प्रेग्नेंसी में इस कमी से बढ़ सकती हैं मुश्किलें, शिशु के दिल और दिमाग पर हो सकता है बुरा असर

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प्रेग्नेंसी में शरीर कमज़ोर हो जाता जिससे थकान, पानी और पोषक तत्वों की कमी जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इस समय एक महिला को अनेक पोषक तत्वों की ज़रुरत होती है जो उसके और भ्रूण के स्वास्थ्य और सही विकास के लिए बेहद ज़रूरी होते हैं।

प्रेग्नेंसी के दौरान एक महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। इस समय शरीर कमज़ोर हो जाता जिससे थकान, पानी और पोषक तत्वों की कमी जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इस समय एक महिला को अनेक पोषक तत्वों की ज़रुरत  होती है जो उसके और भ्रूण के स्वास्थ्य और सही विकास के लिए बेहद ज़रूरी होते हैं। उनमें से एक है ओमेगा-3 फैटी एसिड। ओमेगा 3 एक अच्छा पॉलीअनसैच्युरेटेड फैटी एसिड है। यह मुख्य तौर पर तीन प्रकार का होता है जिनमें एएलए (अल्फा-लिनोलेनिक एसिड) ओमेगा, डीएचए (डोकोसाहेक्सानोइक एसिड) और ईपीए (इकोसापैनटोइनिक एसिड) ओमेगा शामिल है। ओमेगा-3 फैटी एसिड गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के बेहत विकास के लिए बहुत जरूरी है। इससे शिशु का बेहतर मानसिक विकास होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड अखरोट, असली के बीज, मछली और सीफूड में पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। आज के इस लेख में हम आपको प्रेगनेंसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड के फायदों के बारे में बताएंगे-

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यूनिवर्सिटी में रजिस्टर्ड डीएटीटीएन एंड प्रोफेसर ऑफ न्यूट्रीशन के लेखक कैथरीन फील्ड के मुताबिक, प्रेग्नेंसी में शिशु के मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के विकास के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड बहुत जरूरी होता है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को पर्याप्त मात्रा में डीएचए, यानि ओमेगा-3 की श्रृंखला में शामिल पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (ओमेगा 3-LCPUFA) की आवश्यकता होती है। डीएचए मुख्य रूप से मछली और अन्य सी फूड्स में पाया जाता है। 

कैथरीन के अनुसार एक व्यक्ति के शरीर में हर सेल की झिल्ली ओमेगा -3 फैटी एसिड की होती है। इन्हें विकसित और कार्य करने के लिए ओमेगा -3 फैटी एसिड की जरूरत होती है।

प्रेग्‍नेंसी के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में ज्‍यादा रेड सेल्‍स प्रोडक्‍शन के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड की जरूरत होती है। इससे गर्भवती महिला अपने शिशु को पर्याप्त पोषक तत्व और ऑक्सीजन प्रदान कर पाती है। ओमेगा-3 फैटी एसिड की जरूरत नाल के बढ़ने और काम करने में मदद करने के लिए भी पड़ती है। 

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एक शोध में पाया गया कि डीएचए का कम सेवन करने वाली माताओं के बच्चों में संज्ञानात्मचक विकास कम पाया जाता है। इसके साथ ही प्रेग्नेंसी में ओमेगा-3 की कमी के कारण आईक्यू लेवल और ध्यान की कमी भी पाई जाती है।

इसके अलावा पशुओं और मनुष्यों पर किए शोध के अनुसार, ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान ओमेगा-3 के कम सेवन से शिशुओं इम्‍यूनिटी के विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी से गर्भ में पल रहे शिशु में अस्थमा और एलर्जी का खतरा बढ़ जाता है। 

प्रेग्नेंसी के दौरान ओमेगा-3 फैटी एसिड के सेवन से प्रीमैच्‍योर डिलीवरी और डिलीवरी के बाद होने वाले डिप्रेशन को रोकने में भी मदद मिलती है।

- प्रिया मिश्रा 

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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