British-Indian स्कूली छात्र युद्धग्रस्त यूक्रेनवासियों के लिए स्टेशनरी लेकर पोलैंड गया

British Indian schoolboy
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उत्तरी इंग्लैंड के ग्रेटर मैनचेस्टर में बोल्टन का मिलन पॉल कुमार शुक्रवार को रूस-यूक्रेन संघर्ष के एक साल पूरे होने से पहले इस सप्ताह के शुरू में पोलैंड के शहर क्राको पहुंचा। स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार, कुमार और उसके परिवार ने यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित ‘मीटिंग प्वाइंट इंटीग्रेशन सेंटर’ का दौरा किया।

धन संचय करने के लिए पुरस्कार विजेता भारतीय मूल का एक 10-वर्षीय स्कूली छात्र रूस के आक्रमण से विस्थापित हुए यूक्रेनी बच्चों के लिए ब्रिटेन में एकत्रित किताबें और अन्य स्टेशनरी उत्पाद सौंपने के लिए अपने माता-पिता के साथ पोलैंड गया है। उत्तरी इंग्लैंड के ग्रेटर मैनचेस्टर में बोल्टन का मिलन पॉल कुमार शुक्रवार को रूस-यूक्रेन संघर्ष के एक साल पूरे होने से पहले इस सप्ताह के शुरू में पोलैंड के शहर क्राको पहुंचा। स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार, कुमार और उसके परिवार ने यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित ‘मीटिंग प्वाइंट इंटीग्रेशन सेंटर’ का दौरा किया।

इस केंद्र का संचालन ज़ुस्ट्रिक्ज फाउंडेशन एवं अन्य की ओर से किया जा रहा है। इस मानवीय मिशन के दौरान कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैंने बहुत सारे नये दोस्त बनाए हैं जिनसे मैं दोबारा मिलूंगा।’’ उन्होंने बोल्टन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एकत्रित रंगीन पेंसिल, मार्कर और पेंटिग्स सौंपीं और सेंटर के निकटवर्ती सार्वजनिक पुस्तकालय को उपहार भी दिये, ताकि पोलैंड और यूक्रेन के बच्चे इनका इस्तेमाल कर सकें। स्कूली छात्र के इस मानवीय मिशन को टेस्को स्टाफ और नेशनल लिट्रेसी ट्रस्ट सहित कई संगठनों का समर्थन प्राप्त है।

कुमार ने धन जुटाने के लिए वाहन धोए और पिछले साल ‘यूक्रेन स्कूल्स अपील’ के वास्ते अपनी पॉकेट मनी दान की थी। इस तरह से धन जुटाने के प्रयासों के लिए उसे ‘प्रिंसेस डायना अवार्ड 2022’ मिल चुका है और वह लंदन स्थित ‘सोशल एंड ह्यूमैनिटेरियन एक्शन’ का आईविल एंबेसडर भी है। वर्ष 2020 में कोविड लॉकडाउन के दौरान ‘कोविड क्रिसमस परेड’ नामक एक स्व-प्रकाशित पुस्तक के माध्यम से सामाजिक कार्यों के लिए धन जुटाने को लेकर उसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री के ‘प्वाइंट ऑफ़ लाइट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था। इस छात्र ने उन बच्चों के सहयोग के लिए नेशनल लिट्रेसी ट्रस्ट के वास्ते धन जुटाया, जिनकी पढ़ाई लिखाई पर कोविड-19 का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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