्रीम से दूर हो जाते है मगर स्कार मार्क दूर करने के लिए ट्रीटमेंट की जरुरत होती है। स्कार को ट्रीटमेंट के जरिए 95 प्रतिशत तक ठीक किया जा सकता है।

गर्मियों में किस तरह की सनस्क्रीन लगानी चाहिए
रोजमर्रा के लिए एसपीएफ 25 से 35 युक्त सनस्क्रीन काफी होती है, लेकिन अगर कोई अधिक समय तक सन में रहता है तो उसे एसपीएफ 45-50 तक की सनस्क्रीन का उपयोग करना चाहिए। सनस्क्रीन भी ड्राय स्किन के लिए लोशन आधारित सनस्क्रीन दी जाती है। नॉर्मल टू कमॉम्बिनेशन स्किन के लिए लोशन या जैल सनस्क्रीन का उपयोग होता है। ऑयली स्किन के लिए जेल आधारित सनस्क्रीन का उपयोग होता है, जो नॉन स्टीकी होती है। रोजाना सनस्क्रीन लगाना काफी जरुरी होता है क्योंकि ये एंटी एजिंग होती है। हालांकि घर पर रहने के दौरान सनस्क्रीन लगाने की जरुरत नहीं होती है। घर से बाहर निकलने से एक या दो मिनट पहले सनस्क्रीन लगाना भी काफी है, इतने समय में ये एक्टिव होकर काम शुरू कर देती है। सनस्क्रीन लगाने के बाद टैनिंग होती है तो ये एक या दो दिन में निकल जाती है। आमतौर पर बच्चों को 12 साल के बाद ही सनस्क्रीन लगाई जाती है। सनस्क्रीन सिर्फ उन बच्चों को लगाई जाती है जो स्विमिंग या स्पोर्ट्स में लगते है। स्किन ब्लॉक दिया जाता है जो बच्चों के लिए लाभदायक होता है।

चेहरे पर सिरम लगाना कितना फायदेमंद
चेहरे पर सिरम लगाना फायदेमंद होता है। आजकल कॉस्मास्यूटिकल ब्रांड काफी मौजूद हैं बाजार में जो कि स्किन रिलेटेड समस्याओं को दूर करते है। एक बार में एक ही सिरम का उपयोग करना चाहिए। अपनी स्किन के मुताबिक ही सिरम का उपयोग करना चाहिए। डर्माटॉलॉजिस्ट से कंस्लट कर भी इसका उपयोग करना चाहिए।

हीटरैश होने के कारण
हीटरैश स्वैटग्लैंड के कारण होता है। घमोरिया स्वेटग्लैंड के कारण होता है। गर्मियों में कई लोगों को हीट रैश की समस्या होती है, जो अधिकतर क्लोज एरिया जैसे अंडरआर्मस, पीठ, प्राइवेट पार्ट्स में होता है। हीट रैश से बचने के लिए गर्मियों में दो बार नहाएं है फिर अच्छे से टॉवल से स्किन को सुखाएं ताकि कोई मॉइस्चर स्किन पर ना रहे। इसके बाद शरीर पर मॉइश्चराइजर लगाना चाहिए। रैश होने के बाद इसे ठीक करने के लिए रैश क्रीम दी जाती है। 

कॉन्टैक्ट डर्माटाइटिस जिसमें किसी धातु का स्किन के साथ संपर्क में आने से दाने होते है, जैसे घड़ी के स्ट्रैप के कारण दाने होना। या रबड़ जब स्किन के संपर्क में आता है तो भी कॉन्टैक्ट डर्माटाइटिस होता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए लैक्टोकालामाइन या फिर एलोवेरा जेल को लगाया जा सकता है। कॉन्टैक्ट डर्माटाइटिस से बचाव करने में ये उपयोगी है मगर एक बार दाने होने के बाद जेल काम नहीं करता है। ठीक होने के बाद भी लगातार एलोवेरा जेल लगाते रहने से समस्या नहीं होती है।

स्कीन रैश क्या है और कितने समय में ठीक होता है
एलर्जी के कारण स्कीन रैश होता है। कई लोगों को एलर्जी होने के कारण स्किन पर इचिंग की समस्या अधिक होती है। एलर्जी होने पर अच्छे से स्किन को मॉइश्चराइज करना चाहिए। एंटी एलर्जिक टैबलेट या लोशन आते हैं, जिनका उपयोग किया जा सकता है। अधिकतर मामलों में स्किन रैश को पूरी तरह से कंट्रोल किया जा सकता है।

कॉन्टैक्ट डर्माटाइटिस
शरीर में किसी धातु का संपर्क में आना इस समस्या को उभार सकता है। जैसे आर्टिफिशियल ज्वैलरी पहनने से, ईयररिंग पहनने से, रबड़ की चप्पलें पहनने से, हेयर डाई करने से, लेदर पहनने से लोगों को कॉन्टैक्ट टर्माटाइटिस हो सकता है। इस समस्या को ठीक करने के लिए शुरुआत में कुछ दवाइयों का उपयोग डॉक्टर की सलाह पर लेना चाहिए। इसके अलावा कुछ ऑइंटमेंट का उपयोग स्किन पर किया जा सकता है जिससे एलर्जी होने से रुकती है। 

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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