जानें क्या है हीटस्ट्रोक, गर्मियों में क्यों होते हैं इसके अधिक मामले

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रितिका कमठान । May 11 2024 3:16PM

कई ऐसी बीमारियां भी होती है जिसमें मरीज को अधिक पानी पीने से मनाही होती है। हार्ट और किडनी के मरीजों को अधिक पानी पीने से बचने के आदेश दिए गए है। ऐसे मरीज अधिक धूप में जाने से बचे।

गर्मियों के मौसम में बाहर तापमान अधिक होता है। इस दौरान तापमान अधिक होने पर अमूमन शरीर खुद को ठंडा रखने के लिए तापमान को सामान्य कर लेता है। डॉक्टर का कहना है कि 98.7 के स्तर पर ही अमूमन शरीर का तापमान होना चाहिए। अगर तापमान इससे अधिक होता है और मरीज को अन्य समस्याएं होने लगती हैं तो इसे हीट स्ट्रोक माना जाता है। हीट्सट्रोक पर हमारे साथ बात करने के लिए मौजूद हैं डॉक्टर फरहान अहमद।

मरीज को होती है ये समस्याएं

हीट स्ट्रोक होने पर मरीज के शरीर में कई परिवर्तन देखने को मिलते है। कई बार मरीज को उल्टी, चक्कर आना, पसीना आना आम होता है। हीट स्ट्रोक में भी तीन स्तर होते हैं। बता दें कि मौसम बदलने पर शरीर खुद ही तापमान को मेंटेन करने की कोशिश करता है। गर्मियों के मौसम में कई बार हीट स्ट्रोक हो जाता है क्योंकि व्यक्ति अधिक समय तक धूप में रहता है। हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम में अच्छा काम नहीं होता है। इस कारण शरीर का तापमान अधिक हो जाता है।

लू लगने के कारण जानें यहां

गर्म हवाएं यहां काफी अधिक होता है। आमतौर पर एक व्यक्ति के शरीर का तापमान 25 डिग्री तक होना चाहिए वहीं बाहर 40 डिग्री से 50 डिग्री तक तापमान रहता है। ऐसे में शरीर का तापमान जब अधिक बढ़ने लगता है तो ये स्थिति घातक होती है। इससे बचने के लिए घर से बाहर निकलते समय धूप से बचने के सभी उपाय करें, जैसे चश्मा लगाएं, सिर और आंख ढ़क कर रखें।

लू लगने पर दिखते हैं ये लक्षण

हीट स्ट्रोक से पहले हीट क्रैम्प होता है जिसमें सिर दर्द, प्यास अधिक लगना, हाथ पैरों में दर्द की शिकायत होती है। ये पहली स्टेज होती है। दूसरी स्टेज हीट एग्जर्शन की होती है, जिसमें शरीर का तापमान अधिक हो जाता है। शरीर का तापमान 40 डिग्री के आसपास हो जाता है। इस दौरान मरीज को पसीने आते है, शरीर ठंडा पड़ जाता है, पसीना भी निकलता है। इस स्टेज में मरीज को प्यास अधिक लगती है, मुंह सूखता है, सिरदर्द की शिकायत होती है। हीट स्ट्रोक होने पर मरीज को वॉमिटिंग और चक्कर आने की शिकायत मरीजों को होती है।

डीहाइड्रेशन से कितना अलग है हीटस्ट्रोक

आमतौर पर व्यक्ति को डीहाइड्रेशन की शिकायत कभी भी हो सकती है। वहीं हीटस्ट्रोक सिर्फ गर्मियों के मौके पर ही होता है। मगर डीहाइड्रेशन कभी भी हो सकता है। डीहाइड्रेशन के साथ हीटस्ट्रोक हो ये जरुरी नहीं है मगर हीटस्ट्रोक होने पर डीहाइड्रेशन जरुर होता है। डीहाइड्रेशन होने पर शरीर में पानी की कमी होती है। पानी की कमी होने पर ही शरीर का ब्लड प्रेशर भी ऊपर नीचे होता है। ऐसे में शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए।ट

ऐसे बचें हीटस्ट्रोक से

बिना वजह बाहर नहीं जाना चाहिए। जरुरत पड़ने पर बाहर जाने की स्थिति में गमछा, छाता, कैप आदि का उपयोग करें। बाहर जाएं तो अधिक से अधिक पानी पिएं। पानी के अलावा नारियल पानी, जूस पीना लाभदायक होता है। घर से बाहर निकलने से पहले सत्तू का सेवन करना भी उपयोगी होता है। हर स्थिति में खुद को हाइड्रेट करके रखना चाहिए। अधिक देर तक भी धूप के कॉन्टैक्ट में नहीं रहना चाहिए। हीटस्ट्रोक आमतौर पर अधिक देर तक धूप में नहीं रहना चाहिए। गर्मियों के मौसम में अल्कोहल लेने से भी बचना चाहिए।

ऐसे लें ट्रीटमेंट

हीटस्ट्रोक और तीनों स्टेज में मरीज को तत्काल छाया में ले जाना चाहिए। धूप में मरीज को नहीं रखना चाहिए। मरीज के शरीर पर पानी का छिड़काव करना चाहिए। ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे मरीज के शरीर का तापमान थोड़ा कम हो जाए। इसके बाद मरीज को अस्पताल ले जाएं। मरीज के शरीर को ठंडा करने के लिए आईस बाथ, एसी में बैठाना, पंखा चलाना, स्पंज बाथ दिलाना आदि उपाय करने से भी लाभ होता है। हालांकि डॉक्टर का कहना है कि इस समस्या को दूर करने के लिए सिर्फ डॉक्टर की मदद ही लेनी चाहिए और अधिक समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। दरअसल शरीर में पानी की अधिक कमी होने पर अधिक समय तक इस स्थिति को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

घर में ना करें उपचार

हीटस्ट्रोक की शुरुआती कंडिशन होने पर ही मरीज का इलाज घर पर रख कर ही करें। दूसरे और तीसरे स्तर पर आने के बाद मरीज का इलाज घर पर रहकर नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति होने पर मरीज का इलाज डॉक्टर की निगरानी में ही करवाना चाहिए।

गर्मियों में ऐसे तापमान बनाएं शरीर का 

गर्मियों में हीटस्ट्रोक और अन्य दो स्टेज की परेशानियों से बचने के लिए कुछ खास उपाय करना चाहिए। इस दौरान छाछ पीना चाहिए। शरीर में प्रोटीन की कमी भी नहीं होने देना चाहिए, जिससे हीटस्ट्रोक की समस्या नहीं होगी। आम का पन्ना, नींबू पानी, छाछ, आदि का उपयोग करना चाहिए।

क्या ईस्ट इलाकों में अलग होते हैं लक्षण

जहां लोगों को पसीना अधिक आता है, वहां मरीज के सभी फंक्शन बराबर काम करते है। मरीज को चक्कर आने, उल्टी की शिकायत आ रही है। मरीज को अत्यधिक पसीना आने की स्थिति में मरीज को अस्तपाल में भर्ती करना चाहिए। 

घर से बाहर निकलने पर ये जरुर ले जाएं

घर से बाहर जाएं तो जरुर पानी पिएं। लगातार पानी पीने के बाद भी कई बार छाछ, आमपन्ना आदि का सेवन कर सकते है। सीधे तौर पर सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से जरुर बचें। पानी की कमी ना होने दें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें। 

हार्ट और किडनी के मरीज ऐसे करें बचाव

कई ऐसी बीमारियां भी होती है जिसमें मरीज को अधिक पानी पीने से मनाही होती है। हार्ट और किडनी के मरीजों को अधिक पानी पीने से बचने के आदेश दिए गए है। ऐसे मरीज अधिक धूप में जाने से बचे। सिर्फ अत्यधिक काम होने की स्थिति में ही धूप में बाहर निकलें। इस मौसम में कोल्ड ड्रिंक पीने से बचना चाहिए। इससे बचने के लिए मटके का पानी भी पीना चाहिए।

जानें कब करें एक्सरसाइज

फिटनेस फ्रीक लोगों को गर्मियों में अधिक मेहनत की एक्सरसाइज नहीं चाहिए। इस स्थिति में होने पर की समस्याएं हो सकती है। अधिक एक्सरसाइज या फिर अधिक फिजिकल एक्टिविटी करने की स्थिति में परेशानी बढ़ सकती है। ऐसे में अधिक एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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