BLA का 39 जगहों पर हमला, जान बचाकर भागी पाकिस्तान आर्मी

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अभिनय आकाश । May 11 2025 7:08AM

बीएलए यानी बलूच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान को पैरालाइज कर दिया है। बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने बलूचिस्तान में 39 अलग-अलग स्थानों पर समन्वित हमलों की एक श्रृंखला की जिम्मेदारी ली है।

आपने वह पुरानी कहावत बहती गंगा में हाथ धोना तो जरुर सुना होगा। भारत के पश्चिम में जो गंदगी है, उसे साफ करने के लिए गंगा जी निकल रही है। जी हां, इसे आप इस तरह से देख सकते हैं कि पाकिस्तान के आतंक के अड्डों पर भारत की तरफ से करारा प्रहार करके उसकी कमर तोड़ी जा रही है। वहीं कई और दावेदार भी इसमें शामिल होते नजर आ रहे हैं जो मानों कह रहे हैं कि हम भी इस सफाई अभियान में साथ देने वाले हैं। बीएलए यानी बलूच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान को पैरालाइज कर दिया है। बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने बलूचिस्तान में 39 अलग-अलग स्थानों पर समन्वित हमलों की एक श्रृंखला की जिम्मेदारी ली है। 

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एक प्रेस विज्ञप्ति में समूह ने घोषणा की कि ये अभियान अभी भी जारी हैं, जिसमें कई रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा किया जा रहा है। बीएलए के प्रवक्ता जीयंद बलूच के अनुसार, हमलों ने पुलिस स्टेशनों, सैन्य काफिलों और प्रमुख राजमार्गों के साथ बुनियादी ढांचे सहित कई जगहों को निशाना बनाया है। बीएलए ने पुलिस स्टेशनों पर कब्ज़ा करने और क्षेत्र की प्रमुख सड़कों पर नाकाबंदी करने का भी दावा किया है। बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित एक सशस्त्र अलगाववादी समूह है, जो बलूच लोगों के लिए स्वतंत्रता चाहता है। यह पाकिस्तानी राज्य द्वारा राजनीतिक हाशिए पर रखे जाने, आर्थिक शोषण और सैन्य दमन पर लंबे समय से चली आ रही शिकायतों के जवाब में उभरा है। समूह का दावा है कि बलूचिस्तान के विशाल प्राकृतिक संसाधनों को स्थानीय आबादी को लाभ पहुँचाए बिना निकाला जा रहा है और सरकार पर बलूच लोगों को उनके अधिकारों और स्वायत्तता से वंचित करने का आरोप लगाता है।

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बलूच लिबरेशन आर्मी के प्रवक्ता जीयंद बलूच के अनुसार, बलूच लिबरेशन आर्मी को विदेशी प्रॉक्सी कहने वाले भाड़े के हत्यारों को पता होना चाहिए कि पाकिस्तानी सेना खुद एक भाड़े का हथियारबंद गिरोह है जो चीनी पूंजी और पापा जोन्स पर पलता है। सेना की वर्दी का मतलब बदलता रहता है- कभी बंदरगाहों की रखवाली, गलियारों की रखवाली, कभी कर्जदाताओं की संतुष्टि के लिए सेवा करना। हर युग में बदलते आकाओं की मर्जी के मुताबिक अपनी दिशा तय करने वाली सेना राष्ट्रीय सेना नहीं, बल्कि व्यापारिक सेना है। बलूच भूमि के स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा इस भाड़े के कब्जे वाली सेना पर हमले और भी तीव्रता से जारी रहेंगे। 

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