हेपेटाइटिस सी वायरस से लेकर 10 करोड़ साल पुराने स्पर्म की खोज! साल 2020 में विज्ञान जगत ने किये नये चमत्कार

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निधि अविनाश । Dec 23 2020 7:41PM

वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने म्यामां में पेड़ की राल में लगभग 10 करोड़ साल पहले फंसे एक कड़े आवरण वाले जंतु केअंदर दुनिया के सबसे पुराने स्पर्म की खोज की है।‘चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस’ के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने कड़े आवरण वाले छोटे जंतु की एक नई प्रजाति में स्पर्म खोजा है,जिसका नाम उन्होंने ‘म्यांमारसीप्राइस हुई’ रखा है।

साल 2020 वैज्ञानिकों के लिए भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा। कोरोना वैक्सीन बनाने से लेकर सौर मंडल के बाहर के ग्रह से आ रहे रेडियो सिगनल की खोज करना किसी चमत्कार से कम नहीं रहा। तो आइये जान लेते है साल 2020 में विज्ञान जगत ने किये क्या नये चमत्कार। 

कोरोना वैक्सीन

चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना महामारी जब पूरे देश में फैला तो हर किसी को वैज्ञानिकों से कोरोना वैक्सीन को जल्द से जल्द लाने की भी उम्मीद जगी। जी हां,  ब्रिटेन, दवा कंपनी फाइजर-बायोएनटेक के कोविड-19 टीके को मंजूरी देने वाला पहला देश बना। घातक कोरोना वायरस को काबू करने के लिए व्यापक पैमाने पर टीकाकरण की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त हो गया है। ब्रिटेन की दवा और स्वास्थ्य उत्पाद नियामक एजेंसी (एमएचआरए) ने बताया कि यह टीका उपयोग में लाने के लिए सुरक्षित है। दावा किया गया था कि यह टीका कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 95 प्रतिशत तक असरदार रहा है। प्रसिद्ध और प्रमुख अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक ने साथ मिलकर इस टीके को विकसित किया है। कंपनी ने हाल में दावा किया था कि परीक्षण के दौरान उसका टीका सभी उम्र, नस्ल के लोगों पर कारगर रहा।

पहली बार सौर मंडल के बाहर के ग्रह से आ रहे रेडियो सिगनल! वैज्ञानिक हुए हैरान

वैज्ञानिकों के अंतरराष्ट्रीय दल ने संभवत: पहली बार हमारे सौर मंडल के बाहर स्थित ग्रह से आ रहे रेडियो संकेतों का पता लगाया। यह संकेत 51 प्रकाशवर्ष दूर स्थित ग्रह प्रणाली से आ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि नीदरलैंड स्थित रेडियो दूरबीन ने लो फ्रिक्वेंसी अर्रे (लोफर) का इस्तेमाल कर टाउ बूट्स तारे की प्रणाली से आ रहे रेडियों संकेतों का पता लागया है जिसके बहुत करीब गैस से बना ग्रह चक्कर लगा रहा है और जिसे कथित ‘गर्म बृहस्पति’ के नाम से भी जाना जाता है।

सूती कपड़े के मुकाबले नायलॉन की दो परतों वाला मास्क अधिक कारगर!

वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए मास्क में किए गए बदलावों और उनके प्रभाव का मूल्यांकन किया और पाया कि नायलॉन से बने दो परतों वाले मास्क सामान्य मास्क के मुकाबले अधिक प्रभावी हैं। इस अध्ययन दल में अमेरिका स्थित यूनिवसिर्टी ऑफ नार्थ कैरोलिना (यूएनसी) से सबद्ध स्कूल ऑफ मेडिसीन के भी वैज्ञानिक शामिल थे। उन्होंने रेखांकित किया कि कोविड-19 महामारी के दौरान चेहरे को ढंकने के लिए कई नवोन्मेषी उपकरण और मास्क इस दावे के साथ बनाए गए हैं कि वे पारंपरिक मास्क के मुकाबले कोरोना वायरस के संक्रमण से बेहतर तरीके से बचाव करते हैं।

 

SpaceX ने 4 अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन

स्पेसएक्स ने फाल्कन रॉकेट से चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) भेजा। यह नासा का पहला ऐसा मिशन है, जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस पर भेजने के लिए किसी निजी अंतरिक्ष यान की मदद ली गई है। फाल्कन रॉकेट ने तीन अमेरिकियों और एक जापानी नागरिक को लेकर केनेडी अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। स्पेस एक्स के यान से दूसरी बार अंतरिक्ष यात्रियों को रवाना किया गया है। इस ‘ड्रैगन’ कैप्सूल यान को इसके चालक दल के सदस्यों ने 2020 में दुनियाभर में आई चुनौतियों को देखते हुए ‘रेसिलियंस नाम दिया गया है।

NASA को मिली बड़ी सफलता, क्षुद्र ग्रह बेनू से इकट्ठे किए नमूने

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ के ओसीरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान ने करीब चार साल की लंबी यात्रा के बाद क्षुद्र ग्रह बेन्नू की उबड़-खाबड़ सतह को छुआ और रोबोटिक हाथ से क्षुद्र ग्रह के चट्टानों के नमूनों को एकत्र किया जिनका निर्माण हमारे सौर मंडल के जन्म के वक्त हुआ था। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि ‘ऑरिजिन, स्पेक्ट्रल इंटरप्रटेशन, रिसॉर्स आइडेनटिफिकेशन, सिक्युरिटी, रेगोलिथ एक्सप्लोर्र (ओसीरिस-रेक्स) अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी के करीब क्षुद्र ग्रह को हाल में स्पर्श किया और उसकी सतह से धूल कण और पत्थरों को एकत्र किया और वह वर्ष 2023 में धरती पर लौटेगा। क्षुद्र ग्रह इस समय पृथ्वी से 32.1 करोड़ किलोमीटर से अधिक की दूरी पर अवस्थित है। नासा ने कहा कि यह वैज्ञानिकों को सौर मंडल की शुरुआती अवस्था को समझने में मदद करेगा क्योंकि इसका निर्माण अरबों साल पहले हुआ था और साथ ही उन तत्वों की पहचान करने में मदद करेगा जिससे पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई। नासा ने कहा कि नमूना एकत्र करने के अभियान ,जिसे ‘टच ऐंड गो’ (टैग) के नाम से जाना जाता है, में पर्याप्त मात्रा में नमूना एकत्र होता है तो मिशन टीम यान को नमूने के साथ मार्च 2021 में धरती पर वापसी की यात्रा शुरू करने का निर्देश देगी। अन्यथा अगले साल जनवरी में एक और कोशिश की जाएगी।

'हेपेटाइटिस सी वायरस' की खोज 

अमेरिकी वैज्ञानिक हार्वे जे आल्टर और चार्ल्स एम राइस तथा ब्रिटिश विज्ञानी माइकल हफटन को हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए 5 अक्टुूबर 2020 को चिकित्सा के क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। नोबेल पुरस्कार समिति ने स्टाकहोम में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि तीनों वैज्ञानिकों के अनुसंधान से रक्त से होने वाले हेपेटाइटिस संक्रमण के प्रमुख स्रोत की व्याख्या करने में मदद मिली जो हेपेटाइटिस ए और बी बिषाणुओं द्वारा नहीं की जा सकी थी। समिति ने कहा कि उनके अनुसंधान कार्य से रक्त की जांच और नयी दवाओं की खोज में मदद मिल सकी जिससे लाखों लोगों की जान बच सकी। नोबेल समिति के अनुसार, ‘‘उनकी खोज का परिणाम है कि आज वायरस के लिए अत्यंत सटीक परिणाम देने वाली खून जांच उपलब्ध है और इससे दुनियाभर के अनेक हिस्सों में रक्त चढ़ाने के कारण हेपेटाइटिस संक्रमण को रोका जा सकता है और वैश्विक रूप से स्वास्थ्य संबंधी व्यापक सुधार हुआ है।’’

 

वैज्ञानिकों ने किया दुनिया के 10 करोड़ साल पुराने स्पर्म की खोज!

वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने म्यामां में पेड़ की राल में लगभग 10 करोड़ साल पहले फंसे एक कड़े आवरण वाले जंतु के अंदर दुनिया के सबसे पुराने स्पर्म की खोज की है। ‘चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस’ के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने कड़े आवरण वाले छोटे जंतु की एक नई प्रजाति में स्पर्म खोजा है, जिसका नाम उन्होंने ‘म्यांमारसीप्राइस हुई’ रखा है। उन्होंने अनुमान लगाया है कि लगभग 10 करोड़ साल पहले पेड़ की राल में घुसने से ठीक पहले इस जंतु ने सहवास किया होगा।शोधकर्ताओं ने कहा कि जीवाश्म स्पर्म असाधारण रूप से दुर्लभ हैं, इससे पहले 1.7 करोड़ पुराना स्पर्म मिला था। ‘म्यांमारसीप्राइस हुई’एक ओस्ट्रैकोड है, एक प्रकार का क्रस्टेशियन (कड़े आवरण वाला छोटा जंतु), जो 50 करोड़ वर्ष पूर्व अस्तित्व में थे। यह अध्ययन ‘रॉयल सोसाइटी प्रोसीडिंग्स बी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

168 करोड़ के नए टाइटेनियम शौचालय अंतरिक्ष में भेजेगा नासा, साइंटिस्ट ने किया टेस्ट

नासा ने दशकों बाद 2.3 करोड़ डॉलर (करीब 168 करोड़ रुपये)की लागत से अंतरिक्ष यात्रियों के लिए तैयार टाइटेनियम शौचालय का परीक्षण किया जिसमें महिलाओं की सुविधा का विशेष ख्याल रखा गया है। 

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