China-Pakistan-Bangladeh ने भारत के खिलाफ दिखाई एकजुटता, खतरनाक है चीन की नई दक्षिण एशियाई रणनीति

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चीन ने इस पहल की मेजबानी की, क्योंकि वह पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को समान स्तर पर गहरा करना चाहता है। यह कदम दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती सक्रियता और भारत की घेराबंदी के रूप में देखा जा रहा है।

चीन, बांग्लादेश और पाकिस्तान अब मिलकर भारत को घेरने की तैयारी में हैं और इस संबंध में तीनों देशों की पहली बैठक में कई बड़े निर्णय किये गये हैं। हम आपको बता दें कि बीजिंग में आयोजित त्रिपक्षीय विदेश सचिवों की बैठक ने दक्षिण एशिया में भू-राजनीति का नया अध्याय पेश किया है। देखा जाये तो यह एक ऐसी पहल है जिसमें तीनों देशों ने एक साथ कूटनीतिक डॉयलॉग के जरिए क्षेत्रीय सहयोग और रणनीतिक संतुलन पर तो विचार किया ही साथ ही भारत के प्रभाव को कम करने के लिए भी रणनीति बनाई है।

बैठक की पृष्ठभूमि और उद्देश्यों की बात करें तो आपको बता दें कि चीन ने इस पहल की मेजबानी की, क्योंकि वह पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को समान स्तर पर गहरा करना चाहता है। यह कदम दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती सक्रियता और भारत की घेराबंदी के रूप में देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि बैठक में पाकिस्तान ने CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) के दूसरे चरण और सुरक्षा में सहयोग पर जोर देते हुए चीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। वहीं, बांग्लादेश, ने भी चीन के साथ नौ समझौतों पर हस्ताक्षर कर व्यापक सहयोग का मार्ग प्रशस्त किया है।

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रिपोर्टों के मुताबिक, बांग्लादेश ने चीन के साथ नौ एमओयू पर साइन किए, जिनमें आर्थिक, तकनीकी सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, स्वास्थ्य, मीडिया और शिक्षा शामिल हैं। इसके अलावा, चीन ने मुक्त व्यापार व्यवस्था (FTA), निवेश, विशेष औद्योगिक क्षेत्र और बांग्लादेश में विनिर्माण सुविधाओं को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की है। इस प्रकार की भी खबरें हैं कि बांग्लादेश चीन से मीडियम रेंज एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइल खरीद सकता है, जिससे उसकी सैन्य क्षमता में वृद्धि होगी। साथ ही चीन ने बांग्लादेश को विशेष हथियार उत्पादन तकनीक उपलब्ध कराने की बात कही है जिससे ढाका का डिफेंस इंडस्ट्री बेस मजबूत होगा। इसके अलावा, पाकिस्तान और चीन CPEC-2.0 के तहत रक्षा सहयोग, कृषि विज्ञान तथा ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों में तालमेल को और बढ़ाएंगे।

इस बैठक से क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक प्रभाव पर पड़ने वाले असर की बात करें तो आपको बता दें कि इस त्रिपक्षीय पहल को भारत की कूटनीति पर सीधी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि तीनों देश मिलकर चक्राकार रूप से भारत को घेर सकते हैं। भारत विशेष रूप से बांग्लादेश के रक्षा डील्स और CPEC-2.0 परियोजनाओं पर नजर रख रहा है। हम आपको बता दें कि चीन का दक्षिण एशिया में प्रभाव लगातार व्यापक रूप ले रहा है खासकर आर्थिक, सैन्य और भू-राजनीतिक दिशाओं में। इसके अलावा, बांग्लादेश अब भारत की तरह एक संतुलित रणनीति अपनाने की ओर अग्रसर दिख रहा है, पर साथ ही वह चीन-पाकिस्तान के ब्लॉक में भी जुड़ रहा है। वहीं पाकिस्तान पहले से ही CPEC-2.0 और रक्षा सहयोग के मामले में चीन पर निर्भर है और इस बैठक से उसकी स्थिति और मजबूत हुई है। 

हम आपको बता दें कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश ने अपने विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों की उद्घाटन त्रिपक्षीय बैठक में अच्छे पड़ोसी, समानता और आपसी विश्वास के सिद्धांतों के आधार पर सहयोग को आगे बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की है। चीन के उप विदेश मंत्री सन वेइदोंग, बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सचिव रूहुल आलम सिद्दिकी और पाकिस्तान के अतिरिक्त विदेश सचिव इमरान अहमद सिद्दिकी ने चीन के दक्षिणी युन्नान प्रांत की राजधानी कुनमिंग में आयोजित बैठक में भाग लिया। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पाकिस्तानी विदेश सचिव आमना बलूच ने वीडियो लिंक के माध्यम से बैठक के पहले चरण में भाग लिया।

हम आपको यह भी बता दें कि भारत के पड़ोस में अलग-थलग रह रहे दो दक्षिण एशियाई देशों को करीब लाने के लिए चीन की नयी रणनीतिक पहल पाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ इसी तरह की त्रिपक्षीय बैठक के एक महीने बाद आई है। चीन की विज्ञप्ति के अनुसार अपने संबोधन में सन वेइदोंग ने कहा कि बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों चीन के अच्छे पड़ोसी, अच्छे मित्र और अच्छे साझेदार हैं तथा उच्च गुणवत्ता वाले ‘बेल्ट एंड रोड’ सहयोग में महत्वपूर्ण साझेदार हैं। पाकिस्तान और भारत में चीनी राजदूत रह चुके सन वेइदोंग ने कहा कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सहयोग तीनों देशों के लोगों के साझा हितों के अनुरूप है तथा यह क्षेत्रीय शांति, स्थिरता, विकास एवं समृद्धि में योगदान दे सकता है। चीनी विज्ञप्ति में कहा गया है कि तीनों पक्षों ने चीन-पाकिस्तान-बांग्लादेश त्रिपक्षीय सहयोग पर व्यापक रूप से विचारों का आदान-प्रदान किया और वे बैठक के दौरान बनी सहमति को अमलीजामा पहनाने के लिए एक कार्य समूह स्थापित करने पर राजी हुए। चीनी विज्ञप्ति के अनुसार उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चीन-बांग्लादेश-पाकिस्तान सहयोग सच्चे बहुपक्षवाद और खुले क्षेत्रवाद पर आधारित है, जो किसी तीसरे पक्ष पर लक्षित नहीं है।

हम आपको बता दें कि यह त्रिपक्षीय वार्ता ऐसे समय में हुई, जब बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस चीन के प्रति अपने रिश्ते मजबूत कर रहे हैं तथा विभिन्न मोर्चों पर बीजिंग से सहायता मांग रहे हैं, जो स्पष्ट रूप से भारत पर उनके देश की निर्भरता कम करने का प्रयास है। पिछले वर्ष शेख हसीना सरकार के अपदस्थ हो जाने के बाद कार्यभार संभालने वाले यूनुस ने पाकिस्तान के साथ भी घनिष्ठ संबंध स्थापित करने की कोशिश की है तथा 1971 के युद्ध के बाद अलग हुए बांग्लादेश के साथ पहली बार पाकिस्तान के साथ संबंधों को स्थापित किया है। वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि बलूच ने त्रिपक्षीय तंत्र की उद्घाटन बैठक आयोजित करने के लिए चीनी पक्ष की सराहना की।

हम आपको यह भी याद दिला दें कि कुनमिंग में, सन वेइदोंग ने अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के कार्यवाहक उपप्रधान मंत्री हाजी मावलवी अब्दुल सलाम हनफ़ी से भी मुलाक़ात की थी और रूहुल आलम सिद्दीकी और इमरान अहमद सिद्दीकी के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं थीं। 

बहरहाल, चीन-पाकिस्तान और बांग्लादेश का गठजोड़ भारत के लिए एक नई चुनौती की तरह है। देखा जाये तो यह त्रिपक्षीय बैठक सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह दक्षिण एशिया में चीन के प्रभाव को और बढ़ाने वाली है। आर्थिक समझौतों से लेकर रक्षा सहयोग तक, तीनों देशों की साझीदारी पहले से ही जटिल समीकरणों को और बदल देगी। आने वाले महीनों में इस गठबंधन की गहराई और इसके प्रभावों पर नजऱ रखना महत्वपूर्ण होगा। वैसे भारत भी चीन के लगातार संपर्क में है। माना जा रहा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए अगले सप्ताह चीन की यात्रा पर जा सकते हैं। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध के चलते संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद यह किसी भारतीय मंत्री की पहली चीन यात्रा होगी। हम आपको बता दें कि एससीओ रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन 25 से 27 जून तक क़िंगदाओ में आयोजित किया जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि राजनाथ सिंह एससीओ सम्मेलन के दौरान अपने चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जून के साथ द्विपक्षीय बैठक कर सकते हैं।

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