जानिए कितना खतरनाक होता है संक्रामक रोग टीबी

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मिताली जैन । Jun 18 2019 1:12PM

क्षय रोग एक संक्रामक रोग है, जो पहले से ही ग्रस्त रोगी के संपर्क में आने पर, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने, बैक्टीरिया, खानपान में कोताही बरतने के कारण हो सकता है। क्षय रोग फेफड़ों के साथ−साथ शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करता है।

क्षय रोग जिसे टीबी भी कहा जाता है, वास्तव में एक संक्रामक रोग है। इसे अमूमन टी.बी. तपेदिक, ट्यूबरकुलासिस, राजयक्ष्मा, दण्डाणु आदि भी कहा जाता है। यह रोग उन लोगों को अधिक प्रभावित करता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। अगर समय रहते इसका सही व पूरा इलाज न किया जाए तो इसस व्यक्ति को अन्य बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में−

क्या है क्षय रोग

क्षय रोग एक संक्रामक रोग है, जो पहले से ही ग्रस्त रोगी के संपर्क में आने पर, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने, बैक्टीरिया, खानपान में कोताही बरतने के कारण हो सकता है। क्षय रोग फेफड़ों के साथ−साथ शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करता है। आमतौर पर क्षय रोग तीन प्रकार का होता है− फुफ्सीय क्षय रोग, पेट का क्षय रोग व हड्डी क्षय रोग। 

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जानें लक्षण

टीबी होने पर व्यक्ति को खांसी, सीने में दर्द व हल्का बुखार होने के साथ−साथ अन्य कुछ लक्षण भी नजर आते हैं। जैसे ऐसे व्यक्ति को बेहद कम भूख लगती है और उसका वजन भी कम होने लगता है। क्षय रोग से पीडि़त व्यक्ति को थकावट का अहसास होता है और उसे अक्सर रात में पसीना आता है। इसके अतिरिक्त कमर की हड्डी में सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में कठिनाई तथा गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना भी क्षय रोग का लक्षण है। वहीं जिन लोगों को पेट का क्षय रोग होता है, उन्हें पेट दर्द, अतिसार या पेट फूलने जैसी समस्याएं भी होती हैं।

ऐसे करें पहचान

माना जाता है कि तीन सप्ताह से अधिक खांसी टीबी हो सकती है। ऐसे में इसकी पहचान के लिए बलगम की जांच करवानी चाहिए। वैसे कई बार इसकी पहचान के लिए एक्स रे व अन्य जांच भी करवाई जाती है। 

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इलाज

क्षय रोग की पहचान के बाद दवाइयों के जरिए ही उसका इलाज किया जाता है। इस दवा के जरिए शरीर में पैदा हुए टी.बी के जीवाणुओं को खत्म किया जाता है। इन दवाओं का कोर्स तीन महीने से लेकर नौ महीने तक का होता है। टीबी के इलाज के दौरान एक बात का खास ध्यान रखना होता है कि दवाओं का कोर्स कभी भी बीच में न छोड़ें। कुछ लोग आराम होने के बाद दवाइयां लेना बीच में ही छोड़ देते हैं, इससे दोबारा टीबी होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। 

इसका रखें ध्यान

जो व्यक्ति टीबी से पीडि़त है और उसका इलाज चल रहा है तो उसे कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले तो आप अपने मुंह को ढककर रखें ताकि आपके कारण अन्य व्यक्ति इस बीमारी से पीडि़त न हों। साथ ही छींकते व खांसते हुए मुंह को ढककर रखें। अपनी दवाइयों के साथ खानपान का पूरा ध्यान रखें और कुछ दिन घर पर ही रहने का प्रयास करें।

मिताली जैन

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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