बच्चों ने पूछा कि क्या छोड़ना होगा अमेरिका: बिस्वाल

[email protected] । Jan 18 2017 11:49AM

प्रवासियों में व्याप्त डर एवं चिंता को रेखांकित करते हुए ओबामा प्रशासन में कार्यरत भारतीय मूल की वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि उन्होंने इस बेचैनी को अपने घर के भीतर महसूस किया है।

वाशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद प्रवासियों में व्याप्त डर एवं चिंता को रेखांकित करते हुए ओबामा प्रशासन में कार्यरत भारतीय मूल की एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि उन्होंने इस बेचैनी को अपने घर के भीतर महसूस किया है। उन्होंने कहा कि उनके बच्चों ने उनसे पूछा था कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत का क्या यह अर्थ है कि ‘हमें देश छोड़ना होगा’। दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने कहा, ‘‘देशभर में बहुत से समुदायों के बीच बहुत बेचैनी है। इनमें प्रवासी, अल्पसंख्यक, अमेरिका में कमजोर समुदायों के लोग, कम आय वाले लोग और भिन्न धर्म के प्रति आस्था रखने वाले लोग हैं।’’

निशा ने चुनाव आयोजित होने के एक दिन बाद कहा कि उन्होंने इस डर को अपने घर के अंदर महसूस किया है। निशा ने बताया, ‘‘मेरे लिए यह बात हैरान करने वाली थी कि मेरे सात और नौ साल के छोटे बच्चों ने अभियान की भाषणबाजी को इतना करीब से देखा कि चुनाव के एक दिन बाद उन्होंने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ‘क्या इसका मतलब यह है कि प्रवासी होने के कारण हमें देश छोड़ना होगा’?’’ उन्होंने कहा, ‘‘और मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि वे अमेरिकी हैं। उनके पास यहां रहने का हर अधिकार है और यहां रहना उनका कर्तव्य है। उनका कर्तव्य है कि वे इस देश को आगे ले जाने वाले कामों का हिस्सा बनें। मैंने उन्हें एक बार फिर यकीन दिलाया कि यह देश उनका है, वे अमेरिका के मूल्यवान सदस्य हैं और उनका यहां स्वागत है।’’

निशा ने कहा कि इन समुदायों के भीतर इस बात को लेकर बहुत डर और चिंता है कि ‘‘क्या यह सरकार हमें महत्व देना, हमारे अधिकारों का सम्मान करना और हमें अवसर उपलब्ध करवाना जारी रखेगी?’’ उन्होंने कहा, ‘‘नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप और आगामी प्रशासन को इन बातों पर गौर करना चाहिए, नेतृत्व उपलब्ध करवाना चाहिए और सभी अमेरिकियों के बीच यह विश्वास कायम करना चाहिए कि वे सभी अमेरिकियों का नेतृत्व करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करती हूं कि जो लोग अगले प्रशासन में आ रहे हैं, वे ऐसे लोग होंगे, जो हमारे देश की पहचान बन चुके मूल्यों में यकीन रखते होंगे, देशभक्त होंगे और अमेरिका को लगातार प्रकाशस्तंभ बने देखना चाहते होंगे, ऐसा प्रकाशस्तंभ जो समावेश का प्रतिनिधित्व करता है। इसका चरित्र उस भाषणबाजी जैसा नहीं रहा है, जो नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को इस पद पर ले आई है।’’

निशा ने कहा कि ट्रंप के प्रचार अभियान ने समाज के भीतर व्याप्त बहुत से विभाजनों को बेपर्दा कर दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका तब सबसे मजबूत होता है, जब हम एक साझा लक्ष्य लेकर चलते हैं न कि एक दूसरे के खिलाफ खड़े होते हैं या एक दूसरे पर संदेह करते हैं।

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