जलवायु परिवर्तन से भोजन के विषाक्त होने का बढ़ सकता है खतरा

Food Contamination
Google Creative Commons.

पर्यावरण में बदलाव ने जानवरों और मनुष्यों के बीच संचरण की अधिक आशंकाएं उत्पन्न हुई हैं।बाढ़ और सूखे जैसी मौसमी घटनाएं मिट्टी, पानी और पशु आहार को सीवेज से रसायनों और औद्योगिक एवं कृषि भूमि से विषाक्त पदार्थों और कीटनाशकों से दूषित कर सकती हैं।

(व्योमकेश तालुकदार और निलांजला गांगुली, यॉर्क यूनिवर्सिटी, टोरंटो, कनाडा) टोरंटो|  हम खाद्य पदार्थ को दूषित होने से नहीं रोक सकते, लेकिन कंप्यूटर मॉडल हमें यह अनुमान लगाने में मदद कर सकते हैं कि अगला बड़ा खतरा कहां हो सकता है।

दूषित भोजन हर साल 4,20,000 से अधिक लोगों की जान ले लेता है। अब, वैज्ञानिक इसके लिए बेहतर तरीके से तैयार होने में हमारी मदद करने के लिए अनुमान लगाने वाले कंप्यूटर मॉडलिंग की ओर रुख कर रहे हैं।

खाद्य पदार्थों का संदूषण खेत से लेकर थाली तक लगभग हर स्तर पर हो सकता है। जानवरों के चारे में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया से, धूल या जानवरों के मल के संपर्क में आने से, खाद्य प्रसंस्करण के दौरान स्थानांतरित होने वाले संक्रमणों से, या अनुचित भंडारण से संदूषण फैल सकता है। जलवायु परिवर्तन के चलते हवा और पानी के तापमान में अत्यधिक और तेजी से बदलाव हुए हैं।

इसने वर्षा चक्र और इसकी तीव्रता को प्रभावित किया है और बढ़ी हुई आर्द्रता ने गंभीर परिणामों के साथ खाद्य पदार्थों के उत्पादन में बदलाव किया है।

हालांकि, इसमें शामिल कारकों के कारण सीधे अनुमान लगाना मुश्किल है, पर्यावरण में बदलाव ने जानवरों और मनुष्यों के बीच संचरण की अधिक आशंकाएं उत्पन्न हुई हैं।बाढ़ और सूखे जैसी मौसमी घटनाएं मिट्टी, पानी और पशु आहार को सीवेज से रसायनों और औद्योगिक एवं कृषि भूमि से विषाक्त पदार्थों और कीटनाशकों से दूषित कर सकती हैं।

मलावी जैसे पहले से ही संसाधन की कमी वाले देशों में गर्म जलवायु और सीमित बारिश ने न केवल भोजन की उपलब्धता पर हानिकारक प्रभाव डाला है, बल्कि मक्का में एफ्लाटॉक्सिन (कवक से जहरीले कार्सिनोजेन्स) संदूषण के लिए अधिक अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण किया है।

कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका और कनाडा के कुछ हिस्सों में, रोमेन लेट्यूस में पाए जाने वाले ई. कोलाई का प्रकोप भारी वर्षा के बाद उपज वाले क्षेत्रों में बहने वाले वर्षा जल से हो सकता है।

जलवायु परिवर्तन के चलते होने वाली खाद्य पदार्थों की कमी असुरक्षित खाद्य पदार्थों के उपभोग को बढ़ा सकती है और खेतों का जंगलों में विस्तार कर सकती है। बेहतर हस्तक्षेप डिजाइन करने के लिए एक समग्र मॉडल की आवश्यकता होगी।

यॉर्क यूनिवर्सिटी, कनाडा के शोधकर्ताओं ने एक वैचारिक मॉडल विकसित किया है जो खाद्य-जनित जूनोटिक रोगों और उसे प्रभावित करने वाले कारकों में जटिल, अप्रत्याशित और गतिशील रूप से विकसित होने वाली पारस्परिक प्रभाव का पता लगा सकता है। इनमें चरम मौसमी घटनाओं, पर्यावरणीय प्रभाव, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला, खाद्य सुरक्षा प्रथाओं, आपदा प्रबंधन और घरेलू सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति के बीच संबंधों का विश्लेषण शामिल है।

हमारी वैश्विक खाद्य प्रणाली की एक दूसरे से जुड़ी बढ़ती प्रकृति के कारण डेटा के विकेंद्रीकरण के जरिये अतिरिक्त पारदर्शिता डेटा संग्रहण एवं प्रबंधन में त्रुटियों को कम करने के लिए जरूरी है, जो मॉडल की अनुमान लगाने की क्षमताओं को प्रभावित कर सकता है। इन संबंधों पर आधारित कंप्यूटर मॉडलिंग सिमुलेशन प्रकोप के लिए संभावित जोखिम परिदृश्य विकसित कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यह मॉडल भारी वर्षा की घटना के दौरान फसलों के संभावित संदूषण जोखिम का अनुमान लगा सकता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़