अफगानिस्तान के साथ अमेरिका का एक नया अध्याय शुरू! तालिबान पर नहीं अभी भी भरोसा

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अमेरिका ने अफगानिस्तान में नया राजनयिक मिशन शुरू किया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि,अमेरिकी सैन्य उड़ानें बंद हो गई हैं और हमारे सैनिकों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है।अफगानिस्तान के साथ अमेरिका के जुड़ाव का एक नया अध्याय शुरू हो गया है।

वाशिंगटन। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि उनके देश ने अफगानिस्तान में अपना नया राजनयिक मिशन शुरू किया है। अफगानिस्तान में 20 साल तक चले युद्ध के बाद मंगलवार को अमेरिकी सैनिकों की पूरी तरह वापसी के पश्चात उन्होंने यह बात कही। ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका ने काबुल में अपने राजनयिक मिशन को बंद कर दिया है और दूतावास को कतर के दोहा में स्थानांतरित कर दिया है। ब्लिंकन ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, “अब, अमेरिकी सैन्य उड़ानें बंद हो गई हैं और हमारे सैनिकों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है।

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अफगानिस्तान के साथ अमेरिका के जुड़ाव का एक नया अध्याय शुरू हो गया है। हम अपनी कूटनीति के साथ आगे बढ़ेंगे। सैन्य मिशन समाप्त हो गया है। एक नया राजनयिक मिशन शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि करीब 6,000 अमेरिकी नागरिकों सहित 1,23,000 से अधिक लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। उन्होंने कहा, हमने काबुल में अब तक की अपनी राजनयिक उपस्थिति को निलंबित कर दिया है, और अपने दूतावास को कतर के दोहा में स्थानांतरित कर दिया है। जल्द ही औपचारिक रूप से कांग्रेस को इस बारे में सूचित किया जाएगा।

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अफगानिस्तान में अनिश्चित सुरक्षा और राजनीतिक स्थिति को देखते हुए यह एक विवेकपूर्ण कदम है। ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका आतंकवाद से निपटने पर ध्यान केंद्रित रखेगा। उन्होंने कहा ‘‘तालिबान ने आतंकवादियों को अफगानिस्तान का इस्तेमाल करने से रोकने की प्रतिबद्धता जाहिर की है। हम उस प्रतिबद्धता के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराएंगे। लेकिन तालिबान से अपेक्षा का मतलब यह नहीं है कि हम उन पर भरोसा करेंगे। हम सतर्क रहेंगे और स्थिति का आकलन करेंगे। ’’ उन्होंने कहा कि जो भी अमेरिकी, विदेशी या अफगान नागरिक युद्ध प्रभावित देश से जाना चाहते हैं, अमेरिका उनकी मदद करेगा। उन्होंने कहा कि अभी भी करीब 200 या उससे कम अमेरिकी अफगानिस्तान में हैं और वहां से जाना चाहते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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