ब्रिटेन ने सौ वर्ष पहले के बालफोर घोषणापत्र का बचाव किया

ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने एक सदी पहले इजराइल के गठन का रास्ता साफ करने में अपने पूवर्वर्ती की भूमिका का बचाव करते हुए कहा है कि इजराइल और फिलस्तीन का दो अलग-अलग देश बने रहना ही समाधान है।
लंदन। ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने एक सदी पहले इजराइल के गठन का रास्ता साफ करने में अपने पूवर्वर्ती की भूमिका का बचाव करते हुए कहा है कि अमन की खातिर इजराइल और फिलस्तीन का दो अलग-अलग संप्रभु देश बने रहना ही एक मात्र समाधान है। इस बृहस्पतिवार को बालफोर घोषणापत्र को एक सदी पूरी हो गई। बालफोर घोषणापत्र वास्तव में 67 शब्दों का एक पत्र है जो ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश मंत्री आर्थर बालफोर ने लिखा था। इस पत्र के माध्यम से फिलस्तीन में यहूदी लोगों के लिए राज्य के प्रति ब्रिटेन ने समर्थन जताया था। इस वर्षगांठ के अवसर पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू लंदन आएंगे।
बहरहाल, यह वक्तव्य विवादित ही बना रहा और इसके बाद हुए सिलसिलेवार घटनाक्रम के चलते इजराइल का गठन हुआ। लाखों फिलस्तीनी विस्थापित हुए और दशकों तक दो समुदायों के बीच कलह रही जो आज भी जारी है। वर्तमान विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ने टेलीग्राफ अखबार के रविवार के संस्करण में लिखा, ''मुझे गर्व है कि इजराइल के गठन में ब्रिटेन की भागीदारी रही।’’ उन्होंने यह भी लिखा कि यह दस्तावेज महान राष्ट्र के गठन के लिए अपरिहार्य था। साथ ही उन्होंने यह भी आगाह किया कि बालफोर घोषणापत्र के प्रमुख बिंदुओं में से एक का पूरी तरह कार्यान्वयन नहीं हुआ है और यह बिंदु है ‘‘गैर यहूदी समुदायों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि लंदन ‘‘दो देश’’ के समाधान को लेकर प्रतिबद्ध है।
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