जुगनु सिर्फ प्रकाश ही नहीं देते, मधुर संगीत भी सुनाते हैं

Glow worm gives light and melodious music

भारत में हिमालय की तलहटी में पाए जाने वाले कुछ जुगनु रंग-बिरंगी रोशनी के साथ ही मधुर संगीतमय आवाज भी निकालते हैं। आइए इस आलेख में जानते हैं विभिन्न जुगनुओं और उनकी खूबियों के बारे में-

बच्चों, जुगनु से तो आप सभी परिचित होंगे। यह जीव ईश्वर की ऐसी रचना है जिसे प्रकाश के लिए किसी का मोहताज नहीं होना पड़ता। इसके स्वयं के पास प्रकाश की ऐसी व्यवस्था है जिससे यह अपने आसपास के अंधकार को मात दे सकता है। जुगनु हरे पीले व लाल रंग का प्रकाश उत्पन्न करते हैं। सामान्य तौर पर तो ये एक से डेढ़ सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं किन्तु दक्षिण कोरिया और फ्रांस में इसकी एक ऐसी प्रजाति पाई जाती है जो 10 से 12 सेमी तक लंबी होती है। ये जंगली इलाकों के पेड़ों की छालों में प्रजनन करते हैं।

जुगनु की खोज 1967 में वैज्ञानिक रॉबर्ट बॉयल ने की थी। इन्हें प्रकृति की टार्च भी कहा जाता है। इनके चमकने के पीछे शुरूआत में माना जाता था कि इनके शरीर में फास्फोरस होता है किन्तु इटली के वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि इनका चमकना फास्फोरस के कारण नहीं बल्कि इनके शरीर में पाए जाने वाले प्रोटीन ल्युसिफेरस के कारण है। इनके पास इतना प्रकाश होता है कि यदि किसी कांच के मर्तबान में 15 से 20 जुगनुओं को एक साथ रखा जाए तो इस मर्तबान से एक टेबललैंप का काम लिया जा सकता है।

जुगनु वैसे तो हर जगह पाए जाते हैं किन्तु अच्छी बारिश वाले इलाकों, सघन पेड़ पौधों वाली जगहों में रात के समय पेड़-पौधों झुरमुटों के आसपास इन्हें चमकते हुए आसानी से देखा जा सकता है। दक्षिण अमेरिका के हरे-भरे जंगलों में अक्सर जुगनुओं के विशाल समूह को वृक्षों पर एक साथ विश्राम करते देखा जा सकता है। वृक्ष पर एक साथ इतने सारे जुगनुओं को देखकर प्रतीत होता है जैसे वृक्ष ढेर सारी लाइटों से सजा हो।

जुगनु लगातार नहीं चमकते, बल्कि एक निश्चित अंतराल में चमकते और बंद होते हैं। इनकी कई प्रजातियां तेज प्रकाश देने वाली भी होती हैं। दक्षिण अफ्रीकी जंगलों में तो जुगनुओं की ऐसी प्रजातियां भी हैं जो 300 ग्राम तक वजनी होते हैं और ये तकरीबन 10 फुट के गोल घेरदार क्षेत्र को प्रकाशमय कर देते हैं। यहां के जंगलों में लोग इन जुगनुओं को कांच के जार में एकत्र कर लालटेन का काम लेते हैं। दक्षिण अमेरिका, साइबेरिया, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड, भूटान, मलाया तथा भारत में भी कई जगहों पर तेज प्रकाश उत्पन्न करने वाली जुगनुओं की प्रजातियां भी मिल जाती हैं। भारत में हिमालय की तलहटी में पाए जाने वाले कुछ जुगनु रंग-बिरंगी रोशनी के साथ ही मधुर संगीतमय आवाज भी निकालते हैं।

रात के समय जुगनु को चमकते देखना वाकई बहुत दिलचस्प होता है। इनके प्रकाश का उपयोग युद्ध के समय फौजियों द्वारा किसी संदेश या नक्शे को पढ़ने के लिए भी किया जाता रहा है। इनके अलावा भी अब कई जीवों की ऐसी प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं जो रोशनी पैदा करती हैं, इनमें बैक्टीरिया, मछलियां, शैवाल, घोंघे और केकड़े की कुछ प्रजातियां शामिल हैं। कुकरमुत्ते की भी एक प्रजाति ऐसी है जो रात में तेज रोशनी से चमकती है।

अमृता गोस्वामी

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